Upsc gk notes in hindi-36

Upsc gk notes in hindi-36

                             Upsc gk notes in hindi-36

प्रश्न. 2021 में घटित ज्वालामुखी विस्फोटों की वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनके द्वारा पड़े प्रभाव को बताइए. (150 शब्द 10 अंक)

उत्तर – वर्ष 2021 के प्रमुख ज्वालामुखी उद्गार व क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनका प्रभाव-
● इंडोनेशिया के सुमात्रा प्रान्त में स्थित माउण्ट सिनाबंग ज्वालामुखी में 6 मई, 2021 को विस्फोट हुआ
    इसकी तीव्रता इतनी थी कि राख 3 किमी ऊँचाई तक फैल गई.
● फिलीपींस के ताल ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ जिससे सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ तथा
   इससे Vog का निर्माण हुआ एवं वायुप्रदूषण उच्च स्तर पर पहुँच गया भूकम्पीय झटके भी महसूस किए
   गए. अम्लवर्षा की दशाओं का निर्माण हुआ.
● जनवरी 2021 में इंडोनेशिया के पूर्वी जावा प्रान्त के सेमरू ज्वालामुखी में हुए विस्फोट की तीव्रता इतनी
    थी कि धुआँ और राख 5-6 किमी की ऊँचाई तक पर्यावरण में फैल गई.
● टोंगा के हुंगा-टोंगा ज्वालामुखी का विस्फोट एक अंतः समुद्री विस्फोट था. इससे बड़ी मात्रा में ज्वालामुखी
    पदार्थ वायुमण्डल में भी निष्कासित हुए. जिसमें (Climate Cooling Particulates) भी शामिल थे इस
    उद्गार से द्वीप के आकार में वृद्धि हो गई है.
● डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के न्यीरागोंगो ज्वालामुखी विस्फोट हाइड्रोजन, फ्लोराइड तथा हाइड्रोजन
   क्लोराइड जैसे अम्लीय पदार्थों का साव हुआ. बड़ी मात्रा में लावा उद्गार हुआ एवं कई लोगों की मृत्यु भी हुई.
   CO2, SO2 आदि जहरीली गैसों का निष्कासन से हुआ.
जलाशयों का पुनरुद्धार और इसके पर्यावरणीय प्रभाव इस प्रकार हैं-
● जलीय निकायों, जैसे-झीलों, आर्द्रभूमियों तथा नदियों के किनारे नगरों के विकास से जल निकायों के विस्तार
   में कमी आती है, जो इन जल निकायों की जैव-विविधता को क्षति पहुँचाती है. भारत की विभिन्न नदियों, जैसे
   गंगा, यमुना, गोमती आदि इस समस्या से गुजर रही हैं
● जलाशयों की संख्या तेजी से घट रही है 1960 के दशक में बैंगलोर में 262 झीलें थीं, अब उनमें से केवल
   10 में ही पानी है 2001 में अहमदाबाद में कम-से-कम 137 झीलों को सूचीबद्ध किया गया था, जिनमें से
    65 पर निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है. हैदराबाद ने अपनी 3.245 हेक्टेयर आर्द्रभूमि खो दी है.
● भारत के विभिन्न नगरों में मनोरंजन के साधनों के विकास हेतु रिवर फ्रंट का निर्माण किया गया है, जो इन
    शहरों में भूमिगत जल स्तर में गिरावट का प्रमुख कारण बन सकते हैं.
● झीलों नदियों आदि घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों के छोड़े जाने से सुपोषण के अधीन जलीय तन्त्रों
   में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा में कमी हो जाती है. यमुना, गंगा, गोमती आदि नदियाँ तथा डल व हुसैन सागर
   झीलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं.
● जल निकायों को कई मामलों में लैंडफिल में बदल दिया गया है. उदाहरण के लिए, गुवाहाटी की दीफेर झील
   का उपयोग नगर निगम द्वारा 2006 से ठोस कचरे को डम्प करने लिए किया जाता है. यहाँ तक कि चेन्नई में
   पल्लिकर्णी दलदली भूमि का उपयोग ठोस अपशिष्ट डम्पिंग के लिए किया जाता है.

प्रश्न. भारत को एक उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है. विस्तारपूर्वक उत्तर दीजिए. ( 150 शब्द, 10 अंक)

उत्तर- चूँकि भारत एक शासित, भूमि का अलग टुकड़ा है, जो महाद्वीप से अलग है और मुख्य महाद्वीप
         का हिस्सा प्रतीत होता है, इसलिए भारत को एक उपमहाद्वीप के रूप में जाना जाता है.
● भू-गर्भीय रूप से, भारतीय उपमहाद्वीप उस भू-भाग से सम्बन्धित है, जो क्रेटेशियस के दौरान सुपरकॉन्टिनेन्ट
   गोंडवाना से अलग हो गया था और लगभग 55 मिलियन वर्ष पहले यूरेशियन भू-भाग से मिल गया था.
   भौगोलिक रूप से यह दक्षिण-मध्य एशिया में प्रायद्वीपीय क्षेत्र है, जो उत्तर में हिमालय, पश्चिम में हिन्दुकुश
  और पूर्व में अराकनी द्वारा निरूपित किया गया है.
● जमीन का कोई भी टुकड़ा जो राजनीतिक रूप से बड़ा और स्वतन्त्र है, उसे महाद्वीप कहा जा सकता है.
● भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा बनने वाले देश हैं-भारत, पाकिस्तान नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका,
   मालदीव.
● भारतीय उपमहाद्वीप एक प्रायद्वीप है, जो तीन ओर से समुद्र से घिरा है और उत्तर में महान् हिमालय से
    और यहाँ विभिन्न जोति, धर्मों आदि के लोग निवास करते हैं इसलिए भारतीय क्षेत्र को एक उपमहाद्वीप
    का दर्जा प्राप्त है
● यहाँ साल में तापमान क्षेत्र, उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र, शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र अलग-अलग स्थान पर देखने
   को मिलते हैं.
● भारतीय उपमहाद्वीप के भीतर लोगों भाषाओं और धर्मों की एक विस्तृत विविधता है. उनका वितरण काफी
    हद तक भूमि के भौतिक पहलुओं का परिणाम है, जो बदले में प्रवास और आक्रमण जैसी ऐतिहासिक
    घटनाओं को आकार देता है. हालांकि कई मतभेदों के बावजूद मूल रूप से सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक
    जीवनशैली में कई समानताएं हैं, जो अद्वितीय हैं और इस क्षेत्र को एक उपमहाद्वीप बनाती हैं.

प्रश्न. मुख्यधारा के ज्ञान और सांस्कृतिक प्रणालियों की तुलना में आदिवासी ज्ञान प्रणाली की विशिष्टता की जाँच कीजिए. (150 शब्द,10 अंक)

 उत्तर-आदिवासी ज्ञान प्रणाली सदियों के अनुभव और सीख के माध्यम से वर्तमान समय में पारित बैंड समाजों
          में अन्तरपीढ़ीगत ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि मुख्यधारा के ज्ञान और संस्कृति के विकास में
          समान विशेषताएं देखी जा सकती है मुख्यधारा ज्यादा प्रयोगधर्मी, जोखिमपूर्ण, कृत्रिम और अपने स्वरूप
          में भोगवादी सुखमूलक तथा तीव्र होने के कारण विविधतापूर्ण है. यहाँ मौलिकता से ज्यादा उपयोगिता और
          अवसरवादिता प्रभावी है. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, जीवन में भोगकदी प्रवृत्ति, सामाजिक-सांस्कृतिक
          संकीर्णता ने अत्यधिक व्यक्तिवादी बनाया है. आदिवासी ज्ञान प्रणाली निम्नलिखित कारणों से अद्वितीय है-
● वनों, वनस्पतियों और जीवों से निरन्तर निकटता के कारण जनजातीय समाजों को प्रकृति का समकालीन
    ज्ञान है,
● जहाँ मुख्यधारा की ज्ञान प्रणालियों चर्चा और वैज्ञानिक सत्यापन के माध्यम से विचारों के कठोर शोधन
   और पूछताछ पर आधारित हैं. वहीं जनजातीय तरीके ज्ञान के संरक्षण पर आधारित हैं. उदाहरण के
   लिए, अंडमान और निकोबार के आदिवासियों के बीच समुद्र की दीवार के बारे में जागरूकता ने उन्हें
  2004 में सुनामी के खिलाफ मदद की.
● जनजातीय ज्ञान प्रणाली गैर-बहिष्करणीय है और समानता द्वारा चिह्नित है मुख्यधारा की ज्ञान प्रणालियाँ
   शिक्षा की लागत पेटेंट सुरक्षा सामाजिक बहिष्कार आदि जैसी बाधाओं में फँसी हुई है.
● जनजातीय ज्ञान प्रणाली समुदाय के लिए एकीकृत शिक्षा को बढ़ावा देती है, जबकि मुख्यधारा का ज्ञान
   और सांस्कृतिक प्रणालियाँ विभाजित हो गई हैं, परम्पराएं अध्ययन के तरीके के बजाए अध्ययन का
   विषय बन गई हैं.

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