‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।’ इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।’ इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
अथवा
“वैश्वीकरण का प्रभाव समान रूप में नहीं पड़ता है।” उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है यह बिल्कुल सत्य है। यह सभी के लिए लाभप्रद नहीं है। कुछ वर्गों पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा है जबकि कुछ वर्गों पर इसका प्रतिकूल एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ा है। अनेक लोग वैश्वीकरण से प्राप्त लाभों से वंचित भी रह गये हैं।
उपर्युक्त कथन की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है:
(i) सकारात्मक प्रभाव-विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं।
1. स्थानीय व विदेशी उत्पादकों के मध्य प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में रह रहे धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। वे अब अनेक वस्तुओं और सेवाओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता तथा कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामस्वरूप, ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतम जीवन स्तर का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं।
2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने शहरी क्षेत्रों में सेलफोन, मोटर गाड़ियाँ, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों, ठण्डे पेय पदार्थों, जंक खाद्य पदार्थों एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं के निवेश में रुचि दिखाई है जिससे शहरी क्षेत्रों में पढ़े-लिखे लोगों एवं कुशल श्रमिकों के लिए बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं।
3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कम्पनियों के लाभ में वृद्धि हुई है।
4. प्रमुख भारतीय कम्पनियों द्वारा नवीनतम तकनीकी व उत्पादन प्रणाली अपनाये जाने के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा से लाभ हुआ है। कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सहयोग कर लाभ अर्जित किया है।
5. वैश्वीकरण ने कुछ वृहत् भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है।
6. वैश्वीकरण सूचना प्रौद्योगिकी, आँकड़ा प्रविष्टि, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग आदि कई सेवाएँ प्रदान करने वाली कम्पनियों के लिए नए अवसर उत्पन्न किए हैं। आज ये सेवाएँ भारत जैसे देशों में सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं और विकसित देशों को इनका निर्यात भी किया जाता है।
(ii) नकारात्मक प्रभाव विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं
1. वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं। कुछ छोटे उद्योगों; जैसे-बैटरी, संधारण, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल आदि को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण बहुत नुकसान झेलना पड़ा है।
2. कई उद्योग बन्द हो गये जिसके कारण अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं।
3. वैश्वीकरण तथा प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन में बहुत परिवर्तन ला दिया है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता आजकल श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि अब श्रमिकों का रोजगार सुनिश्चित एवं सुरक्षित नहीं रह गया है।
4. नियोक्ता श्रम लागतों में निरन्तर कटौती कर रहे हैं वे कम वेतन पर श्रमिकों से अधिक समय काम ले रहे हैं।
5. वैश्वीकरण ने धनिक एवं निर्धन वर्ग के मध्य अन्तर में और अधिक वृद्धि की है।
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