Medieval History Notes in Hindi
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कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी 1316 से 1320 ई. तक
* अलाउद्दीन की मृत्यु के पश्चात लगभग 35 दिनों तक दिल्ली की गद्दी पर मलिक काफूर का सिहाबुद्दीन उमर के संरक्षण के रूप में अधिकार रहा.
* मलिक काफूर एक-एक करके अलाउद्दीन के सभी वंशजों को समाप्त कर स्वयं को शासन स्थापित करना चाहता था.
* इसी क्रम में उसने अलाउद्दीन के तीसरे पुत्र मुबारक खां को भी अंधा करने के लिए कुछ सैनिकों को भेजा.
* मुबारक खां ने उन सैनिकों को वफादारी की याद दिलाई तथा उन्हें अपना हीरो का हार भेंट किया.
* तथा इस तरह अपना बचाव करते हुए वह मलिक काफूर की हत्या करवाने में सफल रहा.
* 1316 ई. में मुबारक खां, कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा.
* कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने अलाउद्दीन द्वारा दिए गए सभी कठोर आज्ञाओं को रद्द कर दिया.
* कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित कर दिया ऐसा करने वाला वह दिल्ली का एक मात्र सुल्तान था.
* कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी पर खुशरव खां नामक सरदार का काफी प्रभाव था, उसके प्रभाव में आकर कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी भोग विलास में संलिप्त हो गया.
* उसे नग्न स्त्री-पुरुषों की संगत पसंद थी, वह अत्यधिक शराब पीने लगा तथा स्त्रियों का वस्त्र पहन कर दरबार में आने लगा.
* परंतु मुबारक खिलजी की सबसे बड़ी भूल खुशरव खां के प्रति उसका काफी मोह था.
* 1320 ई. में खुशरव खां ने महल में घुसकर सुल्तान मुबारक खिलजी की हत्या कर दी तथा स्वयं को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया था.
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