Ancient History Notes in Hindi

Ancient History Notes in Hindi

                                           Ancient History Notes in Hindi

                            कनिष्क समय 78 ई. से 101 ई. तक

* बिंब कडफिसेस के बाद उसका पुत्र कनिष्क कुषाण वंश का शासक बना.

* कनिष्क, कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था.

* कनिष्क ने 78 ई. में शक संवत की शुरुआत की थी.(सूत्र-वर्तमान वर्ष – 78 ई.=?)

* भारत सरकार ने शक संवत को ही राष्ट्रीय संवत घोषित किया है.

* शक संवत का पहला महीना चैत्र से शुरू होता है.

* कनिष्क एक महान विजेता था.

* कनिष्क ने मध्य एशिया एवं चीन तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल किया था.

* कनिष्क भारत का पहला शासक था, जिसने चीन को पराजित किया था.

* प्राचीन विश्व का महान रेशम मार्ग (चीन से रोम तक) के अधिकतर भागों पर कनिष्क का अधिकार था.

* कनिष्क के समय कुषाण साम्राज्य की दो राजधानियां थी- पुरुषपुर (पेशावर पाकिस्तान)  तथा मथुरा (यूपी).

* कुषाणों की प्रमुख राजधानी पुरुषपुर (पेशावर) में थी. 

* कनिष्क बौद्ध धर्म को मानता था.

* कनिष्क के सिक्कों पर बुद्ध की आकृतियां मिलती है.

* कनिष्क के शासन काल में ही कश्मीर के कुंडल वन में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था.

* इस संगीति की अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी.

* चतुर्थ बौद्ध संगीति में ही बौद्ध धर्म का दो भागों- हीनयान एवं महायान में विभाजन हुआ था.

* कनिष्क बौद्ध धर्म की महायान शाखा का उपासक था.

* कनिष्क के महायान शाखा अपनाने के बाद ही बुद्ध की मूर्ति पूजा आरंभ हुई है.

* बुद्ध की मूर्तियों के निर्माण के लिए कनिष्क के शासन काल में ही मथुरा कला शैली एवं गांधार कला शैली का विकास हुआ था.

* विद्वानों के अनुसार बुद्ध की पहली मूर्ति मथुरा कला शैली में बनी थी.

* गांधार कला शैली को ही हिंद यूनानी कला शैली या इंडो ग्रीक कला शैली या भारत रोमन कला शैली कहा जाता है.

* कनिष्क विद्वानों एवं कलाकारों का संरक्षक था.

* अश्वघोष कनिष्क के ही राज दरबार में रहते थे.

* अश्वघोष ने ही बुद्ध चरित्र (बौद्ध धर्म का महाकाव्य) एवं सौन्द्रानंद की रचना की थी.

* अश्वघोष को भारत का मिल्टन (इंग्लैंड के अंग्रेजी राइटर) गेट, कांट एवं वाल्टेयर (इटली के) के नाम से जाना जाता है.

* बौद्ध धर्म के महान विद्वान एवं शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन कनिष्क के दरबार में रहते थे.

* नागार्जुन को भारत का आइंस्टीन कहा जाता है.

* नागार्जुन के अतिरिक्त महाविभाष शास्त्र के रचनाकार वसुमित्र एवं महान चिकित्सक चरक भी कनिष्क के ही दरबार में रहते थे.

* महाविभाष शास्त्र को बौद्ध धर्म का विश्व कोष कहा जाता है.

* कनिष्क ने बौद्ध धर्म के विकास के लिए कई स्तूपों का निर्माण कराया.

* कनिष्क को द्वितीय अशोक के नाम से भी जाना जाता है.

* कुषाण शासक देवपुत्र एवं शाहिसाहाशुनाही जैसा उपाधि धारण करते थे.

* कनिष्क के बाद वशिष्क, हुविष्क एवं वासुदेव (101 ई. से  240 ई. तक) आदि शासक बने.

* हुविष्क कृष्ण का उपासक था.

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