Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
उत्तरवैदिक काल 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक
* उत्तरवैदिक काल के संबंध में जानकारी सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद, ब्राह्मणों, आरण्यको एवं उपनिषदों से मिलती है.
* उत्तरवैदिक काल के संबंध में जानकारी पुरातात्विक साक्ष्यों से भी मिलने लगा है.
* उत्तरवैदिक काल में आर्यों का प्रसार संपूर्ण उत्तर भारत में हो गया था.
* गंगा एवं सरस्वती नदी के मध्य का क्षेत्र (मध्य देश) आर्य सभ्यता का केंद्र बन गया.
* उत्तरवैदिक काल में धीरे-धीरे राज्यों का निर्माण शुरू हुआ.
* उत्तरवैदिक काल में कुरु और पंचाल जैसे विशाल राज्यों की स्थापना हुई.
* पूर्वी भारत में काशी, कौशल एवं विद्रोह आदि राज्यों की स्थापना हुई.
* पूर्वी भारत में मगध और अंग अनार्य राज्य थे.
* मगध की चर्चा सर्वप्रथम अथर्वेद में मिलती है, अथर्वेद में मगध के लोगों को श्राव्य (अपवित्र) कहा गया है.
सामवेद-
* सामवेद 1603 मंत्र है, इनमें से अधिकतर ऋग्वेद से लिए गए हैं, एक मात्र 75 श्लोक नए हैं.
* सामवेद के मंत्रों को गीतों के रूप में गाया जाता था.
* भारतीय संगीत की उत्पत्ति सामवेद से ही हुई है.
* गंधर्व वेद को सामवेद का उपवेद माना जाता है.
* सामवेद के मंत्रों के पाठ करने वालों को उद्गाता कहा जाता है.
यजुर्वेद-
* यजुर्वेद में यज्ञ से संबंधित विधान है.
* यजुर्वेद में कर्मकाण्डो के लिए श्लोकों का संकलन किया गया है.
* अन्य सभी वेद पद में है, जबकि यजुर्वेद पद्द एवं गद्द दोनों में है.
* यजुर्वेद दो भागों में विभक्त है- कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद.
* कृष्ण यजुर्वेद पद्द में है एवं शुक्ल यजुर्वेद गद्द में लिखा गया है.
* ऐतिहासिक दृष्टि से यजुर्वेद महत्वपूर्ण है.
अथर्वेद-
* अथर्वेद 20 खंडों में विभक्त है.
* अथर्वेद में 711 श्लोक है.
* अथर्वेद में अन्य आर्यों से संबंधित रीति-रिवाजों एवं क्रिया-कलापों की जानकारी मिलती है.
* अथर्वेद में रोग उसका निदान, जादू-टोना तथा तंत्र-मंत्र का भी उल्लेख है.
* अथर्वेद के दो भाग हैं- पैप्लाद एवं शौनक
* कुछ लोगों का मानना है कि अथर्वेद की रचना अथर्वा ऋषि ने की है.
ब्राह्मण-
* वेदों की व्याख्या करने वाले ग्रंथ को ब्राह्मण कहते हैं.
* ब्राह्मणों की रचना और वेदों के बाद हुई थी.
* ब्राह्मणों की संख्या 5 है.
* सभी वेद के अलग-अलग ब्राह्मण है.
* ऋग्वेद के दो ब्राह्मण है.
ब्राह्मण ग्रंथ निम्नलिखित है-
वेद ब्राह्मण
ऋग्वेद एतेरेय ब्राह्मण एवं कौशितकी ब्राह्मण
सामवेद पंचविश ब्राह्मण एवं जैमितीय ब्राह्मण
यजुर्वेद शतपथ ब्राह्मण
अथर्ववेद गोपथ ब्राह्मण
* ऐतिहासिक दृष्टि से शतपथ ब्राह्मण सबसे महत्वपूर्ण है.
आरण्यक (आरण्यक जंगल)-
* आरण्यकों की रचना ब्राह्मण ग्रंथों के बाद की गई है.
* आरण्यकों कि ब्राह्मण ग्रंथ का अग्रिम भाग माना जाता है.
* आरण्य में कर्मकांडो में निहित तत्वदर्शन को समझाया गया है.
* आरण्यकों की रचना जंगलों में हुई थी, इसी कारण इन ग्रंथों को आरण्यक कहा जाता है.
* भारतीय दर्शन की उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है, लेकिन इसका विकास आरण्यकों में देखा जा सकता है.
उपनिषद–
* आरण्यकों के बाद उपनिषदों की रचना की गई है.
* उपनिषदों की रचना वैदिक ग्रंथों के अंत में हुई थी, इसलिए इनको वेदांत भी कहा जाता है.
* उपनिषदों में मुख्य रूप से दर्शन है.
* उपनिषदों में ब्रह्म, जीव, आत्मा,जगत, परमात्मा आदि का उल्लेख है.
* उपनिषदों में चर्चा का विषय ब्रह्म है, इसलिए उपनिषदों को ब्रह्मविद्या भी कहा जाता है.
* वैदिक उपनिषदों की संख्या 13 है.
* हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते” मुंडकोपनिषद से लिया गया है.
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