ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
अथवा
‘ब्रेटन वुड्स’ समझौते से विश्व में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ ?
अथवा
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन से आप क्या समझते हैं? इसकी दो जुड़वाँ संतानें’ किसे कहा गया है?
उत्तर: युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार को बनाए रखना था। इसके अनुरूप जुलाई 1944 ई. में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गयी।
युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने को अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक अर्थात् विश्व बैंक का गठन किया गया। इसलिए विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी युद्धोत्तर आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। .
ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ एक निश्चित विनिमय दर में बँधी हुई थीं। उदाहरण के रूप में, एक डॉलर के बदले में रुपयों की संख्या निश्चित थी। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था। एक डॉलर का मूल्य 35 ओंस सोने के बराबर था।
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