Ancient History Notes in Hindi

Ancient History Notes in Hindi

                                  Ancient History Notes in Hindi

              सिंधु घाटी सभ्यता की समाजिक स्थिति में व्यापार एवं वाणिज्य 

* सिंधु घाटी सभ्यता के लोग राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार करते थे (आंतरिक एवं वाह्य व्यापार).
* इस सभ्यता के लोग आफगानिस्तान, ईरान (फारस), आसमेनिया, मेसोपोटाथियाँ (ईराक) मिश्र आदि देशों से
व्यापार करते थे ।
* सुमेरिया (मेसोपोटामियाँ) के शासक सारगोना के एक अभिलेख में बताया गया है कि सुमेरिया के लोग मिल्हा,
दिलमून, एवं मगन से व्यापार करते है.
* विद्वानों का मानना है की सिंधु घाटी सभ्यता के लिए हि मेलुहा शब्द का प्रयोग किया गया है.
* दिलमुन- बहद्वीप  के लिए तथा मगन मकरान (पाकिस्तान) तट के लिए प्रयुक्त किया गया है.
* सिंधु घाटी सभ्यता के लोग विदेश से निम्नलिखित समान मंगाते थे।
समान                                             देश 
ताम्बा                                         खेतड़ी (राजस्थान)
टिन                                           इरान एवं अफगानिस्तान
चाँदी                                          इरान एवं अफगानिस्तान
सोना                                          कोलार (कर्नाटक)
लाजबर्द                                      वदखशाँ (अफगानिस्तान)
निल रत्न                                      वदखशाँ (अफगानिस्तान)
संख एवं कौडिया                          दक्षिण भारत
सिसा, जस्ता                                राजस्थान, इरान, अफगानिस्तान
फिरोजा                                      मध्य एशिया
* सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वाह्य देशों को सुती वस्त्र हाथी दांत से बने समान सोना इमारती लकड़ी एवं मोर
पक्षी आदि का निर्यात करते थे.
* सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का व्यापारिक संबंध सुमेरिया (मेसोपोटामिया) मिश्र फारस (इरान) आदि देशों
के साथ था।
* आंतरिक और वाह्य व्यापार वस्तु विनिमय प्रणालि के आधार पर होता था क्योकि सिंधु घाटी सभ्यता के किसी
भी स्थल से मुद्रा (money) का साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ.
* सिंधु घाटी सभ्यता मे माप तौल के लिए 16 के अनुपात वाले (मापक) का प्रयोग किया जाता है।
* अर्थात सिंधु घाटी सभ्यता में माप तौल का अनुपात 1,2,4,8,16,32,64…….. आदी था.
* सिंधु घाटी के अनेक स्थलों से मुद्रा प्राप्त हुए हैं। ये मुहरे बेलनाकार, वर्गाकार, आयाताकार एवं वृताकार होती थी.
* मुहरों का प्रयोग वस्तुओं की पैकेजींग के लिए किया जाता था।
* यहाँ से प्राप्त मुहरे सेलखडी की बनी है.
* इन मुहरों पर अधिकतर एक श्रृंगी संख का चित्र बना हुआ है.
* मोहनजोदरों  एवं लोथल से प्राप्त कुछ मुद्राओं पर नाव का चित्र बना हुआ था।

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