Upsc gk notes in hindi-39

Upsc gk notes in hindi-39

                              Upsc gk notes in hindi-39

प्रश्न. विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभावों की विवेचना कीजिए: (250 शब्द, 15 अंक)

 उत्तर-दुनिया के आधे से अधिक देशों में पर्याप्त तेल के भण्डार हैं. संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडो,
         अफ्रीका, पूर्व सोवियत संघ लैटिन अमरीका के क्षेत्र में दुनिया के शुद्ध तेल भण्डार का 15%
         से कम हिस्सा है. किसी दिए गए क्षेत्र में उत्पादित तेल की मात्रा हमेशा उसके भण्डार के
        आकार के समानुपाती नहीं होती है, उदाहरण के लिए. मध्य पूर्व में दुनिया के आधे से अधिक
        देशों में तेल के भण्डार हैं, लेकिन वैश्विक तेल उत्पादन का 30% हिस्सा है, भारत अपनी ऊर्जा
        जरूरतों के लिए पश्चिम एशिया पर अत्यधिक निर्भर है. ऊर्जा सुरक्षा पर भी गहरा प्रभाव है
       असमान वितरण का इससे ऊर्जा संकट की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं दुनिया में इस असमान
       वितरण के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा पर्यावरणीय निहितार्थ हैं.
सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ है.
* कई विकासशील और कम विकसित देशों में तेल भण्डार की कमी के कारण भारी व्यापार घाटे का
   सामना करना पड़ता है. उदाहरण के लिए भारत के चालू खाते के घाटे के पीछे प्रमुख कारणों में तेल
   और प्राकृतिक गैस के लिए भारत की निर्भरता है.
* तेल भण्डार का असमान वितरण तेल उत्पादक देशों को कच्चे तेल की कीमतें तय करने की स्वायत्तता
  देता है यह वैश्विक तेल बाजार को अस्थिर बनाता है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि होती है तेल की
  कीमतों में वृद्धि से विभिन्न घरेलू बाजारों में मुद्रास्फीति बढ़ेगी.
* हम कह सकते हैं कि जहाँ तेल के वितरण की अधिकता होगी, वहाँ मुद्रास्फीति नियन्त्रित रहती है,
   व्यापार, वाणिज्य की बेहतर दशाएं तथा रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होते हैं तथा जहाँ तेल के
   वितरण की कमी होगी वहाँ आयात निर्भरता होगी, तेल के दामों का उतार-चढ़ाव, भुगतान सन्तुलन
   तथा मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ेगा.
* तेल भण्डार की उपलब्धा से मध्य पूर्व में रोजगार के अधिक अवसर मिलते हैं. यही कारण है कि मध्य
   पूर्व में भारत का बड़ा प्रवासी है.
* विभिन्न देशों के पास वे संसाधन नहीं हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता है, लेकिन व्यापार उन्हें उन संसाधनों
   को प्राप्त करने की अनुमति देता है, जो ऐसा करते हैं. जापान बहुत कम संसाधनों वाला देश है, लेकिन
   यह एशिया में सबसे धनी देशों में से एक हैं.
राजनीतिक निहितार्थ
* विश्व ने इसके आर्थिक मूल्य पर विचार करके खनिज तेल भण्डार प्राप्त करने के लिए विभिन्न युद्ध देखे
  हैं. पश्चिमी एशिया की भू-राजनीति में अमरीका का हस्तक्षेप भी खनिज तेल के असमान वितरण का एक
  कारण है इसका असर वैश्विक स्तर पर संवृद्धि व विकास पर भी पड़ता है इससे सरकार के कल्याणकारी
  कार्यों में सार्वजनिक व्यय क्षमता को प्रभावित होगी. पर्यावरणीय प्रभाव
* भले ही तेल संसाधनों का वितरण असमान रूप से हो, लेकिन इसका पर्यावरण के क्षरण से कोई सीधा
  सम्बन्ध नहीं है उदाहरण के लिए चीन और भारत के बाद संयुक्त राज्य अमरीका ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन
  में बड़ा योगदानकर्ता है, लेकिन वे प्रमुख तेल उत्पादक देश नहीं है.
* किसी भी राष्ट्र का सामाजिक-आर्थिक विकास दो कारकों से निर्धारित होता है-
(1) किसी देश के पास किन संसाधनों तक पहुँच है
(2) देश उन संसाधनों के साथ क्या करता है-श्रमिकों की संख्या और उन संसाधनों का अधिकतम
     उपयोग करने लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी.

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आई.टी. उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (250 शब्द 15 अंक)

उत्तर- सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) एक सामान्य प्रयोजन प्रौद्योगिकी का उदाहरण है जिसमें आर्थिक
          विकास के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास के अन्य आयामों में महत्वपूर्ण भूमिका
          निभाने की क्षमता है वर्ष 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आई.टी. उद्योग की लगभग
         8% हिस्सेदारी थी. आई.टी. उद्योगों के निहित सामाजिक, आर्थिक सकारात्मक तथा नकारात्मक
        प्रभाव इस प्रकार हैं.
सकारात्मक आर्थिक प्रभाव
* संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों में से प्रत्येक में आई. टी. एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उन्हें
  प्राप्त करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करता है.
* यह एम-कॉमर्स के माध्यम से वित्तीय समावेशन को भी सक्षम बनाता है और लोगों को तुरन्त लाखों
   लोगों से जुड़ने की अनुमति देता है रोजगार बढ़ने से लोगों का पलायन उन आई टी शहरों की ओर
   बढ़ा है.
* यह शहर अन्य कारोबारी क्षेत्रों के लिए आकर्षण का कारण बने हैं यानी यहाँ कई स्तरों पर अन्य
  आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है. यह लोगों को तुरन्त ज्ञान और सलाह
   साझा करने तथा कम लागत पर एक ऑनलाइन दुकान या वेबसाइट स्थापित करने का अधिकार
   देता है.
नकारात्मक आर्थिक प्रभाव
* बड़े आई.टी. हब वाले प्रमुख शहर, अर्ध शहरी और टियर III शहरों की तुलना में तेजी से विकसित
   हो रहे हैं. इसके अलावा आई.टी. कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के बीच वेतन का बहुत बड़ा
   अन्तर है.
* केवल एक शहर का आर्थिक विकास क्षेत्रीय आर्थिक असन्तुलन पैदा करता है जैसे नोएडा और
   उत्तर प्रदेश के अन्य शहर.
* आर्थिक विकास की गतिविधियाँ उस शहर और उसके आस-पास सीमित हो जाती हैं.
* स्थानीय भू-सम्पत्तियों की कीमतें बेतहाशा बढ़ती हैं एक ही शहर में आय प्राप्ति विषमता
   बहुत ज्यादा होती है.
* ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की कमी आवश्यक सेवाओं तक पहुँच में बाधा डालती है.
सकारात्मक सामाजिक प्रभाव
* स्थानीय समाज के शैयर धारकों को आर्थिक विकास में हिस्सेदारी का लाभ मिलता है, जिससे
   उनके सामाजिक स्तर में बढ़ोत्तरी होती है.
* प्रमुख शहरों में गुणवत्तापूर्ण नौकरियों में महिलाओं की श्रम शक्ति की भागीदारी तुलनात्मक रूप
  से अधिक है. आई. टी. उद्योगों के विकास के कारण वित्तीय स्वतन्त्रता के साथ उनका सशक्तीकरण
  हुआ है.
* लैंगिक समानता की स्थिति में सुधार सम्भव होगा पितृसत्तात्मक समाज के मूल्यों में कहीं-न-कहीं
  गिरावट हुई है.
* इससे सामाजिक संरचना में विविधता आती है यह केन्द्र लघु भारत के संकुल के रूप में विकसित
   होते हैं.
नकारात्मक सामाजिक प्रभाव
* अनियन्त्रित शहरीकरण को बढ़ावा मिलता है, सीमिते संसाधनों का दोहन असीमित रफ्तार से
   बढ़ने से बिजली, परिवहन, पेयजल, कूड़ा निपटान आदि संकट पैदा होते हैं.
* बढ़ते अपराधों के चलते गवर्नेस पर भी प्रश्नचिह्न लगते हैं.
* युवा अपने माता-पिता को अकेला छोड़कर और सामाजिक एवं भावनाः मक समर्थन के लिए
  जरूरतमन्दों को छोड़कर, ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे, शहरों से प्रमुख आई.टी शहरों की ओर
  पलायन करते हैं.
* जनसंख्या असन्तुलन ने स्थानीय और बाहरी लोगों के बीच तनाव की स्थितियाँ पैदा कर दी हैं
  जैसे:-मुम्बई
* इससे संयुक्त परिवार की संस्कृति का विघटन हो रहा है और भारत में तेजी से एकल परिवार
संस्कृति उभर रही है.
* तेजी से होता शहरीकरण जैव विविधता के लिए खतरा पैदा करता है जैसे इमारतों के निर्माण
  के लिए उपजाऊ भूमि का उपयोग और वनों की कटाई.
* भारत का प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग वर्ष 2025 तक वार्षिक राजस्व में 300-350 बिलियन अमरीका
   डॉलर प्रदान करता है. यदि यह क्लाइड, कृत्रिम बुद्धिमता, साइबर सुरक्षा और अन्य उभरती
   प्रौद्योगिकियों में तेजी से उभरती व्यावसायिक क्षमता का फायदा उठा पाता है इसलिए हमें
   ऐसी तकनीकों में निवेश करने की जरूरत है.

प्रश्न. जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना करते हुए भारत में इन्हें प्राप्त करने के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डालिए. (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर-जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है, जो परिवार, समुदाय, राष्ट्र और विश्व की जनसंख्या की
         स्थिति का अध्ययन प्रदान करता है जनसंख्या शिक्षा छात्रों में उस स्थिति के प्रति तर्क संगत और
         जिम्मेदार दृष्टिकोण और व्यवहार विकसित करने के लक्ष्य को प्रदान करता है.
जनसंख्या शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना
* यह समझने में मदद करता है कि परिवार के आकार को कैसे नियन्त्रित किया जा सकता है क्योंकि
  जनसंख्या सीमा राष्ट्र में जीवन की उच्च गुणवत्ता के विकास की सुविधा प्रदान कर सकती है. मानव
  जीवन के विभिन्न पहलुओं का सामाजिक, सांस्कृतिक राजनीतिक और आर्थिक विकास होगा.
* लोगों को परिवार के आकार तथा रहन-सहन के स्तर के सम्बन्ध में बताना तथा कम आय वाले
  परिवारों को छोटा परिवार रखने हेतु प्रोत्साहित करना तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न होने वाली
 समस्याओं की जानकारी प्रदान करके उनमें जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण रखने के दृष्टिकोण का
 विकास करना.
* शिक्षा की औपचारिक और अनौपचारिक पद्धतियों के साथ जनसंख्या शिक्षा को छोड़ा गया,
   जिससे कि विद्यार्थियों और युवा पीढ़ी में जनसंख्या के प्रति एक स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास
   हो सके.
* भारत में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम को 1 अप्रैल, 1980 से प्रारम्भ किया गया.
* मानव को व्यक्ति, परिवार, समाज तथा विश्व के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक
   जीवन पर जनसंख्या वृद्धि के पड़ने वाले प्रभावों से अवगत कराना.
* जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित प्रदर्शन, पोस्टर निबन्ध लेखन प्रतियोगिता, कार्यशाला और सेमीनारों
  आदि का आयोजन भी किया जाता है.
* इस कार्यक्रम को सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों में चलाया जा रहा है. कार्यक्रम के संचालन हेतु केन्द्र
   सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त संचालन समिति का गठन किया है.
* स्कूली शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, उच्च शिक्षा, दस्तकारों एवं नागरिकों के हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
   में जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम को भी जोड़ दिया गया है.
* विश्वविद्यालय अनुदान आयोगे देश के कई विश्वविद्यालयों में जनसंख्या शिक्षा केन्द्रों और कॉलेजों
   की स्थापना कर रहा है.
* येनेफा (UNFPA) के सहयोग से भारत ने मेरे बच्चे, मेरा भविष्य” नामक श्रव्य-दृश्ये कार्यक्रम तैयार
   किया है.
* देश के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में जनसंख्या शिक्षा के प्रसार का दायित्व राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान
   प्रशिक्षण परिक्षण परिषद् के सुपुर्द किया गया.
     टेलीविजन, रेडियो और समाचार पत्र जैसे संचार माध्यम अशिक्षित और अनपढ़, विशेष रूप से देश के
  ग्रामीण और वंचित वर्गों में नियोजित परिवारों के लाभों को प्रसारित करने के प्रभावी साधन हैं जनसंख्या
  नीति को आम लोगों के जीवन को छूना चाहिए और इसमें विधायकों, नौकरशाहों मीडिया पेशेवरों शिक्षकों
  और आम जनता  सहित हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होनी चाहिए.

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