Upsc gk notes in hindi-61
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प्रश्न. आधे घण्टे की चर्चा की प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर-आधे घण्टे की चर्चा से सम्बन्धित प्रकिया लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम के
नियम 55 तथा अध्यक्ष के निदेश 19 द्वारा विनियमित होते हैं. इसके अंतर्गत, कोई भी सदस्य पर्याप्त
लोक महत्व कें लिए ऐसे मामले पर चर्चा उठाने के लिए सूचना दे सकता है जो हाल ही के प्रश्न, तारांकित,
अतारांकित या अल्प सूचना प्रश्न का विषय रहा हो और जिसके उत्तर के किसी तथ्य विषय के सम्बन्ध में
विशदीकरण की आवश्यकता हो. सूचना के साथ एक व्याख्यात्मक टिप्पणी दी जानी चाहिए जिसमें उस
विषय पर चर्चा उठाने के कारण दिए गए हों और यह हस्ताक्षरित होनी चाहिए. एक बैठक के लिए आधे
घण्टे की चर्चा की केवल एक सूचना दी जाएगी और सभा में न तो कोई औपचारिक प्रस्ताव किया जाएगा
और न ही मतदान किया जाएगा. जिस सदस्य से सूचना दी है, वह एक संक्षिप्त लघु वक्तव्य देगा और जिन
सदस्यों ने अध्यक्ष को पहले से सूचित किया है और बैलट में पहले चार स्थानों में से एक पर है, को किसी
तथ्य विषय के विशदीकरण के प्रयोजन से एक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाएगी तत्पश्चात् सम्बन्धित मंत्री
संक्षिप्त उत्तर देता है. आधे घंटे की चर्चा कार्य मंत्रणा समिति द्वारा अनुमोदित तथा सभा द्वारा मंजूर दिवस
पर की जाती है.
प्रश्न. किसी विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया में कौन-कौनसे विभिन्न चरण शामिल हैं ?
उत्तर- किसी विधेयक पर विचार करने के लिए उसे संसद की प्रत्येक सभा में तीन चरणों से गुजरना
पड़ता है. पहले चरण में विधेयक को पुरःस्थापित किया जाता है ऐसा किसी मंत्री अथवा किसी सदस्य
द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के आधार पर किया जाता है.
द्वितीय चरण के दौरान निम्नलिखित प्रस्तावों में से कोई एक प्रस्ताव पेश किया जा सकता है: कि
विधेयक पर विचार किया जाए: कि इसे दोनों सभाओं की संयुक्त समिति को भेजा जाए अथवा कि इस
विधेयक के सम्बन्ध में मत जानने के प्रयोजनार्थ इसे परिचालित किया जाए तत्पश्चात प्रवर/संयुक्त समिति
द्वारा पुरःस्थापित किए जाने या कहे जाने पर विधेयक पर खंडवार विचार किया जाता है.
तृतीय चरण प्रस्ताव पर इस चर्चा तक सीमित रहता है कि विधेयक को पारित किया जाए अथवा
नहीं तथा विधेयक को मतदान अथवा ध्वनि मत द्वारा पारित या अस्वीकृत किया जाता है और धन विधेयक
की स्थिति में राज्य सभा द्वारा लोक सभा को लौटाया जाता है.
प्रश्न. मंत्रिमण्डल के कार्य एवं शक्तियों का विश्लेषण करें.
उत्तर- मंत्रिमण्डल की शक्तियाँ विशाल तथा जिम्मेदारियाँ अनेक है. राष्ट्रपति की सभी कार्यपालिका
सम्बन्धी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमण्डल करता है. मंत्रिमण्डल देश की आतंरिक
एवं विदेशी नीति के निर्धारण सम्बन्धी सभी प्रमुख निर्णय लेता है. लोगों को बेहतर जीवन की परिस्थितियाँ
उपलब्ध कराने के लिए भी मंत्रिमण्डल नीतियाँ निर्धारित करता है. यह राष्ट्रीय वित्त पर नियंत्रण रखता है.
सरकार द्वारा किए जाने वाला सारा खर्च तथा आवश्यक राजस्व जुटाना इसकी जिम्मेदारी है. राष्ट्रपति द्वारा
संसद में दिए जाने वाले अभिभाषण की विषय वस्तु भी मंत्रिमण्डल तैयार करता है, जब संसद का अधिवेशन
न हो रहा हो, तो राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करवाने का दायित्व भी इसी पर है. प्रधानमंत्री के माध्यम से
मंत्रिमण्डल की सलाह पर राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन बुलाता है. संसद के कार्यक्रम की रूपरेखा भी
मंत्रिमण्डल द्वारा तैयार की जाती है.
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