Modern History Notes in Hindi

Modern History Notes in Hindi

                                 Modern History Notes in Hindi

                                           आंग्ल मराठा संघर्ष

                       प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775 ई. से 1782 ई. तक

* प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध का कारण मराठों के आपसी झगड़ों तथा अंग्रेजों की महत्वकांक्षाए थी.

* इस युद्ध की समाप्ति 1782 ई. के सलबाई की संधि से हुई.

* इस संधि को कराने में महादजी सिंधिया ने मध्यस्थ की जीवन बिताई.

* रघुनाथ राव तथा अंग्रेजों के बीच सूरत की संधि 1775 ई. में हुई.

              द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1803 ई. से 1806 ई. तक

* 1800 ई. में नाना फडणवीस की मृत्यु हो गई, इनकी मृत्यु मराठों के लिए अभिशाप बन कर आई.

* नाना फडणवीस की मृत्यु के पश्चात बाजीराव द्वितीय ने अपना घिनौना रूप दर्शाया.

* 1801 ई. पेशवा बाजीराव द्वितीय ने यशवंत राव होलकर के भाई बिठ्ठू जी की हत्या करा दी.

* जिसके फलस्वरूप होलकर ने पुणा पर आक्रमण कर उसे जीत लिया.

* बाजीराव द्वितीय पुणा से भागकर वसीम चला गया तथा अंग्रेजों से 1801 ई. में बसीन की संधि कर ली.

* मराठों के लिए यह संधि काफी अपमान जनक थी, इसलिए भोंसले एवं सिंधिया ने मिलकर अंग्रेजों को चुनौती दी, लेकिन गायकवाड एवं होलकर इससे अलग रहे.

* लॉर्ड वेलेजली तथा लॉर्ड लेक की सेना ने मराठों को पराजित कर संधि करने पर मजबूर किया.

* भोसले ने विवश होकर 1803 ई. में देवगांव की संधि की तथा कटक एवं वर्धा नदी के पश्चिमी भाग अंग्रेजों को दे दिया.

* सिंधिया ने 1803 ई. में सरजी अर्जन गांव की संधि की तथा गंगा और यमुना का क्षेत्र अंग्रेजों को दे दिया.

* 1804 ई. में अंग्रेजों तथा होलकर के बीच युद्ध छिड़ गया तथा 1805 ई. में जॉर्ज बार्लो के शासनकाल में अंग्रेजों तथा मराठों के बीच राजपुर घाट की संधि के द्वारा युद्ध की समाप्ति हुई.

                  तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1817 ई. से 1818 ई. तक

* लार्ड हेस्टिंग्स के शासन काल में अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय ने एक बार पुनः अंग्रेजों की दासता उतार फेंकने की जरूरत की.

* परंतु बाजीराव द्वितीय की हार हुई तथा इस पर सहायक संधि ठोक दी गई.

* तथा उसे पेंशनर बनाकर कानपुर के निकट बिठूर नामक स्थान पर भेज दिया गया.

 * तथा पेशवा का पद को समाप्त कर दिया गया.

* पेशवाओं का क्रम- बालाजी विश्वनाथ 1713 ई. से 1720 ई. तक 

                               बाजीराव प्रथम 1720 ई. से 1740 ई. तक 

                               बालाजी बाजीराव 1740 ई. से 1761 ई. तक 

                              माधव राव 1761 ई. से 1772 ई. तक 

                              नारायण राव 1772 ई. से 1774 ई. तक 

                             माधव नरायण राव 1774 ई. से 1796 ई. तक 

                            बाजीराव द्वितीय 1796 ई. से 1818 ई. तक 

* पानीपत के तृतीय युद्ध के पश्चात मराठा शक्ति पांच भागों में विभाजित हो गई-

* पेशवा पुणे,

* गायकवाड- बडौदा,

* सिंधिया- ग्वालियर,

* भोसले- नागपुर,

* तथा होलकर- इंदौर

* पानीपत के तृतीय युद्ध की समाप्ति का वर्णन एक काशीराज पंडित एक व्यापारी ने बालाजी बाजीराव से 3 शब्दों में किया था-

* ” दो मोती विलीन हो गए (सदाशिवराव एवं विश्वास राव),

* 22 सोने की मुहरे लुप्त हो गई,

* और चांदी तथा तांबे की गणना ही नहीं की जा सकती है.

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