Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
उत्तरवैदिक कालीन संस्कृति
* ऋग्वेदिक काल संस्थाओं की स्थापना का काल था, जबकि उत्तरवैदिक काल इस संस्थाओं के विकास का काल था.
* ऋग्वेदिक काल की अपेक्षा उत्तरवैदिक काल में कई परिवर्तन देखने को मिलते हैं.
उत्तरवैदिक कालीन राजनीतिक जीवन
* उत्तरवैदिक काल में विशाल राज्यों की स्थापना हुई है.
* विशाल राज्यों के कारण राजा की शक्ति में अपार वृद्धि हुई थी.
* वह अब कबीले का राजा नहीं बल्कि एक विशाल भू-क्षेत्र का एक छत्र शासक थे.
* आचार्य ब्राह्मण में राजा की उत्पत्ति का पहली बार उल्लेख मिलता है.
* उत्तरवैदिक काल में राजा के लिए बड़ी-बड़ी उपाधियों जैसे- राजाधिराज, सम्राट, विराट, एकराट आदि का उल्लेख किया गया है.
* उत्तरवैदिक काल में राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाने लगा था.
* राज्यशासन चलाने के लिए उत्तरवैदिक काल में कुछ पदाधिकारियों की नियुक्ति होने लगा था.
* उत्तरवैदिक काल में उच्च प्राधिकारीयों को रतनी कहा जाता था.
* उत्तरवैदिक काल में रतनो की संख्या 12 थी.
* प्रमुख रतनी थे- रानी पुरोहित, सेनानी सूत, (रथ सेना का प्रधान), संग्रहिता (टैक्स एकत्र करने वाला कोषाध्यक्ष), भागधुक (वित्त मंत्री), तक्षा (वदैयी), रथकार (रथ बनाने वाला), ग्रामणी (मुखिया)
* उत्तरवैदिक काल में जनप्रतिनिधि संस्थाओं सभा एवं समिति का महत्व कम हो गया क्योंकि राजा पद वंशानुगत हो गया.
* उत्तरवैदिक काल में सभा एवं समिति के महत्व को बनाए रखने के लिए अथर्वेद में इन्हें प्रजापति की दो पुत्रियां कहा गया है.
* उत्तरवैदिक काल में विदध नामक संस्था का अस्तित्व समाप्त हो गया.
* उत्तरवैदिक काल में राजकीय खर्च बढ़ गया, इसके लिए बलि नामक नियमित कर की व्यवस्था की गई है.
* यह कर संपूर्ण उपज का 16वां भाग लिया जाता था.
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