भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?

भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?

अथवा
“भारत में 1991 से विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया था।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
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स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेशों पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया? इन अवरोधों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारत सरकार ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगा दिए थे। ये अवरोधक सन् 1991 तक लगे रहे। सरकार ने विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों की रक्षा करने के लिए यह प्रतिबन्ध लगाए। सन् 1950 एवं 1960 के दशक में भारतीय उद्योग अपनी प्रारम्भिक अवस्था में था। इस अवस्था में आयातों से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती।

यही कारण था कि भारत सरकार ने आयातों को केवल मशीनरी, उर्वरक, खनिज तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं तक ही सीमित रखा और विदेश व्यापार व विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाया। इन अवरोधकों को सरकार इसलिए हटाना चाहती थी क्योंकि सन् 1991 तक भारतीय उत्पादक विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गये थे। अब यह महसूस किया जाने लगा था कि प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा . क्योंकि उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक होगा।

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