What is the Central-Idea of the poem ‘Fire and Ice’? (कविता ‘Fire and Ice’ का केंद्रीय विषय क्या है?)

What is the Central-Idea of the poem ‘Fire and Ice’? (कविता ‘Fire and Ice’ का केंद्रीय विषय क्या है?)

Answer: The central idea of the poem is based on the meditation about how the world will end. Some people think that some day the world will end in fire. On the other hand, some people say that it will end in ice. The poet has tasted both the fire and the ice. The poet says that both fire and ice are destructive. Here fire stands for the heat of desire and ice stands for hatred. He thinks that our violent desires will end the world. If it survives, it will be ruined by hatred.

(कविता का केंद्रीय विषय इस चिंतन पर आधारित है कि संसार का अंत कैसे होगा। कुछ लोग सोचते हैं कि किसी दिन संसार का अंत अग्नि में हो जाएगा। दूसरी ओर, कुछ लोग कहते हैं कि संसार का अंत बर्फ में होगा। कवि ने अग्नि और बर्फ दोनों का स्वाद चखा है। कवि कहता है कि आग और बर्फ दोनों विध्वंस करने वाली हैं। यहाँ पर अग्नि का अर्थ इच्छाओं की आग से है और बर्फ का अर्थ घृणा है। वे मानते हैं कि हमारी हिंसक इच्छाएँ एक दिन इस संसार को नष्ट कर देंगी। यदि संसार इससे बच गया तो इसे घृणा तबाह कर देगी।)

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