Medieval History Notes in Hindi
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अलाउद्दीन खिलजी -1296- 1316 ई. तक
* अलाउद्दीन खिलजी प्रशासन में उलेमा वर्ग (धार्मिक गुरु) से कोई सलाह नहीं लेता था और न ही उन्हें प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप करने देता था
* अलाउद्दीन खिलजी फ्रांस के शासक लुई 14वें के समान पूर्णत: निरंकुश शासक था.
* अलाउद्दीन के समय में नवीन मुसलमानों अकत खाँ एवं हाजीब मौला आदि सरदारों का विद्रोह हुआ था तथा सभी विद्रोह को सफलता पूर्वक दवा दिया गया.
* अलाउद्दीन के अनुसार उसके समय में हुए इन विद्रोह के निम्नलिखित चार कारण थे-
(1) सुल्तान प्रजा एवं अधिकारियों के अच्छे एवं बुरे कार्यों से अंभिक था.
(2) सरदारों के आपसी वैवाहिक संबंध.
(3) शराब पीना एवं शराब की दावते करना.
(4) सरदारों के पास अत्यधिक संपत्ति का संचित होना.
* विद्रोह के इन कारणों को समाप्त करने के लिए अलाउद्दीन ने चार अध्यादेश (अधिकारी का आदेश) जारी किए.
(1) पहले अध्यादेश के द्वारा दान में दी गई भूमि, उपहार, पेंशन आदि छीन ली गई एवं कर की दर बढ़ा दी गई 1/3 से 1/2 कर दी गई
(2) दूसरे अध्यादेश के द्वारा एक अच्छे गुप्तचर विभाग का संगठन किया गया इस गुप्त चरो को बरीद, मुन्ही, मुन्हीयान् कहा जाता है.
(3) तीसरे अध्यादेश के द्वारा अलाउद्दीन ने शराब एवं भाँग जैसे मादक द्रव्यों का प्रयोग तथा जुआ खेलना बंद करा दिया.
(4) चौथे अध्यादेश के द्वारा अलाउद्दीन ने अमीरों एवं सरदारों की दावतो, पारस्परिक मेलजोल और विवाह संबंधों पर प्रतिबंध लगा दिया.
* अलाउद्दीन की राजस्व व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य एक शक्तिशाली और निरंकुश राज्य की स्थापना करना था.
* साम्राज्य विस्तार की लालसा की पूर्ति और मंगोलों के आक्रमण से सुरक्षा करने के लिए उसे एक बड़ी सेना की आवश्यकता थी तथा उसके लिए राज्य के आय में वृद्धि करना आवश्यक था.
* अलाउद्दीन ने लगान (भू-राजस्व) उपज का 1/2 भाग कर दिए, जो कि सल्तनत काल के पिछले सुल्तानों के समय में उपज का 1/3 था.
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