हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है ?

हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है ?

                                         अथवा
आर्थिक विकास में ऋण के औपचारिक स्रोतों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर: ऋण के औपचारिक स्रोतों के अन्तर्गत बैंकों व सहकारी समितियों से लिए गए ऋण आते हैं। हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को निम्नलिखित कारणों से बढ़ाने की जरूरत है

1. ऋणदाताओं की तुलना में अधिकांश अनौपचारिक ऋणदाता; जैसे-साहूकार, व्यापारी आदि ऋणों पर अधिक ऊँची ब्याज माँगते हैं।

2. अनौपचारिक ऋणदाता अपना ऋण वसूलने करने के लिए प्रत्येक अनुचित साधन अपना सकते हैं। इन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है।

3. अनौपचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है जबकि औपचारिक क्षेत्र में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जाती है।

4. वे लोग जो ऋण लेकर अपना कोई उद्यम शुरू करना चाहते हैं, वे अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेने की अधिक लागत के कारण ऐसा नहीं कर पाते हैं।

5. ऋण के औपचारिक स्रोतों से लोग साहूकार, व्यापारी, भूस्वामी आदि से बच सकते हैं जो लोगों को सदैव अपने चंगुल में फंसाने का अवसर ढूँढ़ते रहते हैं।

6. इन सब कारणों को देखते हुए भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है।

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