समन्वित इस्पात उद्योग, मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अन्तर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?

समन्वित इस्पात उद्योग, मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अन्तर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है ?

उत्तर: समन्वित इस्पात उद्योग में एक बड़ा संयंत्र होता है, जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर, इस्पात बनाने, उसे ढालने एवं विभिन्न आकार देने तक की प्रत्येक क्रिया की जाती है। इनमें भारी इस्पात बनाया जाता है जबकि मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र होते हैं जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात एवं स्पंज आयरन का प्रयोग किया जाता है।

ये संयंत्र हल्के स्टील अथवा निर्धारित अनुपात में मृदु एवं मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं। लौह इस्पात उद्योग की समस्याएँ-1950 के दशक में भारत और चीन ने एक समान मात्रा में इस्पात उत्पादित किया था। आज चीन विश्व में इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यद्यपि भारत आज भी विश्व का एक महत्वपूर्ण इस्पात उत्पादक देश है तथापि हम अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

  • इसके लिए निम्नलिखित समस्याएँ उत्तरदायी हैं:
    1. लौह इस्पात उद्योग में निर्मित लौह इस्पात की लागत अन्य देशों की तुलना में अधिक आना,
    2. देश में कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता,
    3. लौह इस्पात उद्योग में कार्यरत श्रमिकों की न्यून श्रमिक उत्पादकता,
    4. ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति,
    5. देश में लौह इस्पात उद्योग की अविकसित अवसंरचना आदि।
  • लौह इस्पात उद्योग की उत्पादन क्षमता में वृद्धि लाने वाले सुधार:
    1. निजी क्षेत्र के उद्यमियों के प्रयत्न।
    2. उदारीकरण की प्रक्रिया अपनाना।
    3. इस्पात उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि करना।
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