Medieval History Notes in Hindi

Medieval History Notes in Hindi

                               Medieval History Notes in Hindi

                हुमायूँ 1530 ई. से 1540 ई. पुन: 1555 ई. से 1556 ई. तक

* बाबर के सबसे बड़े पुत्र हुमायूँ का जन्म 9 मार्च 1508 ई. को काबुल में हुआ,

* हुमायूँ की माँ का नाम माहम सुल्ताना था.

* हुमायूँ के छोटे भाई कामरान और असकरी गुलरूख बेगम से और सबसे छोटा भाई हिंदाल, दिलदार बेगम से उत्पन्न बाबर की संताने थी.

* हुमायूँ ने पिता द्वारा प्राप्त साम्राज्य में से असकरी को संभल, हिंदाल को मेवात तथा कमरान को काबुल तथा कंधार दे दिया.

* इसके पश्चात कमरान ने पंजाब, हिसार और फिरोजा पर अधिकार कर लिया.

                        हुमायूँ का विजय अभियान –

* 1531 ई. में हुमायूँ ने कालिंजर पर आक्रमण किया तथा एक संधि के तहत इस युद्ध की समाप्ति हुई.

* उस समय कालिंजर का शासक प्रतापरुद्रदेव थे.

* अगस्त 1532 ई. में हुमायूँ ने दौराहा या दादरा के युद्ध में अफ़गानों को पराजित किया.

* 1532 ई. में ही अफगानों को पराजित करने के पश्चात हुमायूँ ने शेर खां के अधीन चुनार के किलों को घेर लिया.

* यह घेरा 1532 ई.में चलता ही रहा.

* उसी समय गुजरात के शासक बहादुर शाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया.

* इसलिए हुमायूँ को चुनाव अभियान को अधूरा छोड़ कर ही दिल्ली की तरफ कुछ करना पड़ा.(यानि जाना पड़ा ).

* 1535 ई. से 1536 ई. में हुमायूँ ने बहादुर शाह को पराजित कर गुजरात पर अधिकार कर लिया.

* 26 जून 1539 ई. में शेरशाह तथा हुमायूँ के बीच सुप्रसिद्ध चौसा का युद्ध हुआ.

* जिसमें हुमायूँ पराजित हुआ तथा निजाम नामक एक भिस्ती (नाभि) के सहारे अपने प्राण रक्षा करने में सफल रहा.

* चौसा से भाग कर हुमायूँ कन्नौज चला गया, जहां 1540 ई. में कन्नौज या बिलग्राम के युद्ध में शेरशाह के हाथों वह बुरी तरह पराजित हुआ.

* तथा इस विजय के साथ ही शेरशाह का दिल्ली और आगरा पर अधिकार हुआ.

* हिंदुस्तान छोड़ने के उपरांत हुमायूँ फारस चला गया, जहां शाहतहमास्प ने हुमायूँ का स्वागत किया.

* फारस के शाह ने हुमायूँ को 14000 की सेना की सहायता इस तर्क पर देने को तैयार हुआ कि-

1. वह उसे कंधार जीत कर दे देगा.

2. वह स्वयं शीया धर्म को स्वीकार करेगा तथा

3. वह अपने राज्य में शिया धर्म का प्रचार करेगा.

* 1545 ई. में कामरान से काबुल तथा कंधार को जीत लिया तथा शर्त के अनुसार कंधार को जीतकर ईरान के शाह को दे दिया.

* परंतु शाह के मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने पुनः कंधार को अपने अधीन कर लिया.

* हिंदाल हुमायूँ की तरफ से युद्ध करता हुआ 1551 ई. में मारा जा चुका था.

* तथा कामरान एवं असकरी को मक्का (सऊदी अरब) जाने की आज्ञा दे दी गई .

* इस प्रकार 1554 ई. तक हुमायूँ अपने भाइयों से छुटकारा पा चुका था.

* और अफ़गानों (अफगानिस्तान) को अपनी अधीनता में ले चुका था.

* हुमायूं अब भारत पर आक्रमण करने की तैयारी में था.

* मई 1555 ई. में मुगलों और अफ़गानों के बीच मछीवाड़ा का युद्ध हुआ जिसमें मुगल विजय हुआ.

* जून 1555 ई. में सरहिंद का युद्ध हुआ, जिसमें हुमायूँ दिल्ली के शासक सिकंदर शाह को पराजित करने में सफल रहा.

* तथा 15 वर्षों के अवकाश के पश्चात हुमायूँ का पुनः दिल्ली पर अधिकार कर लिया.

* तथा उसने सिकंदर शाह शुर का पीछा करने के लिए अकबर को लगा दिया.

* हुमायूँ ने आगरा में एक दिनपनाह नामक किला एवं पुस्तकालय का निर्माण किया.

* एक दिन जब हुमायूँ दिनपनाह पुस्तकालय की सीढ़ी से उतर रहा था कि उसका पैर अचानक फिसल गया.

* जिससे वह लूढकता हुआ नीचे गिरा तथा 27 जनवरी 1556 ई. को हुमायूँ की मृत्यु हो गई.

*  लेनपुल ने कहा- हुमायूँ का जीवन पर्यंत लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते हुए ही उसकी मृत्यु हो गई.

* हुमायूँ के मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी हाजी बेगम द्वारा दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा बनवाया गया.

* हुमायूँ के दो प्रमुख चित्रकारों मीर सैयद अल्ली और अब्दुसमद को  साथ लाया था, जिन्होंने भारत में चित्रकला की नीव डाली.

* 1541 ई. में हुमायूँ ने हिंदाल के गुरु मीर अल्ली अकबर की पुत्री हमीदा बानु वेगम से निकाह किया.

* हुमायूँ ज्योतिष का बहुत बड़ा जानकार था, इसलिए वह सातों दिन सात रंग के कपड़े पहना करता था.

* हुमायूँ द्वारा ही भारत में मीना बाजार की शुरुआत की गई.

* हुमायूँ द्वारा  उलवगचा नामक एक नए वस्त्र का शुरुआत किया गया.

* हुमायूँ का अर्थ होता है- भाग्यवान या भाग्यशाली लेकिन इसे सबसे भाग्यहीन शासक माना जाता है.

* हुमायूँ के बारे में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत उसकी बहन गुलबदन बेगम द्वारा लिखी गई पुस्तक हुमायूँनामा को माना जाता है.

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