Medieval History Notes in Hindi
Medieval History Notes in Hindi
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सूरवंश 1540 ई. से 1555 ई. तक
शेरशाह 1540 ई. से 1545 ई. तक
* “अगर भाग्य ने मेरी सहायता की और समय मेरा मित्र रहा तो मैं मुगलों को सरलता से ही हिंदुस्तान से बाहर निकाल देंगे”.
* यह शेरशाह ने उस समय कहा था जबकि वह मुगल सेना में था और बाबर को चंदेरी की आक्रमण में सहयोग दे रहा था.
* शेरशाह का बचपन का नाम फरीद खां था.
* शेरशाह का जन्म 1472 ई. में बजबारा नामक स्थान पर हुआ था.
* तथा डॉ. कानूनगो के अनुसार शेरशाह का जन्म 1486 ई. में नारनौल फरगने में हुआ था.
* तथा शेरशाह के पिता का नाम हसन खां था.
* बिहार के सूबेदार बाहर खा लोहानी या लुहानी ने फरीद खां को शेरखां की उपाधि प्रदान की थी.
* यह उपाधि फरीद खां को उस समय दी गई थी, जब फरीद खां ने लोहानी के पुत्र की एक शेर से रक्षा करते हुए शेर को मार डाला था.
* 1530 ई. में शेर खां ने चुनार के किलेदार की विधवा लॉर्ड मल्लिका से विवाह करके न कि चुनार के शक्तिशाली किले पर अधिकार कर लिया, बल्कि बहुत सारी संपत्ति भी अर्जित कर लिया.
* 1537 ई. में हुमायूँ, शेरशाह की शक्ति को दबाने के लिए पूर्व की ओर चला.
* जब तक हुमायूँ चुनार के कीलों को जीतता तब तक शेरशाह बंगाल तक जीत हासिल कर चुका था.
* तथा अपनी जीती गई सारी संपत्ति को रोहतासगढ़ दृढ किले में सुरक्षित रखकर कर्मनाशा नदी के तट पर चौसा नामक स्थान पर हुमायूँ का इंतजार करने लगा.
* 1539 ई. में चौसा के युद्ध में शेर खां ने हुमायूँ को पराजित किया तथा इस विजय के उपलक्ष में उसने शेरशाह सुल्तान-ए-आदिल की उपाधि धारण की.
* 1540 ई. में कन्नौज या बिलग्राम के युद्ध में शेर शाह ने हुमायूँ को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया.
* तथा हुमायूँ के सभी स्थानों आगरा, दिल्ली, संभल, ग्वालियर, लाहौर पर अधिकार कर लिया तथा हुमायूँ यहां से भाग कर भारत चल गया.
* अपनी उत्तर-पश्चिम सीमा की सुरक्षा के लिए शेरशाह ने वहां एक मजबूत किला बनवाया तथा उसका नाम रोहतासगढ़ रखा.
* बंगाल में हो रहे बार-बार के विद्रोह से निजात पाने के लिए शेरशाह ने बंगाल को कई सरकारों (जिलों) में बांट दिया.
* तथा इसकी देखभाल के लिए शिकदार नामक अधिकारियों की नियुक्ति कर दी.
* तथा इन शिकदारों पर नियंत्रण रखने के लिए एक असैनिक अधिकारी अमीन-ए-बंगला या अमीर-ए-बंगला को नियुक्त किया.
* 1542 ई. में शेरशाह ने मालवा पर विजय प्राप्त की तथा इस उपलक्ष में शेरशाह ने बिहार में पटना नामक शहर की स्थापना की.
* 1543 ई. में शेरशाह ने रायसिंन पर धावा बोला तथा संधि की बात चला कर शेरशाह ने पुनरमल की सेना पर आक्रमण कर दिया.
* बचे हुए राजपूतों को गुलाम बना लिया गया तथा पुनरमल के एक छोटी-सी बच्ची को बाजार में नाचने के लिए छोड़ दिया गया.
* शेरशाह के चरित्र को इस घटना में एक बहुत बड़ा धब्बा या कलंक माना जाता है.
* इस विश्वासघात से शेरशाह के एक सेनापति कुतुब खां ने इतनी शर्म महसूस की, कि उसने आत्महत्या कर लिया.
* 1543 ई. में ही शेरशाह ने मुल्तान पर अधिकार कर लिया.
* 1544 ई. में शेरशाह ने मारवाड़ के शासक मालदेव पर आक्रमण किया.
* शेरशाह ने इस युद्ध को कुटनीति के सहारे जीतने में सफलता प्राप्त की.
* राजपूतों के सौर से शेरशाह इतना प्रभावित हुआ था, कि उसने कहा- “मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिंदुस्तान के सम्राज्य को प्राय: खो चुका था”.
* इसके पश्चात शेरशाह ने लगभग पूरे राजस्थान को जीतने में सफलता पाई.
* मारवाड़ के अतिरिक्त शेरशाह ने राजपूत राजाओं को उनके राज्यों से वंचित नहीं किया.
* बल्कि उन्हें अपनी अधीनता स्वीकार करने के पश्चात उनकी राज्य वापस कर दिए.
* 1545 ई. में कालिंजर पर आक्रमण करते समय बारूद खाने में आग लग जाने के कारण शेरशाह की मृत्यु हो गई.
* शेरशाह का मकबरा सासाराम में उपस्थित था, जिसमें उसे दफनाया गया जिसे अफगान कला का भारत में सर्वोश्रेस्ट कृति माना जाता है.
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