सफलता की संतुष्टि

सफलता की संतुष्टि

                   सफलता की संतुष्टि

“यह आवश्यक नहीं कि सर्वाधिक प्रसन्न व्यक्ति प्रत्येक वस्तु (सुविधा) सर्वोत्तम हो,
लेकिन यह सुनिश्चित है कि उन्होंने प्रत्येक वस्तु को ही सर्वोत्तम बना दिया है.”
सफलता का कोई एक सर्वमान्य सूत्र नहीं है यदि होता, तो सभी उसी की नकल
करके सफल हो जाते सच बात तो यह है कि जितने व्यक्ति हैं, सफलता के सूत्र भी
उतने ही हैं. प्रत्येक की सफलता की राह भिन्न-भिन्न है, तभी तो प्रत्येक की प्रसिद्धि
अलग-अलग रूप में परिलक्षित होती है. कोई साधु बनकर सफल होता है, कोई नेता
बनकर, कोई खिलाड़ी के रूप में, तो कोई बतौर अभिनेता कोई सीधी राह चलकर
सफल होता है, तो कोई पुरानी राह छोड़कर नई राह बनाता है और तब सफल होता है.
सफल होने के न केवल तरीके भिन्न-भिन्न हैं, बल्कि, सफलता के अर्थ भी अलग-अलग
हैं. कोई धनी बनने पर स्वयं को सफल महसूस करता है, तो कोई यशस्वी बनकर.
किसी के लिए कम्पनी खोलना सफलता का पर्याय है, तो किसी के लिए कम्पनी में नौकरी
पाना. कुल मिलाकर हर व्यक्ति अपनी अपेक्षा के अनुरूप सफल होने के उपाय खोजता
है, परन्तु एक बात निश्चित है कि सफलता संतुष्टि देती है व असफलता विषाद की
अनुभूति.
          सफलता पाने के कतिपय प्रमुख सूत्र निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) सफलता की खुशी अपने आस-पास के वातावरण में सराहे जाने पर होती
है. जब हमारे पारिवारिक लोग हमारी तारीफ करते हैं तब हमें सफलता की खुशी
महसूस होती है. जीत का जश्न भी लोगों की चमकती आँखों व बधाइयों भरे हाथों व
बोलों से ही मनाया जाता है आओ, हम जीत का जश्न समय-समय पर मनाना
सीखें. हर कुछ दिनों में अपने रिश्तेदारों से भेंट करें व उनको उनकी छोटी-मोटी
उपलब्धियों के लिए सराहें, उनके बच्चों की सराहना करें उनकी विद्वता की सराहना
करें और इस प्रकार सबके चेहरों में चमक भरें. सबके चमकते चेहरे हमें भी सुकून
देंगे. यही खुशी हमें अपने आपसे और अपने जीवन से प्रेम करना सिखाएगी. प्रेम
की अनुभूतियाँ जीवन को सार्थक बनाती हैं. लोगों की जिन्दगी में आपकी उपयोगिता व
महत्व जितना अधिक होगा आप अपने को उतना ही अधिक सफल महसूस कर पाओगे.
जीना शान से उनका ही सम्भव होता है, जिनके साथी शान्ति से जी पाते हैं. खुशनुमा
रहने व रखने की आपकी आदत आपके जीवन को सफलता की अनुभूति से सराबोर
करेगी, जो प्रेम व प्रशंसा लोग आपसे पाएंगे वही आप लोगों से पाओगे. आपका
जितने अधिक लोगों से सीधा संवाद हो पाएगा उतने अधिक लोगों की सद्भावनाएं
आपके साथ जुड़ती जाएंगी व आपके जीवन को सुखद अनुभूतियों से भर देंगी.
    (2) सफलता की संतुष्टि उनको नसीब होती है, जो अपने मित्रों व रिश्तेदारों की
विपत्ति के समय मदद करते हैं. अक्सर लोगों को जरूरत के समय अच्छे व सच्चे
साथी का महत्व समझ में आता है, क्यों न हम वैसे मित्र बनाएं जो सबकी जरूरतों का
ध्यान रखते हों किसी के बुरे दिनों में भी अपना प्रेम व सत्कार देना आपको औरों की
जिन्दगी का अभिन्न हिस्सा बना देगा वे लोग ताउम्र आपके सहयोग की कद्र करेंगे.
अतः ध्यान रहे, आप किसी के सुदिनों के ही नहीं, बल्कि दुर्दिनों के भी सच्चे साथी
बनें, जबकि आपका मित्र या सम्बन्धी आपकी मदद लेने से मना कर दें तब भी आप
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनके मददगार बनें. यदि वे कुपित होकर आपको साथ
छोड़ देने के लिए कह दें तब भी आप दूर बैठकर उनके लिए सद्भाव व दुआ करते
रहें. पावनता का यह अहसास हमें सफलता की तृप्ति महसूस कराता है. आपके निकट
अथवा दूर रहकर, प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अन्य जरूरतमंद के लिए की गई दुआएं
या सहयोगपरक सेवाएं जब कभी सफलता लाती हैं, तब आपको जो असीम तृप्ति का
अनुभव होता है, वही आपकी सफलता है.
      (3) सफलता की तृप्ति पाने का एक तरीका अपने सहयोग से औरों को सफल
बनाने में है. जो विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, प्रतिभाशाली भी है, किन्तु किसी भी प्रकार
की असमर्थता के कारण पढ़ पाने में असक्षम है, यदि हम उसकी पढ़ाई में कुछ मदद कर
सकें, निर्लोभ, निरपेक्ष होकर सेवा व सहयोग दे सकें, तो हमारा जीवन सफलता की
संतुष्टि से भर सकेगा. न केवल पढ़ाई का क्षेत्र वरन् हमारे जीवन का हरएक विषय क्षेत्र
हमसे प्रकाशित हो, हमारे होने से उज्ज्वल बनता हो, तो हम सफल हैं. सफलता का
कोई निश्चित पैमाना तो है नहीं, ठीक वैसे ही जैसे-किसी चिराग का अपना कोई मकान
नहीं होता वो जहाँ बैठेगा वहीं रोशनी लुटाएगा. हमसे जमाना रोशन हो, तो हम सफल हुए.
आज महात्मा गांधी, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर तो हैं नहीं चले गए, किन्तु उन्होंने हरिजन
वर्ग के लिए जो काम कर दिया उसका कोई जवाब नहीं सभी भारतीय सर्वाहारा
वर्ग उनको अपने लिए भाग्य सितारे के रूप में देखते हैं. उनकी जिंदगी सफल है जिन्होंने
किसी भी कौम को रोशनी दिखाई.
      (4) सफलता की संतुष्टि अपने से जुड़े हर अंग की सफलता में निहित है. जैसे
एक ग्रामीण अनपढ़ इनसान का बच्चा जिस दिन बहुत पढ़-लिख कर ऊँची डिग्री पा ले
या समाज में बहुत प्रतिष्ठा प्राप्त कर ले, तो वह पिता अपने जीवन को धन्य महसूस
करता है. न जाने कितने माता-पिता हैं, जो अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों के लिए दाँव
पर लगा रहे हैं, स्वयं के सुखों का समर्पण करके वे अपने बालकों के सुखों का
इंतजाम करते हैं फिर जब कभी उनके बालक अपनी प्रतिभा का सदुपयोग कर एक
उन्नत जीवन जीते हैं, तो माता-पिता को अपनी सफलता अपने बच्चों के यशस्वी,
सुख-सुविधापूर्ण जीवन में दिखाई पड़ती है. एक गुरु को भी तब सफलता की संतुष्टि
मिलती है जब उनका शिष्य योग्य बने व अपनी योग्यता से जगत् का कल्याण करे.
गुरुओं का दिया ज्ञान व ध्यान शिष्य के माध्यम से अनेक का कल्याण करे, यही
जीवन की सार्थकता महसूस होती है 
          स्वयं द्वारा सफलता पाने की खुशी निःसन्देह बहुत अधिक होती है. व्यक्ति 
महसूस करता है कि किसी कार्य विशेष को करने का उसका निर्णय सही था. इससे
उसमें स्वावलम्बन की भावना जागृत होती है. उसमें यह विश्वास जागृत होता है कि वह
इससे भी बड़ा कार्य कर सकता है, लेकिन इससे भी अधिक प्रसन्नता उस समय प्राप्त
होती है जब कोई अन्य व्यक्ति उसके द्वारा प्रदत्त आर्थिक बौद्धिक तकनीकी सुविधा एवं
सहायता की सीढ़ी चढ़कर जीवन की नई ऊँचाइयाँ छूता है यदि आप वास्तव में कुछ
करना चाहते हैं तो आपको सुनिश्चित तौर पर मार्ग मिलेगा, यदि आप नहीं करना
चाहते तो आपके पास सौ बहाने होंगे.
         आओ, हम सब किसी भाँति स्वयं सफलता की संतुष्टि पाएं व स्वयं से जुड़े
सभी लोगों को यह महसूस करा पाएं कि आपका हमें दिया योगदान सफल हुआ है.
आपका हमारी जिंदगी में होना, आपको व हमको सफल कर गया है जीवन सच में
सार्थक बना इस अनुभूति को पाना सच्ची सफलता है, चाहे वह किसी भी रूप से बना हो.

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