Medieval History Notes in Hindi

Medieval History Notes in Hindi

                              Medieval History Notes in Hindi

                               सूरवंश 1540 ई. से 1555 ई. तक  

                              शेरशाह 1540 ई. से 1545 ई. तक 

                                   शेरशाह की अर्थव्यवस्था-

* शेरशाह का वित्त मंत्री टोडरमल था, जिसने शेरशाह के समय में लगान वसूली के लिए रैयतवारी व्यवस्था को अपनाया.

* जिसमें किसानों से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित किया गया.

* हालांकि इस व्यवस्था में शेरशाह को पूर्ण सफलता नहीं मिली और जागीरदारी व्यवस्था भी साथ-साथ चलती रही.

* शेरशाह के समय में भी लगान की दर उपज का 1/3 थी.

* किसानों को सुविधा थी, की वे लगान को नगद या गल्ले के रूप में दे सकते थे.

* किसानों को सरकार की ओर से पट्टे (पत्र) दिया जाता था.

* जिनमें स्पष्ट किया गया होता था कि उस वर्ष उन्हें कितना लगान देना है.

* किसान कबूलियत पत्र के द्वारा इन्हें स्वीकार करते थे.

* लगान वसूल करने में लगे हुए अधिकारियों के वेतन आदि के लिए महाशिलाना एवं भूमि की पैमाइश के लिए जड़ीवाना नामक दो अतिरिक्त कर लिया जाता था, जो क्रमश: उपज का 5 % एवं 5/2 %(2.5%) हुआ करता था.

* शेरशाह के समय में फसल के उत्पादन के पश्चात उसका दाम निश्चित किया जाता था जिसे रयई कहा जाता था.

* अकाल से सुरक्षा हेतु किसानों से 5/2 % (2.5%) अतिरिक्त कर लिया जाता था.

* शेरशाह ने चांदी का रुपैया एवं तांबे के ताम नामक दो नए सिक्का चलाएं उनपर शेरशाह का नाम तथा टकसाल का नाम अंकित किया गया था जो अरबि या नागरी लिपि में लिखा होता था.

* शेरशाह के रुपए के बारे में स्मिथ ने कहा है-” यह रुपैया वर्तमान में ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली का आधार है”.

* शेरशाह ने मुख्यत: चार सड़कों की मरम्मत करवाई है जिसमें जीटी रोड भी शामिल है.

* जिसका वर्तमान नाम शेरशाह सूरी पथ रखा गया तथा इसे NH2 माना गया है.

* शेरशाह ने सड़कों के किनारे छायादार एवं फलदार वृक्ष लगवाये.

* इसके अलावा शेरशाह ने प्रत्येक दो-दो कोश पर लगभग 1700 सरायों का निर्माण कराया.

* डॉक्टर कानूनगो ने इन सरायों को “साम्राज्य रूपी शरीर की धमनियों कहां है”.

* शेरशाह के समय में पुलिस की कोई पृथक व्यवस्था न थी.

* विभिन्न सैनिक अधिकारी ही अपने-अपने क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए उत्तरदायी होते थे.

* शेरशाह के शासन व्यवस्था के बारे में कहा गया है-” शेरशाह के समय में एक वृद्धा स्त्री भी अपने सिर पर आभूषणों से भरी टोकरी लेकर अंधेरी रात में निर्जन स्थान पर आसानी से यात्रा कर सकती थी.

* शेरशाह के समय में ही मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना की थी.

* शेरशाह ने दिल्ली का पुराना किला तथा इस किले में किला-ए-कुन्हा मस्जिद का निर्माण कराया था तथा कन्नौज नगर को बर्बाद कर उसके स्थान पर शेरशुर नामक एक नए नगर की स्थापना की थी.

* सासाराम स्थित शेरशाह के मकबरे का निर्माण कार्य शेरशाह द्वारा कराया गया.

* लेकिन इसका पूरा इसके पुत्र इस्लाम शाह द्वारा कराया गया था.

* डॉ. कानूनगो ने उसके मकबरे को “बाहर से मुस्लिम एवं अंदर से हिंदू कहां है”.

* कनिंघम ने उसके मकबरे को ताजमहल से भी अधिक सुंदर कहां है.

* शेरशाह ने भी घोड़े को दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखे जाने की प्रथा को अपनाया था.

* जदुनाथ सरकार ने कहा-” शिवाजी और शेरशाह चरित्र और योग्यता की दृष्टि से ही सामान्यनथ वरण समान परिस्थितियों में ही उनका विकास हुआ”.

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