Ancient History Notes in Hindi
Ancient History Notes in Hindi
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उत्तर वैदिक काल में लोहे का उपयोग
* भारत में लोहे का उपयोग सर्वप्रथम 800 ईसा पूर्व के लगभग हुआ.
* अर्थात भारत के लोग उत्तर वैदिक काल में लोहे से परिचित हुए हैं.
* लोहा का पहला विवरण अथर्वेद में श्याम अनस के रूप में मिलता है.
* लोहे सब्द सर्वप्रथम वाजसनेई संहिता में मिलता है.
* काठक संहिता में 24 बैलों के हल का उल्लेख मिलता है.
* लोहे का साक्ष्य सर्वप्रथम अंतर्जीखेरा (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त हुआ है.
* यहां से खुरपी, चाकू, तीर, भला, वसूली आदि का प्रमाण भी मिला है.
* पूर्वी भारत में सोनपुर, गया एवं चिरांद, सारण, बिहार से लोहे का प्रमाण मिला है.
* दक्षिण भारत में लोहे का सर्वप्रथम उपयोग महापाषाण काल एक हजार ई.पू. से प्रथम (शताब्दी ई.) में प्रारंभ हुआ.
* दक्षिण भारत के महापाषाण समाधियों (कब्रों) में पर लोहे का अवशेष मिलता है.
* उत्तर भारत में लोहे का प्रयोग चित्रित धूसर मृदभांड के प्रयोग करने वालों ने सर्वप्रथम लोहे का प्रयोग किया गया है अर्थात लोहा चित्रित धूसर मृदभांड के साथ मिलता है.
* बर्तन का क्रम लाल मृंदभांड- काले एवं लाल मृंदभांड
* चित्रित धूसर मृदभांड- उत्तरी काले चमकीले मृदभांड
* लोहे के ज्ञान ने भारतीयों के भौतिक जीवन में था, रहन-सहन में क्रांतिकारी परिवर्तन किया.
* बुध काल में यूपी एवं बिहार में कृषि में लोहे का व्यापक प्रयोग होने लगा.
* इसके कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई नगरों का निर्माण शुरू हुआ (द्वितीय नगरिया क्रांति) और इसी के क्रम में मगध साम्राज्य का उत्कर्ष हुआ.
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