Ancient History Notes in Hindi

Ancient History Notes in Hindi

                                           Ancient History Notes in Hindi

                                          मौर्य वंश के स्रोत

* मौर्य वंश के साम्राज्य को जानने के बारे में तीन प्रकार के स्रोत मिलते हैं-

1. साहित्य, 2. पुरातत्व एवं 3. विदेशी यात्रियों का विवरण

1. साहित्य-

* मौर्य वंश के बारे में हिंदू (ब्राह्मण) बौद्ध एवं जैन साहित्यों से काफी जानकारी मिलती है.

* मौर्य वंश के बारे में विष्णु पुराण, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, विशाखदत्त के मुद्राराक्षस नामक नाटक से चंद्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन एवं उसके मगध विजय का उल्लेख मिलता है.

* बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथ दीपवंश एवं महावंश से भी मौर्यवंश के बारे में जानकारी मिलती है.

* दीपवंश एवं महावंश शिहली, श्रीलंका देश का ग्रंथ है, इनके अतिरिक्त बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान से भी जानकारी मिलती है.

* मौर्य साम्राज्य के बारे में जैन ग्रंथ कल्पसूत्र, भद्रबाहु एवं हेमचंद्र के प्रशिस्ट प्रवण से भी जानकारी मिलती है.

* यूनानी यात्रियों के विवरण से भी चंद्रगुप्त मौर्य एवं मौर्य वंश के बारे में जानकारी मिलती है.

* सिकंदर के समकालीन यूनानी लेखक निर्याकस, आनेसिक्रट्स तथा आरिस्टोबुलस आदि ने मौर्य वंश के संबंध में कुछ-कुछ विवरण दिया है.

सिकंदर के बाद के लेखकों में प्रमुख हैं-

* मेगास्थनीज (इंडिका), अस्ट्राईबो (जोग्राफीका), प्लिनी (नेचुरल हिस्ट्री (हिस्टोरीका), एरियण, फ्लुटार्क, जस्टिन आदि.

2. पुरातत्व-

* मौर्य वंश के बारे में पूरातत्वों से भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है.

* पुरातत्व के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है- अशोक के शिलालेख (अभिलेख).

* अशोक के अभिलेख- अशोक भारत का पहला शासक था, जिसने अभिलेख उत्कीर्ण कराया.

* अशोक ने संभवत: अभिलेख लिखवाने की परंपरा ईरानी (फारसी) शासक दाराप्रथम या डेरियस प्रथम से ग्रहण की.

* स्टीफन टेलर विद्वान ने 1750 में सर्वप्रथम अशोक के अभिलेख की खोज की, स्टीफन टेलर ने यह अभिलेख दिल्ली में खोजा था.

* 1835 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने पहली बार अशोक के अभिलेखों को पढ़ा.

* अब तक अशोक के सात स्तंभलेख एवं 40 शिलालेख भारत के विभिन्न स्थलों से प्राप्त हो चुके हैं.

* अशोक के शिलालेख अफगानिस्तान से लेकर कर्नाटक तक एवं राजस्थान से लेकर बांग्लादेश तक पाए गए हैं.

* अशोक के शिलालेख ब्राह्मी, खरोष्ठी एवं आरमईक लिपि में लिखी गई है.

* अशोक के अधिकांश शिलालेख ब्राह्मी लिपि एवं प्राकृत भाषा में है.

अशोक के प्रमुख शिलालेख एवं विषय इस प्रकार है-

 शिलालेख                                           विषय

 तीसरा-         इसमें अपने पदाधिकारियों को निर्देश देता है कि हर पांचवे वर्ष में राज्य (देश) का दौरा करें.

 पांचवा-         इसमें धर्म महामात्रों की नियुक्ति का उल्लेख है.

 आठवां-        इसमें अशोक के तीर्थ यात्राओं का वर्णन (विवरण) है.

 बारहवां-       इसमें संप्रदायिक सौहार्द (सर्वधर्म) समन्वय की बात की गई है .

 तेरहवाँ-        इसमें कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय परिवर्तन का  उल्लेख है.

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