मेरे देश की मिट्टी बोल

मेरे देश की मिट्टी बोल

                      मेरे देश की मिट्टी बोल

हीरा-मोती सी धरती पर क्या-क्या कुर्बान करूं।

तुझे मैं अपना प्राण कहूं या तुझको हिन्दुस्तान कहूं ॥

मेरे देश की मिट्टी बोल- मेरे देश की मिट्टी बोल ।

मैं चित्रकार कह दे तुझको या कलाकार का रूप कहूँ।

या सत्य कहूं, सुंदर कह दूं या शिव का अमल स्वरूप कहूं ॥

तुझको गंगा का मन कह दूं या हिमगिरि की ऊंचाई।

सूरदास का पद कह दूं या मानस की चौपाई।

चारों वेदों की कथा कहूं या गीता और पुरान कहूं ॥

मेरे देश की मिट्टी बोल- मेरे देश की मिट्टी बोल ॥

विद्यापति का गीत कहूं या कालिदास का छंद कहूं।

रसखान कहूं या घनानंद या तुझको गीत गुविंद कहूं ॥

शंकर का शुद्धाद्वैत कहूं- या फिरकबीर की बानी ।

सूली पर सेज चढ़ी मीरां की आंखों का कहदूं पानी ॥

हरिदास बावरे बैजू की या तानसेन की तान कहूं ।

मेरे देश की मिट्टी बोल- मेरे देश की मिट्टी बोल ॥

गालिब की गजल कहूं तुझको, काजी नजरूल इस्लाम कहूं।

पालागूं या करूं बंदगी या फिर सिर्फ सलाम कहूं ॥

मैं सतसैया के बान कहूं या झांसी की ललकार कहूं ।

बंदा बैरागी, अमर सिंह या पंजाबी तलवार कहूं ॥

राणा के पैने भाले से अकबरकी झुकी कमान कहूं।

मेरे देश की मिट्टी बोल- मेरे देश की मिट्टी बोल ॥

आसामी, कन्नड़, मलयालम, कश्मीरी, गुजराती,

बंगाली, पंजाबी या फिर तेलगु और मराठी।

उड़िया, उर्दू, तमिल कह दूं या फिर देवों की वाणी,

सब का अर्थ एक मैं कह दूं तुझको वीणापाणी।

कोई बुरा न माने तो मैं हिंदी का सम्मान कहूं।

मेरे देश की मिट्टी बोल- मेरे देश की मिट्टी बोल ॥

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