Ancient History Notes in Hindi

Ancient History Notes in Hindi

                                   बौद्ध धर्म-

* भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी.

* छठी शताब्दी ईसा पूर्व के नास्तिक संप्रदायों में बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है.

                        भगवान बुद्ध की जीवनी-

* गौतम बुध का जन्म 563  ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी वन में हुआ था.

* कपिलवस्तु वर्तमान में नेपाल की तराई में स्थित है तथा लुंबनी वन को वर्तमान में रुम्मन देई के नाम से जाना जाता है.

* बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन एवं माता का नाम माया देवी था.

* बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था.

* बुद्ध के पिता शाक्य वंश के क्षत्रिय थे.

* बुद्ध गौतम गोत्र के थे.

* शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा थे.

* बुद्ध के जन्म के 7 दिनों के बाद ही इनकी मां का देहांत हो गया.

* इनका पालन-पोषण विमाता (सौतेली माता)- महा प्रजापति गौतमी ने किया.

* 16 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा (भद्रा कात्यायनी) से हुआ.

* यशोधरा सिद्धार्थ को राहुल नामक एक पुत्र की प्राप्ति हुई.

* सिद्धार्थ बचपन से ही चिंतनशील प्रकृति के थे.

* इन्होंने 29 वर्ष की आयु में सांसारिक समस्या से व्यक्ति (दुखी) होकर गृह त्याग कर दिए.

* गृह त्याग की घटना को बौद्ध ग्रंथों में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है.

* गृह त्याग के उपरांत सिद्धार्थ वैशाली में अलार-कलाम के आश्रम में आए तथा रूद्रकरामपुत के पास भी गए.

* अलार-कलाम बुद्ध के प्रथम गुरु थे तथा दूसरा रूद्रकरामपुत.

* सिद्धार्थ वैशाली से उरूबेला (बोधगया) गए, वहां पर निरंजना नदी के तट पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा की आधी रात को 6 वर्षों की तपस्या के बाद इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई.

* ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ का नाम बुद्ध हो गया.

* भगवान बुद्ध जीवन बौद्ध धर्म का प्रचार करते हुए 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में अपना प्राण त्याग दिए.

* इनकी मृत्यु को बौद्ध ग्रंथों में महापरिनिर्वाण नाम दिया गया है.

* भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अवशेषों पर आठ स्तूपों का निर्माण हुआ है.

* बुद्ध की मृत्यु पेचिस रोग से हुआ था.

* ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध सर्वप्रथम सारनाथ (ऋषिपतन) आए, यहां मृगदाव (हिरण) नामक स्थान पर उन्होंने सर्वप्रथम पांच ब्राह्मणों को बौद्ध धर्म का उपदेश दिया.

* इस प्रथम उपदेश को बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है.

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