Modern History Notes in Hindi
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Modern History Notes in Hindi
1857 ई. का विद्रोह
* 1857 ई. के विद्रोह के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं-
* राजनीतिक कारण
* सामाजिक कारण
* आर्थिक कारण
* प्रशासनिक कारण
* सैनिक कारण
* धार्मिक कारण
* तत्कालिक कारण-चर्बी लगे कारतूस का प्रयोग
* कैनिंग सरकार ने 1857 ई. में सैनिकों के प्रयोग के लिए ब्राउन वैश राइफल के स्थान पर एनफील्ड राइफल का प्रयोग शुरू करवाया.
* जिसमें कारतूस को लगाने से पूर्व दांत से खींचना पड़ता था, किंतु कारतूस में गाय एवं सूअर दोनों की चर्बी लगी हुई थी.
* इसकी जानकारी मिलते ही हिंदू और मुसलमान दोनों सैनिक भड़क उठे.
* परिणाम स्वरूप 1857 ई. के विद्रोह की शुरुआत हुई.
* चर्बी युक्त कारतूसो के प्रयोगों के विरुद्ध पहली घटना 29 मार्च 1857 ई. को बैरकपुर छावनी (बंगाल) में घटी.
* जहां मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने इस कारतूस के प्रयोग को इनकार करते हुए अपने अधिकारी लेफ्टिनेंट वाग तथा लेफ्टिनेंट जनरल हुडसन की हत्या कर दी.
* 34वीं एन आई(NI) के सैनिक मंगल पांडे उत्तर प्रदेश के गाजीपुर (बलिया) जिला के रहने वाले थे.
* जिन्हें इस घटना के पश्चात 8 अप्रैल 1857 ई. को फांसी की सजा दे दी गई.
* 1857 ई. के विद्रोह की वास्तविक शुरुआत 10 मई 1857 ई. को मेरठ से मानी जाती है.
* जहां 20 NI की टुकड़ी ने चर्बी वाले कारतूस के प्रयोग करने से इंकार कर दिया तथा अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया.
* मेरठ से विद्रोही सेना 11 मई 1857 ई. को दिल्ली पहुंची तथा दिल्ली पर अधिकार कर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ्फर को दिल्ली (भारत) का सम्राट तथा विद्रोह का नेता घोषित कर दिया.
* दिल्ली विजय की घटना पूरे देश में फैल गई तथा देखते ही देखते विद्रोह ने अपनी चपेट में क्रमश: कानपुर, लखनऊ, बरेली, जगदीशपुर, झांसी, अलीगढ़, रुहेलखंड, इलाहाबाद, ग्वालियर, हैदराबाद आदि को ले लिया.
* कानपुर में 5 जून 1857 ई. को विद्रोह की शुरुआत हुई, यहां पर अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया.
* नाना साहब का मूल नाम धोंधुजी पंतजी था, इनके सेनापति के रूप में तात्याटोपे ने इनकी सहायता की, तात्याटोपे का मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था.
* नाना साहब लगातार पराजय को झेलते हुए अंततः नेपाल (काठमांडू) चले गए. जहां से उन्होंने अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लड़ते रहे.
* नाना साहब कहे-” जब तक मेरे शरीर में प्राण है मेरे और अंग्रेजों के बीच जंग जारी रहेगी, चाहे मुझे मार दिया जाए या फिर कैद कर लिया जाए फाँसी पर लटका दिया जाए, पर मैं हर बात का जवाब तलवार से दूंगा”.
* दिल्ली में 82 वर्षीय बहादुर शाह जफ्फर ने वख्त खां की सहायता से विद्रोह का नेतृत्व प्रदान किया.
* 1857 ई. के विद्रोह के आरंभ के पश्चात सबसे पहले अंग्रेजों द्वारा 20 सितंबर 1857 ई. को दिल्ली पर अपना कब्जा किया गया.
* जुलाई 1858 ई. तक संपूर्ण भारत में अंग्रेजों की सत्ता पुन: स्थापित हो गई थी.
* 1857 ई. के विद्रोह में- बंगाल, पंजाब, राजपूताना, हैदराबाद, मुंबई तथा मद्रास आदि ऐसे क्षेत्र थे जहां विद्रोह नहीं फैल सका तथा यहां के शासकों ने विद्रोह को कुचलने में अंग्रेजों का साथ दिया.
* 1857 ई. के विद्रोह में व्यापारी तथा शिक्षित लोग मध्यम वर्ग के लोगों ने भाग नहीं लिया तथा कृषक एवं निम्न जाति के लोगों ने कोई सक्रिय सहानुभूति नहीं दिखाई.
* 20 सितंबर1857 ई. को बहादुर शाह अपनी पत्नी जीन्नत महल के साथ हुमायूँ के मकबरे से (जहां छिपा हुआ था) पकड़ा गया तथा लेफ्टिनेंट हड्सन के सामने समर्पण कर दिया.
* बहादुर शाह को शेष जीवन के लिए रंगून ( म्यानमार) में निर्वासित कर दिया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई.
* रंगून में स्थित उनके मजार पर लिखा हुआ है कि-” जफ्फर इतना बदनसीब है, कि उसे अपनी मातृभूमि में दफन के लिए 2 गज जमीन नसीब नहीं हुई”.
* जिन्नत महल को महकपड़ी के नाम से भी जाना जाता है.
* लखनऊ में विद्रोह की कमांड बेगम हजरत महल ने संभाली, उसने अपने अल्पआयु पुत्र विजरिस कदीर को नवाब घोषित किया.
* तथा लखनऊ स्थित ब्रिटिश रेजिडेंसी पर बेगम हजरत महल ने आक्रमण कर दिया, लेकिन वे शीघ्र ही पराजित हो गई.
* तथा बेगम हजरत महल ने भागकर नेपाल (काठमांडू) चली गई, जहां उनकी गुमनाम मौत हो गई.
* झांसी का नेतृत्व राजा गंगाधर राव की विधवा पत्नी रानी लक्ष्मीबाई ने किया, परंतु झांसी की वे रक्षा नहीं कर पाई.
* इसके उपरांत वे ग्वालियर की ओर प्रस्थान कर गई, ग्वालियर में उन्हें तात्याटोपे का भी साथ मिला.
* ग्वालियर के किले की रक्षा करते हुए 17 जून 1857 ई. को जनरल ह्यूरोज के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए.
* रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु पर जनरल ह्यूरोज ने कहा-” भारतीय क्रांतिकारियों में यहां सोई हुई औरत अकेली मर्द है.
* तात्या टोपे ग्वालियर के पतन के पश्चात अप्रैल 1859 ई. में नेपाल चले गए.
* नेपाल में एक जमीनदार मित्र मानसिंह के विश्वासघात के कारण वे पकड़े गए तथा 18 अप्रैल 1859 ई. को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया.
* इसी के साथ 1857 ई. के विद्रोह का पूर्णत: अंत माना जाता है.
* फैजाबाद में 1857 ई. के विद्रोह को अहमदुल्ला ने नेतृत्व प्रदान किया.
* यह अहमदुल्ला के बारे में अंग्रेजों ने कहा कि-” अदम्य साहस के गुणों से परिपूर्ण और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति तथा विद्रोहियों में सर्वोत्तम सैनिक है”.
* मौलवी अहमदुल्ला की गतिविधियों से अंग्रेज इतने चिंतित थे, कि उन्होंने इन्हें पकड़ने के लिए ₹50,000 की घोषणा की थी.
* 5 जून 1858 ई. में मौलवी अहमदुल्ला को गोली मारकर हत्या कर दी.
क्षेत्र विद्रोही नेता विद्रोह को कुचलने वाले सैन्य अधिकारी
दिल्ली बहादुर शाह जफ्फर तथा वख्त खां सेनापति जॉन निकोलसन (मारा गया) तथा हडसन
कानपुर नाना साहब तथा तात्या टोपे (सेनापति) कैलीन कैंपवेल तथा मेजर हैवलॉक
लखनऊ बेगम हजरत महल तथा विजरिस कादीर कैलीन कैंपवेल
झांसी तथा ग्वालियर रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्याटोपे जनरल ह्यूरोज
जगदीशपुर बाबू वीर कुंवर सिंह तथा अमर सिंह मेजर विलियम टेलर
फैजाबाद मौलवी अहमदुल्ला जनरल रेनॉड
इलाहाबाद तथा बनारस लियाकत अल्ली कर्नल नील
बरेली (रुहेलखंड) खान बहादुर खां विन्सेंट आयर
असम मनीराम —–
सातारा रंगो जी बापू जी ——–
संबलपुर राजकुमार, सुरेंद्र शाही एवं उज्जवल शाही ——-
फतेहपुर यूपी अजीमुल्ला जनरल रेनॉड
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