Ancient History Notes in Hindi

Ancient History Notes in Hindi

                                Ancient History Notes in Hindi

                     जैन धर्म को सहायता (बढ़ावा) देने वाले  शासक-

* उदयन (वत्स,इलाहाबाद)

* बिंबिसार और अजातशत्रु (मगध)

* चंद्रगुप्त मौर्य (मगध)

* बिंदुसार (मगध)

* खारवेल (कलिंग)

* चंद्रगुप्त मौर्य एवं कलिंग शासक खारवेल जैन धर्म के प्रमुख उपासक थे.

 प्रमुख जैन मंदिर-

* हाथी गुफा मंदिर- उड़ीसा में है

* दिलवारा जैन मंदिर- माउंट आबू राजस्थान में है.

* पार्श्वनाथ एवं आदिनाथ मंदिर- खजुराहो मध्य प्रदेश जिला के छतरपुर में.

 जैन सभा या जैन संगीति-

* जैन धर्म में दो संगीति (सभा) का उल्लेख मिलता है.

* प्रथम जैन संगीति का आयोजन पाटलिपुत्र में हुआ था.

* एवं द्वितीय जैन संगीति का आयोजन बल्लवी गुजरात में हुआ  था.

 प्रथम जैन संगीति-

* स्थान- पाटलिपुत्र

* समय- 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व तक 

* शासक- चन्द्रगुप्त मौर्य

* कार्य- जैन धर्म को दो भागों में बांट दिया गया – 1. श्वेताम्बर तथा 2. दिगंबर

* जैन धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ में 12 अंगों का संकलन किया गया है.

* प्रथम जैन संगीति के आयोजन से पूर्व मगध में 12 वर्षों का घोर अकाल पड़ा था, उस समय मगध के शासक चंद्रगुप्त मौर्य थे.

* चंद्रगुप्त के धार्मिक गुरु भद्रबाहु थे, चंद्रगुप्त मौर्य को लेकर श्रवणबेलगोला कर्नाटक चले गए.

* भद्रबाहु के पाटलिपुत्र लौटने पर स्थूलभद्र के नेतृत्व में प्रथम जैन संगीति का आयोजन हुआ.

* इसमें जैन धर्म दो भागों में विभक्त हो गया-

1. स्थूलभद्र ने श्वेतांबर संप्रदाय चलाया, इस संप्रदाय के लोग श्वेत वस्त्र धारण करते थे.

2. भद्रबाहु ने दिगंबर संप्रदाय चलाया, इस संप्रदाय के लोग निर्वस्त्र रहते थे (बिना वस्त्र के).

 द्वितीय
जैन संगीति-

 स्थान- वल्लभी (गुजरात)

  समय- 512 ई.

 शासक-

 अध्यक्ष-  देवर्धि क्षमाश्रवन

 कार्य-  जैन ग्रंथों का अंतिम रूप से संकलन एवं लिपिबद्ध किया गया. 

* भगवान महावीर वेदों तथा वैदिक कर्मकांड को नहीं मानते थे.

* भगवान महावीर ईश्वर में नहीं बल्कि कर्म में विश्वास करते थे.

* भगवान महावीर के अनुसार मोक्ष ईश्वर की कृपा से नहीं बल्कि मानव के अपने कर्मों से मिलती है.

* महावीर पुनर्जन्म में विश्वास करते थे, महावीर जाति प्रथा को स्वीकार करते थे.

(वट विश्वास अचल निज धर्मा,तीरथ राज-प्रयाग सुकर्म. लोचन अनंत, उद्वारिमा अनंत,दिखावनहारा-सत्य गुरु).

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