Bpsc gk notes in hindi
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* निम्नांकित में से कौनसा समूह सही कालक्रम को सूचित करता है ?
1. कश्मीर के राजा द्वारा भारतीय संघ में कश्मीर के विलय की घोषणा
2. जूनागढ़ का भारत में विलय
3. हैदराबाद रियासत का भारतीय सेना के समक्ष समर्पण.
4. कायदे आजम मु अली जिन्ना की मृत्यु.
(A) 1, 2, 3, 4
(B) 1, 2, 4, 3
(C) 4, 3, 2, 1
(D) 2, 3, 1, 4
NOTES- कश्मीर के राजा द्वारा भारतीय संघ में कश्मीर के विलय की घोषणा 26 अक्टूबर 1947
जूनागढ़ का भारत में विलय- 20 जनवरी,1948
कायदे आजम मु. अली जिन्ना की मृत्यु – 11 सितम्बर,1948
हैदराबाद रियासत का भारतीय सेना के समक्ष समर्पण – 22 सितम्बर, 1948
* सूची-1 को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूटों का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिए-
सूची-I
(a) पेशवा
(b) होल्कर
(c) भोंसले
(d) सिंधिया
सूची-II
1. बेसीन की संधि
2. राजपुर घाट की संधि
3. देवगाँव की संधि
4. सुर्जी अर्जुन गाँव
कूट :
(a) (b) (c) (d)
(A) 1 2 3 4
(B) 3 4 1 2
(C) 1 4 3 2
(D) 3 2 1 4
NOTES- बसीन की संधि ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी और बाजी राव द्वितीय के बीच 31 दिसम्बर 1802 के
पूना की लड़ाई के सभि द्वितीय आग्ल-मराठा युद्ध के दौरान 17 दिसम्बर 1803 को घुजी भोसले एवं
कम्पनी के बीच यह सचि हुई थी राजपुर घाट की संधि 24 दिसम्बर, 1805 ई को यशवंतराव होल्कर
और ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच हुई सुर्जी अर्जुनगाँव की सधि 30 दिसम्बर, 1803 को ब्रिटिश
ईस्ट इण्डिया कम्पनी और सिधिया के बीच हुई थी.
* निम्नांकित में से कौन 1857 ई. के विद्रोह से सम्बन्धित नहीं था ?
(A) अशफाकुल्ला खान
(B) मौलवी अहमदुल्ला
(C) लक्ष्मीबाई
(D) अमर सिंह
NOTES- अशफाक उल्ला खाँ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे उन्होंने काकोरी काण्ड
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ब्रिटिश शासन में उनके ऊपरे अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर, 1927
को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका दियो गया.
* लॉर्ड डलहौजी के काल में व्यपगत सिद्धान्त (Doctrine of Lapse) के तहत् मिलाए गए राज्यों की सूची में कौनसा कूट क्रमबद्ध है ?
1. सतारा
2 संभलपुर
3. नागपुर
4. वघाट
(A) 1,2,3,4
(B) 4,3,2,1
(C) 2,1,4,3
(D) 1,2,4,3
NOTES- व्यपगत का सिद्धान्त एक साम्राज्यवाद समर्थक उपागम था जिसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश राज्य क्षेत्र
का विस्तार करना था. इस सिद्धान्त का प्रारम्भ लॉर्ड डलहौजी द्वारा किया गया था. इस सिद्धान्त के
अनुसार वे राज्य, जिनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था, अपने शासन करने के अधिकार खो देते थे साथ
ही उत्तराधिकारी को गोद लेने पर भी उनके राज्य वापस प्राप्त नहीं किए जा सकते थे सतारा (1848 ई )
जयपुर (1849 ई.). संभलपुर (1849 ई.), बाहत (1850 ई.). उदयपुर (1852 ई.). झाँसी (1853 ई.). नागपुर
(1854 ई.) ऐसे भारतीय राज्य थे जिनका डलहौजी द्वारा व्यपगत के सिद्धान्त के आधार पर ब्रिटिश साम्राज्य
में विलय कर लिया गया था.
* द्वितीय अफगान युद्ध के समय भारत का कौन वायसराय था ?
(A) डफरिन
(B) लिटन
(C) रिपन
(D) मेयो
NOTES- द्वितीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध 18781880 ई. तक लड़ा गया. यह युद्ध वायसराय लॉर्ड लिटन प्रथम
(1876-1888 ई.) के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ इस दूसरे युद्ध में विजय के लिए अंग्रेजों को भारी
कीमत चुकानी पड़ी.
* बंगाल के लिए सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किस ऐक्ट के तहत् की गई थी ?
(A) रेगुलेटिंग एक्ट 1773 ई.
(B) हाईकोर्ट एक्ट ऑफ बंगाल
(C) पिट इंडिया एक्ट
(D) सुप्रीम कोर्ट एक्ट ऑफ बंगाल
NOTES- भारत में सर्वप्रथम सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना रेगुलेटिंग अधिनियम, 1773 ई. के अन्तर्गत हुई थी
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 में क्राउन द्वारा एक मुख्य तथा तीन छोटे जजों वाले एक सर्वोच्च न्यायालय की
स्थापना का प्रावधान था इस सर्वोच्च न्यायालय को साम्य न्याय तथा देश विधि के न्यायालय नौसेना विधि
के न्यायालय तथा धार्मिक न्यायालय के रूप में काम करना था. यह / न्यायालय 1774 में गठित किया गया
और सर एलिजाह इम्पे मुख्य न्यायाधीश तथा चेम्बर्स लिमैस्टर और हाइड छोटे न्यायाधीश नियुक्त हुए।
* कथन 1: रेगुलेटिंग एक्ट 1973 ई. में कम्पनी अधिकृत भारतीय भू-भागों के नागरिक सैन्य एवं वित्तीय मामलों को चलाने का अधिकार ब्रिटिश संसद को दिया.
कथन 2: पिट्स इण्डिया ऐक्ट के अनुसार भारतीय उपनिवेश के भू-भागों के प्रशासन का नियंत्रण संसद की एक प्रतिनिधि सभा को दिया जाना था, जबकि वाणिज्य पर कम्पनी का ही अधिकार बना रहना था.
(A) कथन 1 तथा कथन 2 दोनों सत्य हैं
(B) कथन 1 और कथन 2 दोनों गलत हैं
(C) कथन 1 सही है, कथन 2 गलत है
(D) कथन 2 सही है, कथन 1 गलत है
NOTES- 1784 के पिट्स इण्डिया अधिनियम/ की विशेषताएं-
नियंत्रण बोर्ड की स्थापना की गई जिसमें अधिकतम 6 सांसद थे बोर्ड का नेतृत्व वरिष्ठ कैबिनेट सदस्य करता
था जो ईस्ट इंडी में क्षेत्रीय सम्पत्ति से सम्बन्धित कम्पनी के मामलों को नियंत्रित करने के लिए क और अधीक्षक
था.
● कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा स्थापित एके गुप्त समिति होनी चाहिए, जो बोर्ड और कोर्ट के बीच एक कड़ी के
रूप में कार्य करेगी
● गवर्नर जनरल के लिए परिषद् में तीन सदस्य होने चाहिए यदि किसी भी मामले में एक बैठक में उपस्थित परिषद्
के सदस्य समान रूप से तीन विभाजित होते हैं तो गवर्नर जनरल को दो मतों से निर्णय लेने का अधिकार था, एक उसका स्वयं का और दूसरो निर्णायक मत था,
● सरकार को राजस्व मामलों के साथ प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए माँग और राजस्व मांग की मध्यम दर पेर
जमींदारों के साथ स्थायी निपटान स्थापित करना चाहिए सरकार को नए राज्य के संचालन के लिए स्थायी प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली स्थापित करनी चाहिए
* 1861 ई. के इण्डियन कौंसिल एक्ट ने गवर्नर जनरल की परिषद् का विस्तार कर उसकी संख्या को बढ़ा दिया निम्नांकित में से कौनसा समूह सदस्यों की प्रारम्भिक तथा विस्तारित संख्या का प्रतिनिधित्व करता है ?
(A) 4-8
(B) 6-12
(C) 6-8
(D) 3-4
NOTES- 1861 ई. के इण्डियन कौंसिल एक्ट द्वारा वागेसराय की परिषदों का विस्तार किया गया और कानून निर्माण
के उद्देश्य से अतिरिक्त सदस्यों की संख्या न्यूनतम् 6 और अधिकतम 12 तक कर दी गई. ये सदस्य गवर्नर
जनस्ल द्वारा नामित किए. जाते थे और इनका कार्यकाल दो वर्ष था अतः कुल सदस्य संख्या बढ़कर 17 हो
गई.
* राजा राममोहन राय से सम्बन्धित निम्नांकित तथ्यों को सही कालानुक्रम में व्यवस्थित कर उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए-
1. आत्मीय सभा की स्थापना
2. शब्दकौमुदी का प्रकाशन
3. मीरात उल अखबार का प्रकाशन
(A) 1,3,2
(B) 2,3,1
(C) 3,1,2
(D) 1,2,3
NOTES- आत्मीय सभा की स्थापना – 1815
शब्दकौमुदी का प्रकाशन- 1821
मीरात उल अखबार का प्रकाशन-अप्रैल1822
* निम्नांकित में से कौनसा जोड़ा सुमेलित है ?
(A) धर्मसभा– गोपाल हरिदेशमुख
(B) लोकहितवादी – राधाकान्त देव
(C) देवसमाज- राधाकुमुद अग्निहोत्री
(D) राधास्वामी आन्दोलन- तुलसीराम
NOTES- धर्मसभा – राधाकान्त देव
लोकहितवादी – गोपाल हरिदेशमुख
देवसमाज – शिवनारायण अग्निहोत्री
राधास्वामी आन्दोलन – तुलसीदास
* निम्नांकित में से किसका सम्बन्ध रहनुमाई मजदायासन सभा से नहीं रहा है ?
1. दादाभाई नौरोजी
2. जे.वी. वाचा
3. नौरोजी फरदूनजी
4. फिरोजशाह मेहता
5. हृदयनाथ कुंजरू
(A) 1, 2, 3
(B) 3, 4, 5
(C) 2, 3, 5
(D) 4,5
NOTES- रहनुमाई मजदायासन सभा की स्थापना नौरोजी फुरदान जी, वांदाभाई नौरोजी और एस. एस. बंगाली
के द्वारा 1851 ई में बम्बई में की गई थी. यह सभा एक पारसी धर्म सुधार आन्दोलन से सम्बन्धित थी
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