विकसित देशों में देखे गए लक्षण की भारत में हुए परिवर्तनों से तुलना करें और वैषम्य बताएँ। भारत में क्षेत्रकों के बीच किस प्रकार के परिवर्तन वांछित थे, जो नहीं हुए ?

विकसित देशों में देखे गए लक्षण की भारत में हुए परिवर्तनों से तुलना करें और वैषम्य बताएँ। भारत में क्षेत्रकों के बीच किस प्रकार के परिवर्तन वांछित थे, जो नहीं हुए ?

उत्तर: भारत में विकासात्मक परिवर्तनों की विकसित देशों के साथ तुल एवं विषमता अग्रलिखित सारणी से अधिक स्पष्ट हो सकती है
तुलना

विकसित देश भारत
1. विकसित देशों में विकास की प्रारम्भिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक उत्पादन एवं रोजगार दोनों दृष्टि से आर्थिक क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था। 1. भारत में विकास की प्राथमिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक कुल उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था।
2. अर्थव्यवस्था में विकास के साथ-साथ धीरे-धीरे द्वितीयक क्षेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। 2. भारत में द्वितीयक क्षेत्रक अभी तक न तो उत्पादन और न ही रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक हुआ है।
3. देश में विकास के उच्चतर स्तरों पर विकसित देशों में स. घ. उ. और रोजगार में तृतीयक क्षेत्रक (सेवा क्षेत्रक) की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है। 3. भारत में स. घ. उ. में तृतीयक क्षेत्र (सेवा क्षेत्रक) की हिस्सेदारी बढ़ी है, जो अन्य दोनों क्षेत्रकों से अधिक है परन्तु रोजगार की दृष्टि से अभी भी सर्वाधिक कार्यशील व्यक्ति प्राथमिक क्षेत्रक में ही नियोजित हैं।

वैषम्य:
1. यह वांछित था कि अर्थव्यवस्था के विकास के साथ द्वितीयक क्षेत्रक, प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित कर स. घ. उ. की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक बन जायेगा परन्तु ऐसा भारत में नहीं हुआ है। यहाँ तृतीयक क्षेत्रक, द्वितीयक क्षेत्रक से आगे बढ़ गया।

2. यह भी वांछित था कि विकास के साथ-साथ रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कम होगी तथा द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रकों की हिस्सेदारी बढ़कर क्रमशः सर्वाधिक हो जाएगी परन्तु भारत में ऐसा भी नहीं हुआ। आज भी प्राथमिक क्षेत्रक सबसे बड़ा नियोक्ता है। द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रक में रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन नहीं हुआ है।

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