मुझे अपनी जाति की परवाह नहीं रहती। हम पाठ्य-पुस्तक में इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं ? क्या हम जाति पर चर्चा करके जातिवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं ?

मुझे अपनी जाति की परवाह नहीं रहती। हम पाठ्य-पुस्तक में इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं ? क्या हम जाति पर चर्चा करके जातिवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं ?

उत्तर: भारत में समाज, धर्म एवं जाति पर आधारित है। जाति-पाति संबंधी भेदभाव को दूर करने के लिए तथा जातिवाद को समाप्त करने के लिए जाति पर चर्चा की गई है न कि जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए।

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