स्वस्थ जीवन का सार : मुस्कुराहट

स्वस्थ जीवन का सार : मुस्कुराहट

                        स्वस्थ जीवन का सार : मुस्कुराहट

अमरीका के न्यूयॉर्क स्थित ‘डेल कारनेगी इन्स्टीट्यूट ऑफ पर्सनेलिटी डेवलेपमेन्ट’ के
प्रांगण में प्रवेश करते ही एक बड़ा-सा बोर्ड दिखाई देता है. मुस्कराइए, इसमें आपका कोई 
खर्चा नहीं होगा. एक पंक्ति, एक उक्ति और इतना गहन अर्थ. मुस्कराइए इसमें आपका कोई
 खर्चा नहीं होगा, परन्तु आप जीवन भर की दौलत का संचय कर सकते हैं. आप अपने चारों
 ओर के वातावरण में इतनी प्रसन्नता घोल सकते हैं कि उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाला हर
 व्यक्ति प्रसन्नता से सराबोर हो जाए, जो भी आपके सम्पर्क में आए उसे सोते- जागते
 उठते-बैठते आपकी मुस्कान याद आए. यही आपकी सबसे बड़ी दौलत है जिसे
बड़े-बड़े लोग कठिन प्रयास के पश्चात् भी प्राप्त नहीं कर पाते. आप स्वयं तो तनाव रहित रहते
 ही हैं दूसरों को भी तनाव मुक्त करने की कला जानते हैं जब जीवन तनाव मुक्त हो तब प्रसन्नता
ही प्रसन्नता चारों ओर दिखाई देती है. जीवन सार्थक हो जाता है.
            तनाव की अधिकता हमारे रक्तचाप को बढ़ा देती है और हमको चिड़चिड़ा बना देती है.
कार्यालयों में काम करने वाले व्यक्तियों को प्रायः तनाव का जीवन व्यतीत करना पड़ता है. वे
कार्यालय के तनाव को घर ले आते हैं और बीबी-बच्चों के साथ झगड़ा करते हैं तनाव से मुक्ति
प्राप्त करने की चेष्टा भी करते हैं. इसी प्रकार परीक्षा के लिए तैयारी करने वाला परीक्षार्थी
अथवा प्रतियोगी भी तनाव का जीवन व्यतीत करता है. उसको प्रायः अनिद्रा का रोग हो जाता
है अथवा वह तुनक मिजाज वाला व्यक्ति बन जाता है.
         तनाव की अधिकता के कारण कभी-कभी हम जीवन से पलायन करना चाहते हैं. विषम
परिस्थितियों में आत्महत्या तक की बात सोचने लग जाते हैं. कम-से-कम निराश तो होने ही
लग जाते हैं. इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए लोग शराब का सेवन तक करने लग जाते
हैं. अधिकांश परीक्षार्थी अत्यधिक चाय या कॉफी का सेवन करने लग जाते हैं. इस प्रकार तनाव
के चक्र द्वारा ग्रसित व्यक्ति जीवन से पलायन करने जैसी मनोदशा में बना रहता है और ठोस
अथवा रचनात्मक प्रयत्नों से दूर होने लगता है.
            जीवन की चुनौतियों से उत्पन्न तनाव के फलस्वरूप कभी-कभी हमारा आत्मविश्वास
जवाब दे देता है और तनाव से छुटकारा पाने के लिए नौकरीपेशा व्यक्ति अपने अफसर की हाँ
में हाँ मिलाकर अथवा अन्य प्रकार से चाटुकारी करने का रास्ता अपना लेता है. इस मानसिकता
वाला परीक्षार्थी नकल करने की, पेपर आउट करने की एवं नम्बर बढ़वाने की तिकड़मों पर
विचार करने लग जाता है, फलत: वह लक्ष्य भ्रष्ट भी हो जाता है तथा मार्ग-भ्रष्ट भी हो जाता है.
        तनाव कम करने का सहज उपाय है-मुस्कराना. मुस्कराने के साथ ही हमारे मुख का
जबड़ा ढीला हो जाता है और उसी के साथ मुख की तमाम माँसपेशियों में ढीलापन आ जाता है
और हम तनावमुक्त होने जैसा अनुभव करने लगते हैं. रोती हुई शक्ल लोगों को हमसे दूर-दूर
रखती है, मुस्कराती हुई शक्ल लोगों को अपनी ओर आमंत्रित सा करती है. कहा भी जाता है कि
मुस्कान एक ऐसी ढाल है जिससे टकराकर हर तनाव पीछे हट जाता है. मुस्कान के बारे में दो
बहुत ही रोचक बातें याद रखनी चाहिए-मुस्कराने के लिए कभी कोई कीमत अदा नहीं
कर्नी पड़ती है तथा मुस्कान इतनी लचीली चीज है कि वह हर आकार (साइज) के होठों पर
फिट हो जाती है. मुस्कान के सहारे भगतसिंह प्रभृति क्रान्तिकारी युवक फाँसी के तख्ते पर
कूदकर चढ़ गए थे, मुस्कान के बलबूते पर ही हकीकतराय आदि ने दीवार में जिंदा चिना जाना
स्वीकार कर लिया था. प्रेमिका की मुस्कान फूलों की वर्षा करती है. मुस्कान के समय खुल जाने
वाले दाँतों की चमक सौन्दर्य सेवियों को न मालूम कौन-कौन से लोकों की सैर कराती आई
है. प्रेमिका की एक मुस्कान पाने के लिए प्रेमीजन क्या नहीं करते आए हैं? इतिहास साक्षी है कि
महान व्यक्तियों के होठों पर भेदभरी मुस्कान सदैव खेला करती थी. वे विपक्षी की अल्पज्ञता
एवं नादानी को तथा चुनौती के खोखलेपन को लक्ष्य करके मुस्कराना जानते थे. मुस्कराहट
वास्तव में मृत्यु के दंश को भी कुंठित करने में सक्षम होती है.
            तनाव द्वारा चेहरा खिंचकर कुरूप बन जाता है, जबकि मुस्कराने वाला चेहरा विकास-
धर्मिता को अपनाकर सुन्दरता धारण कर लेता है. मुस्कराहट की राह छोड़कर हम प्रकृति प्रदत्त
मुखमण्डल के सौंदर्य के साथ अन्याय करते हैं.
           आप किसी व्यक्ति से बात करते समय अपने होठों पर मुस्कान रखकर देखिए, वह
व्यक्ति कितना भी तनावग्रस्त हो, उसको भी आप तनावमुक्त कर देंगे. आपकी मुस्कान के जवाब
में अन्य व्यक्ति को भी मन बेमन मुस्कराना पड़ता है.
            इस संदर्भ में हमको यह चीनी कहावत याद आ रही है कि “जिस मनुष्य का मुखमंडल
मुस्कराता हुआ न हो, उसे दुकान नहीं खोलनी चाहिए.” हमारे विचार से यदि हम मुस्कराने में
असमर्थ हैं तो हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिसमें हमें अन्य व्यक्तियों के सम्पर्क में
आना पड़ता हो. चिकित्सक अथवा डॉक्टर का उदाहरण ही ले लीजिए. डॉक्टर यदि मुस्कराता
हुआ बात करता है, तो उसके दर्शन मात्र से रोगी का कष्ट बहुत कुछ कम हो जाता है. मुस्कान
वस्तुत: अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रसन्न बना देती है. होमर नाम के कवि ने
ठीक ही लिखा है कि मुस्कान प्रेम की भाषा है. हम जो देंगे, वह पाएंगे. हम प्रेम की भाषा बोलेंगे,
हम प्रेम की वाणी सुनेंगे. आप किसी भी भाषा में वर्णित प्रेम कहानियाँ पढ़कर देखिए, सब
जगह प्रेमिका की मुस्कान पर बलिहारी अथवा फिदा होने की चर्चाएं मिल ही जाएंगी. जैसे
गुलाब के लिए सुगंध होती है, वैसे ही काम प्रेम के मार्ग में मुस्कान करती है. मुस्कान न हो, तो
आँखों को वाणी कौन प्रदान करे, यथा-
                                        बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय ।
                                        सौंह करें, भौंहन हसें, देन कहें, नट जाय।।
        मुस्कान केवल एक शिष्टाचार ही नहीं है, वरन् यह एक आभूषण है, जो कुरूपता को सौंदर्य
प्रदान करती है और रूपवान चेहरे पर चार चाँद लगा देती है.

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