Medieval History Notes in Hindi
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फिरोज शाह तुगलक 1351 ई.- 1388 ई. तक
* फिरोज शाह, सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक के छोटे भाई रज्जब का पुत्र था.
* रज्जब का विवाह एक राजपूत राजकुमारी से हुआ.
* फिरोज शाह का जन्म 1309 ई. में इसी हिंदू मां के गर्भ से हुआ था.
* अयोग्य होते हुए भी फिरोज शाह तुगलक अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहा.
* लेकिन उसकी सफलता का मुख्य श्रेय उसके वजीर मलिक-ए-मकबूल (खाने जहां के तेलंगाना) को जाता है.
* जो तेलंगना का एक ब्राह्मण था और कुछ समय पहले ही वह मुसलमान बना था.
फिरोज शाह के सुधार-
*राजस्व व्यवस्था में सुधार*
* फिरोज शाह ने शासक बनने के उपरांत लगभग 24 या 26 कष्टदायक करो को समाप्त कर दिया.
* तथा इस्लामी कानून शरीयत के अनुसार स्वीकृत केवल 4 करो को लगाया-
* पहला जजिया कर- यह गैर मुसलमानों से लिए जाने वाले धार्मिक कर होते थे.
* दूसरा जकात कर- यह कर मुसलमानों से उनकी आय का अढाई % लिया जाता था तथा उसे मुसलमानों के कल्याण पर ही खर्च कर दिया जाता था.
* तीसरा खम्स – यह कर युद्ध में लूटा गया धन होता था.
* चौथा खराज- यह कर भू राजस्व या लगान पर होता था
* फिरोज शाह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान शासक था, जिसने हिंदू ब्राह्मणों से भी जजिया कर लिया.
* फिरोजा शाह ने एक नया कर सिंचाई कर लगाया जिसे हक-ए-सर्ब कहा गया,जिसे उलेमा वर्ग के सलाह से लगाया गया.
* लेकिन यह कर उसे ही देना होता था, जो शाही नहरों से सिंचाई का पानी लेता था.
* यह कर ऊपज का 1/10 भाग लिया जाता था.
* फिरोज शाह ने लगान को अनुमान के आधार पर निश्चित कराया.
* ख्वाजा हिसामुद्दीन ने विभिन्न सुब्बा का दौरा (यात्रा) करके 6 वर्ष के परिश्रम के पश्चात खालसा भूमि से 6 करोड़ 85 लाख या 75 लाख टंका का लगान निश्चित किया.
* इसके पश्चात फिरोज शाह के संपूर्ण शासन काल में राज्य को प्रायः यही आय प्राप्त होता रहा.
* फिरोज शाह ने लगभग 1200 फलों का बाग (बगीचा) लगाया, जिससे राज्य की आय बढ़ी उसने विभिन्न आंतरिक व्यापारियों को को समाप्त कर दिया तथा किसानों को तकावी ऋण से मुक्त कर दिया.
* परंतु फिरोज शाह की व्यवस्था में दो बड़े महत्वपूर्ण दोष थे-
* पहला जागीरदारी प्रथा की शुरुआत
* दूसरा इजारेदारी प्रथा की शुरुआत ठेकेदारी( भूमि को ठेके पर देने की प्रथा)
* ऐसा करने वाला दिल्ली सल्तनत का वह पहला सुल्तान था.
* सिंचाई व्यवस्था- खेतों की सिंचाई के लिए फिरोज शाह ने पांच बड़ी नहरों का निर्माण कराया साथ ही सिचईयो एवं यात्री की सुविधा के लिए 150 कुँए खुदवाए साथ ही 50 बांधों एवं 30 झीलों का भी निर्माण कराया.
नगर एवं सर्वजनिक निर्माण कार्य-
* कहा जाता है कि फिरोज शाह ने लगभग 300 नवीन नगरों का निर्माण कराया, उसके द्वारा बसाए गए शहरों में फतेहाबाद, हिसार, फिरोजपुर, फिरोजाबाद और जौनपुर प्रमुख है.
* जौनपुर शहर की स्थापना फिरोज शाह तुगलक ने मुहम्मद तुगलक उर्फ जौना खां के याद में कराया था.
* इसके अलावे फिरोज शाह ने कई सार्वजनिक भवनों जैसे- मस्जिद, मंतब, सराय, सभा स्थल आदि का बड़े पैमाने पर निर्माण कराया था. (यात्रियों के ठहरने का स्थान भी),
* फिरोज शाह के समय में सम्राट अशोक के दो स्तंभों को दिल्ली मंगवाया गया, इनमें से एक टोपरा (खिजराबाद) और दूसरा मेरठ से लाया गया.
* फिरोज शाह ने नवीन इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की भी व्यवस्था कराई तथा उसने अनेक पुरानी ऐतिहासिक इमारतों की भी मरम्मत कराई.
* इस तरह फिरोज़ शाह तुगलक ने एक सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना की थी.
* परोपकारी कार्य- फिरोज शाह ने एक नए विभाग दीवान-ए-खैरात की स्थापना की, जिसका मुख्य कार्य मुसलमान अनाथ स्त्रियों, विधवाओं एवं अन्य जरूरतमंद लोगों की सहायता करना था.
* उसने दिल्ली के निकट एक खैराती अस्पताल भी बनवाया, जिसे दीवान-ए-सफा कहा जाता है.
* शिक्षा या साहित्य- फिरोज शाह स्वयं विद्वान था और विद्वानों का काफी स्वागत करता था.
* जियाउद्दीन बरनी और शम्स-ए-सिराज-अफिफ को उसने संरक्षण प्रदान किया था.
* बर्नी ने फतवा-ए-जहांदारी और तारीख-ए-फिरोजशाही नामक पुस्तक या ग्रंथ की रचना की.
* शम्स-ए-सिराज-अफिफ ने भी तारीख-ए-फिरोजशाही नामक ग्रंथ की रचना की थी.
* फिरोज शाह ने फतुहात-ए-फिरोजशाही नाम से आत्मकथा लिखी.
* फिरोज शाह दिल्ली सल्तनत का एकमात्र शासक था जिसने अपनी आत्मकथा लिखी थी.
* फिरोज शाह के समय में ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से 1300 संस्कृत ग्रंथों को लाया गया था.
* जिनका फिरोज शाह ने फारसी भाषा में अनुवाद कराया उन्हीं में से एक पुस्तक का नाम दलायते फिरोजशाही रखा गया जो दर्शन एवं नक्षत्र विज्ञान से संबंधित ग्रंथ था.
* दास या गुलाम- फिरोज शाह को दासों का बहुत शौक था उसके पास 1 लाख 80 हजार दास थे, उनकी देख-भाल के लिए एक अलग विभाग दीवान-ए-बंदगान की स्थापना की गई थी.
* सैन्य संगठन- फिरोज शाह का सैनिक संगठन काफी दुर्लभ था उसके समय में अधिकांश सैनिकों को जागीरो के रूप में वेतन देता था तथा उसने सैनिक सेवा को वंशानुगत कर दिया.
* तथा इसकी सेना में भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर था, यहां तक कि एक अवसर पर उसने स्वयं एक सैनिक को 1 टंका दिया ताकि वह अधिकारी को रिश्वत देकर अपना घोड़ा पास करवा ले.
* धार्मिक नीति- दिल्ली के सुल्तानों में फिरोज शाह पहला सुल्तान था, जिसने इस्लाम के कानून और उलेमा वर्ग को राज्य के शासन में हस्तक्षेप करने का पूरा मौका दिया. (प्रशासन में उनकी प्रधानता थी)
* फिरोज शाह सुन्नी धर्म का कट्टर समर्थक था, उसने बहुसंख्यक हिंदू प्रजा के प्रति अत्यधिक कठोर नीति को अपनाया तथा उसने हिंदुओं को जिम्मी (दूसरे दर्जे का व्यक्ति) कहा.
* फिरोज शाह के शासनकाल में जाजनगर एवं ज्वालामुखी मंदिर के मूर्तियों को नष्ट किया गया.
* इतना ही नहीं फिरोज शाह ने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया तथा उसके समय में हिंदुओं को जबरदस्ती इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया गया.
* फिरोज शाह ने खलीफा से दो बार अपने सुल्तान के पद की स्वीकृति ली तथा अपने सिक्कों पर खलीफा का नाम अंकित कराया तथा स्वयं को खलीफा का नायब (उपखलीफा) पुकारा.
* डॉ. आर.सी. मजूमदार का कथन है- फिरोज शाह इस युग का सबसे धर्मांध शासक था और इस क्षेत्र में वह सिकंदर लोदी और औरंगजेब का अग्रगामी था.
* फिरोज शाह का युद्ध एवं आक्रमण (विजय अभियान)- फिरोज शाह ने दक्षिण भारत को जीतने का पुन: प्रयत्न नहीं किया और सरदारों के आग्रह को यह कह कर टाल दिया कि वह मुसलमानों का रक्त बहाने को तैयार नहीं है.
* फिरोज शाह के समय में बंगाल, जाजनगर, नगरकोट और सिंध पर आक्रमण किए गए थे परंतु उससे कुछ खास सफलता नहीं मिली.
* 1388 ई. में 80 वर्ष की अवस्था में फिरोज शाह की मृत्यु हो गई.
* फिरोज शाह ने बिख और अद्धा नामक दो सिक्के चलाया था.
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