Ancient History Notes in Hindi
सिंधु घाटी में कालिवंगा की सभ्यता
सिंधु घाटी में कालिवंगा की सभ्यता
* कालीबंगा हडप्पा से 200 किमी दूर सुखी धग्गर नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है.
* कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण नगर था
* कालीबंगा की सर्वप्रथम खोज 1953 में अमलानन्द घोष ने की थी.
* कालिवंगा का उत्खनन 1961 ई. में डॉ. बी. बी. लाल एवं बी. के थापड़ ने कराया था.
* कालीबंगा के उत्खनन में निचली सतह से पूर्व सिन्धु सभ्यता के तथा ऊपरी सतह से सिन्धु सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं
* कालिवंगा (राजस्थान) का अर्थ काले रंग की चूड़िया होता है.
* कालिवंगा सिंधुघाटी सभ्यता के एक महत्वपूर्ण नगर था इसलिए कुछ विद्वानों ने मोहनजोदरों और हड़प्पा
के बाद इसे सिंधुघाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी कही है।
* कालिवंगा के उत्खनन से दो सांस्कृतिक स्तर के प्रमाण मिलते है-
(i) प्राक हड़प्पाकालिन
(ii) हड़प्पाकालिन 2350 ई.पू. – 1750 ई.पू.
* कालिवंगा के प्राक हड़प्पा स्तर से एक जुते हुए खेत का साक्ष्य मिलता है इसमें आरी और तिरछी
जुताई की गई थी।
* जुताई के गहराइयो के बीच कि दुरी पूर्व से पश्चिम 30cm तथा उत्तर से दक्षिण 190 Cm है.
* विद्वानों का मानना है कि कम दूरी वाली गहराइयो में चना तथा अधिक दूरी वाली गहराइयों में
सरसों वोंया जाता था.
* कालिवंगा के हड़प्पाकालिन स्तर से अग्निकुंड अलंकृत ईंट आदि का प्रमाण मिला है.
* कालिवंगा की योजना कई लिहाज से हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समान है, हालांकि यह इन दोनों से छोटी है.
* कालिवंगा हड़प्पा की तरह नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है और इसका दिग्गवन्यास भी उत्तर-दक्षिण है.
* कालिवंगा नगर-दुर्ग की योजना स्पष्ट है, जिसमें दो लगभग समान समानान्तर विषम चतुर्भुज एक मजबूत
दीवार से एक-दूसरे से विभाजित है.
* कालिवंगा से उत्तरी हिस्से में सामान्य मकान बने हुए मिले, जबकि दक्षिणी हिस्से में कई रहस्यमयी ईंटों
के चबूतरे मिले है, जो शायद यज्ञ आदि के लिए बनाए गए होंगे.
* कालिवंगा से निचले नगर में गलियों का नियमित जाल मिला है, जो मोहनजोदड़ो की गलियों की याद
दिलाता है.
* कालिवंगा में उत्खनन से एक समानान्तर चतुर्भुजाकार दुर्ग या किला का साक्ष्य मिला है, जिसमें पूर्व
दिशा की ओर अभिमुख अच्छी तरह से बनाए मकान थे.
* कालिवंगा के एक साधारण मकान में आँगन, कुछ कमरे तथा जमीन के अन्दर (गड्ढे में) एवं ऊपर बने
चूल्हे का प्रमाण मिले हैं.
* कालिवंगा के उत्खनन में हल से भूमि की जुताई, एक-दूसरे से समकोण बनाती हल-रेखाओं वाली भूमि
का प्रमाण मिले हैं.
* कालिवंगा के उत्खनन में ताँबा गलाने की तकनीकि का ज्ञान, गोमेद एक स्फटिक के फलकों (ब्लेडों)
का प्रयोग तथा छह विभिन्न प्रकार की बनावट वाले बर्तनों के अवशेष भी मिले हैं.
* कालिवंगा के उत्खनन से सीपी की चूड़ियाँ, सेलखड़ी के तश्तरी जैसे मनकों के बारे में जानकारी मिली है.
* कालिवंगा के मकानों में कच्ची ईंटों का प्रयोग किया जाता था.
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