Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
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समुद्रगुप्त 350 ई. से 375 ई. तक
* चंद्रगुप्त प्रथम के बाद उसका पुत्र समुद्रगुप्त मगध का शासक बना.
* यह चंद्रगुप्त प्रथम एवं लिक्ष्वी राजकुमारी कुमार देवी का पुत्र था, इसलिए इसे लिक्ष्वी दौहित्र कहा जाता है.
* समुद्रगुप्त बहुत ही शक्तिशाली एवं महत्वाकांक्षी शासक था.
* इसने संपूर्ण पृथ्वी को जीतने का संकल्प लिया.
* इसने धर्निबंध (संपूर्ण पृथ्वी विजय) की योजना बनाई.
* समुंद्रगुप्त के उपलब्धियों एवं विषयों का उल्लेख इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख (प्रयाग प्रशस्ति) में मिलता है.
* प्रयाग प्रशस्ति के रचनाकार समुद्रगुप्त के मंत्री हरिषेण थे.
* समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त के 3 राजाओं को पराजित कर उत्तर भारत से अपना विजय अभियान शुरू किया.
* इसके बाद समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के 12 राजाओं को पराजित किया.
* समुद्रगुप्त के दक्षिण भारत अभियान को दक्षिणा पथ विजय कहा जाता है.
* इन राज्यों के अतिरिक्त आटविक राज्यों (जंगली राज्य) सीमावर्ती राज्यों (असम, नेपाल आदि) तथा विदेशी शासकों (शकमुरुंड कुसान) आदि को बुरी तरह पराजित किया.
* इसके विजयों से प्रभावित होकर ही समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है.
* यह पदवी समुद्रगुप्त के लिए प्रमुख इतिहासकार बीए स्मिथ ने दिया था.
* समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ भी किया था, इसकी पुष्टि उसके अश्वमेघ प्रकार के स्वर्ण सिक्कों से होती है.
* समुंद्र गुप्त ना केवल योद्धा था, बल्कि वह एक महान कलाकार एवं साहित्यकार भी था.
* समुद्रगुप्त एक कुशल वीणा वादक था.
* समुद्रगुप्त को कविराज भी कहा गया है.
* समुद्रगुप्त के ही समय श्रीलंका के शासक मेघवर्मम ने बोधगया में एक मंदिर बनवाने के लिए आज्ञा मांगा था.
* अपने समय के प्रकांड विद्वान हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबार में रहते थे.
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