लेखिका नेफ्लैटों में रहने वालों के जीवन को संकुचित और असहाय क्यों कहा है?
लेखिका ने फ्लैटों में रहने वालों के जीवन को संकुचित और असहाय क्यों कहा है?
प्रश्न. लेखिका ने फ्लैटों में रहने वालों के जीवन को संकुचित और असहाय क्यों कहा है?
उत्तर- फ्लैटों में रहने वाले व्यक्ति केवल अपने फ्लैट तक ही सीमित रहते हैं। उनका अपने आस-पास अथवा ऊपर-नीचे रहने वालों से कोई लेना-देना नहीं होता। अपने तक सीमित रहने के कारण उनका जीवन संकुचित हो जाता है। ऐसे में सुख-दुख में उनकी कोई सहायता करने भी नहीं आता, जिससे वे स्वयं को असहाय अनुभव करते हैं।
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