Medieval History Notes in Hindi

Medieval History Notes in Hindi

                         Medieval History Notes in Hindi

                   मुहम्मद बिन तुगलक 1325 ई. से 1351 ई. तक

* अपने पिता के मृत्यु के तीन-दिन पश्चात 1325 ई. में जौना खां (उलुग खां) मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से सुल्तान बना समान्यत: उसे मुहम्मद तुगलक के नाम से जाना जाता है.

* मुहम्मद तुगलक के दरबार में तीन महान विद्वान थे-

                                                                    पहला इसामी,

                                                                    दूसरा जियाउद्दीन बरनी और

                                                                    तीसरा इब्नबंतूता

मुहम्मद बिन तुगलक का राजत्व सिद्धांत-

* मुहम्मद तुगलक का विश्वास संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न सुल्तान में था अलाउद्दीन के भांति मुहम्मद तुगलक भी प्रशासन में किसी भी व्यक्ति अथवा वर्ग के हस्तक्षेप को पसंद नहीं करता था.

* उसने उलेमा वर्ग को भी प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करने दिया.

* लेकिन कुछ समय पश्चात मुहम्मद तुगलक उलेमा वर्ग से समझौता कर लिया.

* इस कारण उसने अपने सिक्कों पर खलीफा का नाम अंकित कराया.

* तथा सुल्तान पद की स्वीकृति के लिए (मानसूर की प्राप्ति) 1340 ई. में मिस्र के खलीफा के वंशज गयासुद्दीन मुहम्मद को दिल्ली बुलाया एवं अपनी गर्दन पर उसका पैर रखकर उसे अमूल्य वस्तुएं भेंट की तथा उससे मानसूर का प्रमाण पत्र प्राप्त किया.

* मुहम्मद तुगलक दिल्ली का पहला सुल्तान था जिसने अमीर वर्ग में सभी मुसलमान वर्गों के साथ-साथ हिंदुओं एवं अन्य निचले वर्गों को स्थान दिया.

* इस प्रकार मुहम्मद तुगलक ने अपनी बहुसंख्यक हिंदू प्रजा के साथ सहिष्णुता का व्यवहार किया.

* वह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था, जो वह हिंदुओं के पर्व होली, दशहरा में भाग लेता था.

* उसने एक तिलक नामक हिंदू को उच्च पद प्रदान किया था.

* मुहम्मद तुगलक नवीन प्रयोग करने वाला एक महत्वकांक्षी सुल्तान था.

* उसने कई नवीन योजनाओं को जन्म दिया जो निम्नांकित है-

(1) राजस्व सिद्धांत (टैक्स)-

* सर्वप्रथम उसने सुब्बो ईक्ता की आय-व्याय का हिसाब रखने के लिए एक रजिस्टर तैयार कराया और सभी सूबेदार को अपने-अपने सुब्बो का हिसाब भेजने का आदेश दिए.

(2) दोआब में कड़ वृद्धि-

* अपने शासनकाल के आरंभ में मुहम्मद तुगलक ने कृष्णा और तुगभद्रा नदी के दोआब क्षेत्र में कड़ में वृद्धि कर दी गई है. कड़ 1/3 से बढ़ाकर 1/2  कर दी गई.

* लेकिन जिस समय दोआब में कड़ वृद्धि की गई उस समय वहां अकाल एवं सूखा पड़ गया.

* इसके फलस्वरूप सुल्तान को विद्रोह का सामना करना पड़ा तथा अपने आदेश को वापस लेना पड़ा.

 (3) कृषि में सुधार-

* मुहम्मद तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नवीन विभाग खोला जिसे कृषि विभाग या अमीर-ए-कोही या दीवान-ए-कोही नाम दिया.

(4) राजधानी परिवर्तन-

* 1326-1327 ई. में मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली की जगह देवगिरी को राजधानी बनाने का निर्णय लिया, जिसका नाम दौलताबाद रखा गया.

* लेकिन उसकी यह योजना भी असफल रही तथा 1325 ई. में पुनः दिल्ली को राजधानी बनाया गया.

* दौलताबाद को राजधानी बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि संपूर्ण दक्षिण भारत की विजय करना तथा वहां पर एक स्थाई और अच्छे प्रशासन की स्थापना करना.

(5) सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन-

* 1329-1330 ई. के आस-पास मध्य एशिया में चांदी की किल्लत हो गई.

* अत: सुल्तान ने उसकी जगह सांकेतिक मुद्रा चलाने का निर्णय लिया.

* बरनी के अनुसार सुल्तान ने तांबे के सिक्के चलाए, जबकि फरिश्ता के अनुसार सिक्के पीतल के थे, संभवत: दोनों ही धातुएं के सिक्के चलाए गए थे.

* इस प्रकार व्यक्ति समूह का नेता होने के गुण के अभाव के कारण मुहम्मद तुगलक की सभी उपर्युक्त योजनाएं सफल रही.

मुहम्मद बिन तुगलक का साम्राज्य विस्तार-

* मुहम्मद तुगलक के समय में दिल्ली सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ.

 उसके समय की निम्नलिखित विजय योजना-

(i) खुरासान तथा इराक की विजय योजना-

* मंगोलों के वापस चले जाने के पश्चात सुल्तान ने खुरासान तथा इराक को जीतने की योजना बनाई तथा इसके लिए उसने 3,70,000 सैनिकों की एक बड़ी सेना एकत्रित की.

* तथा उसे 1 वर्ष का अग्रिम वेतन भी दे दिया परंतु यह योजना और सफल साबित हुई.

* क्योंकि तब तक मध्य एशिया की राजनीति की स्थिति बदल चुकी थी तब वहां आक्रमण करना उचित नहीं थी.

* ऐसी स्थिति में पूरी सेना को भंग कर दी गई जिसके फलस्वरूप बेरोजगार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया.

(ii) नागरकोट का विजय-

* 1337 ई. में इसे विजित किया गया.

(iii) कराजल या कराचिल पर आक्रमण-

* 1337 से 1338 ई. में कराजील अभियान पर भेजा गया लेकिन अभियान के दौरान ही वहां भारी मात्रा में बर्फबारी हो गई जिसमें दबकर बहुत सारे सैनिक मारे गए, फलत: यह योजना भी असफलकारी सिद्ध हुआ.

* मुहम्मद तुगलक के समय तक दक्षिण के कंपीली (होयसल) राज्य को छोड़कर सभी को दिल्ली राज्य के अधीन कर दिया गया था.

* मुहम्मद तुगलक ने होयसल को भी जीतकर दिल्ली के अधीन कर लिया.

* केवल राजस्थान में अच्छी सफलता मुहम्मद तुगलक को नहीं मिली.

* मुहम्मद तुगलक के समय में मंगोलों का केवल एक आक्रमण हुआ था.

* जब 1327 ई. में मंगोल नेता अलाउद्दीन तार्माशिरिन ने एक बड़ी सेना लेकर भारत पर आक्रमण किया.

* इस प्रकार दिल्ली के सभी सुल्तानों में सबसे बड़ा सम्राट मुहम्मद तुगलक का था, परंतु मुहम्मद तुगलक की यह सफलता स्थाई न रह सकी.

* 10 वर्षों के पश्चात ही उसके विस्तृत राज्य का विघटन होना प्रारंभ हो गई.

* तथा अंतिम समय में उसकी राज्य की सीमा सिमट कर अलाउद्दीन खिलजी के सीमा के बराबर हो गई.

* 1341 ई. में चीन के सम्राट तोगन (तोरण) तिमुर ने अपना एक राजदूत मुहम्मद तुगलक के दरबार में भेजा था.

* इसके बदले में 1342 ई. में मुहम्मद तुगलक ने इब्नबंतूता को अपना राजदूत बनाकर चीन भेजा, जो 1347 ई. में भारत वापस आया.

* इसके अतिरिक्त मुहम्मद तुगलक ने ईरान, चीन, तुर्की आदि राज्यों से भी अच्छे विदेश संबंध स्थापित किए.

मुहम्मद बिन तुगलक का सम्राज्य विघटन-

* 1334 ई. से 1335 ई. में मालाबार के सूबेदार अहसन शाह ने विद्रोह करके मदुरा में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की.

* 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने होयसल (कंपीली, काकतीय) राज्य के स्थान पर एक नए राज्य विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की.

* 1340 ई.-1341 ई. में शमसुद्दीन ने बंगाल की स्वतंत्र राज्य की स्थापना की.

* 1347 ई. में हसन गंगु ने अलाउद्दीन बहमन साह के नाम से देवगिरी राज्य के स्थान पर एक नए राज्य बहमनी राज्य की स्थापना की.

* थट्टा के निकट गोंडाल में सिंध विद्रोह को दबाने जाते समय 20 मार्च 1351 ई. को बीमारी की वजह से सुल्तान मुहम्मद तुगलक की मृत्यु हो गई.

* बदायूंनि या बरनी सुल्तान को उसकी प्रजा से और प्रजा को अपनी सुल्तान से मुक्ति मिल गई.

* एलफिंस्टन का कथन है- मुहम्मद तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था.

* इसामी का कथन है- वह खूनी एवं रक्त पिपासु थे (रक्त पीने की इच्छा रखने वाला)

* मुहम्मद तुगलक के बारे में कुछ विद्वानों का कहना था कि उसमें विरोधी तत्वों का मिश्रण था.

* मुहम्मद तुगलक एक अच्छा कवि एवं संगीत प्रेमी था.

* मुहम्मद तुगलक ने अपने शासनकाल में अकाल की समस्याओं के स्थाई निदान के लिए अकाल संहिता तैयार करवाया.

* तथा अकाल ग्रस्त किसानों को तकावी (कृषि ऋण) प्रदान किया जाता था, जिसे सोनधार कहा जाता था.

* मुहम्मद तुगलक ने जैन विद्वान जीनप्रभासुरी एवं राजशेखर को अपने दरबार में स्वागत किया.

* लेकिन शेख निजामुद्दीन, चिराग-ए-दिल्ली नामक सूफी संत से उसे थोड़ी भी नहीं पटती थी तथा ये सुल्तान के विरोधियों में सबसे प्रमुख थे.

* मुहम्मद तुगलक के शासन काल में 1335 ई. में इब्नबंतूता भारत आया.

* इब्नबंतूता  मोरक्को का रहने वाला था, जो अफ्रीका महादेश में है, इसलिए इसे मुरिश या अफ्रीकी यात्री के नाम से भी जाना जाता है.

* सुल्तान ने उसे खुद स्वागत किया तथा उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया.

* इब्नबंतूता ने अपने समय की घटनाओं को या अपने यात्रा अनुभवों को रेहला नामक पुस्तक में संकलित किया है जो एक यात्रा वृतांत है.

* मुहम्मद तुगलक के समय देवगिरी को कुवत-उल-इस्लाम कहा गया.

* मुहम्मद तुगलक दिल्ली सल्तनत के सभी शासकों में से सबसे अधिक पढ़ा लिखा शासक था.

* लेकिन इसे दिल्ली सल्तनत का सबसे अधिक असफल शासक माना जाता है.

* मुहम्मद तुगलक द्वारा दिल्ली में जहांपनाह नगर एवं आदिलाबाद किला बनाया गया.

* मुहम्मद तुगलक ने अपने शासन काल में आदिल्ली नामक एक सिक्का चलाया.

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