Ancient History Notes in Hindi
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चोलकालीन कला
* चोल काल में मंदिर एवं मूर्तिकला का काफी विकास हुआ.
* मंदिर कला के संबंध में फर्गुसन ने कहा है कि-
“ चोल कलाकारों ने दैत्योंसी कल्पना की एवं चौहड़ियाँ के समान उसे पूरा किया.”
* तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर भारत के विशाल मंदिरों में से एक है.
* इस मंदिर का प्रांगण 500 फीट लम्बा एवं 250 फीट चौरा है.
* इस मंदिर का शिखर (विमान) 190 फीट ऊंचा (13 मंजिला) है.
* यह मंदिर की दीवारों पर समुंद्र चित्रकारी की गई है.
* तंजौर (तमिलनाडु) के वृहद्धेश्वर मंदिर राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम करवाया था.
* यह मंदिर शिव का मंदिर है.
* वृहद्धेश्वर मंदिर के संबंध में पर्सी ब्राउन ने कहां है कि-
“ यह मंदिर समस्त भारतीय स्थापत्य की कसौटी निकस है.”
* चोल काल में कई अन्य मंदिरों का निर्माण भी हुआ है.
* राजेंद्र प्रथम ने गंगाईकोंडचोलापुरम मंदिर, गंगाईकोंडचोलापुरम में बनवाया.
* राजराज प्रथम ने एरावतेश्वर मंदिर दारासुरम में बनवाया.
* कुलोतुंग तृतीय कम्पहरेश्वर मंदिर त्रिभुवनम में बनवाया.
* तंजौर के चिदंबरम (विष्णु) का निर्माण कुलोतुंग प्रथम ने कराया था.
* चोल शासनकाल में मूर्ति कला का भी काफी विकास हुआ.
* चोल मूर्तिकला का सर्वोत्तम उदाहरण कास्म निर्मित नटराज की मूर्ति है.
* यह मूर्ति वर्तमान में दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित है.
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