Upsc gk notes in hindi-37

Upsc gk notes in hindi-37

                             Upsc gk notes in hindi-37

प्रश्न. भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रक्रिया में गिग इकोनॉमी की भूमिका का परीक्षण कीजिए. (उत्तर 150 शब्द, अंक 10 )

   उत्तर- गिग इकोनॉमी एक मुक्त बाजार प्रणाली है जिसमें अस्थाई पद सामान्यतः होते हैं और
             संगठन अल्पकालिक प्रतिबद्धताओं के लिए स्वतन्त्र श्रमिकों को नियुक्त करते हैं. भारत
             में जोमेटो, स्विगी, ओला, उबेर आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं इस व्यवस्था ने बड़ी संख्या
            में युवाओं को रोजगार के सन्दर्भ में आकर्षित किया है. उद्योग संगठन ASSOCHAM की
           रिपोर्ट के मुताबिक स्थल 2020-21 में करीब डेढ़ करोड़ नौकरियाँ गिग इकोनॉमी से सम्बन्धित
           रही हैं.
         गिग इकोनॉमी निम्नलिखित तरीकों से भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण की प्रक्रिया में मदद
         कर सकती है-
● गिग इकोनॉमी के अन्तर्गत रोजगार के अंशकालिक काम और लचीले कामकाजी घण्टों की अनुमति देता है,
   जो महिलाओं को रोजगार के साथ अपनी पारम्परिक भूमिकाओं (गृहणी और देखभाल करने वाले) को
   सन्तुलित करने की अनुमति देता है.
● यह महिलाओं को ऑन-डिमांड काम प्रदान करता है जिससे उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार कार्य बल में
   शामिल होने और छोड़ने की अनुमति मिलती है.
● गिग रोजगार महिलाओं को अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करता है, उनके आत्मविश्वास को
    बढ़ाता है और निर्णय लेने की शक्ति देता है और जो महिला सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण घटक हैं.
● बर्क फ्रॉम होम और प्रौद्योगिकी द्वारा पूरक गिग रोजगार ने यात्रा और रात की पाली के दौरान सुरक्षा
   के मुद्दे को सम्बोधित किया है साथ ही टियर 2 और 3 शहरों में महिलाओं के लिए रोजगार के नए
   अवसर सामने आए हैं
● इसमें महिलाओं की भी अपेक्षित हिस्सेदारी है उनके लिए इस व्यवस्था का हिस्सा होने में सबसे ज्यादा
    सहयोग संचार माध्यमों का है इससे प्राप्त रोजगार के अवसर बदलते रहते हैं
● दैनिक जीवन के कार्यों से बचे अतिरिक्त समय का उपयोग किया जा सकता है यह किसी भी भौगोलिक
   बाधा से मुक्त है.
                    इस रोजगार में कहीं से भी काम किया जा सकता है इसमें अपने पसन्द के काम तथा ज्यादा
    वेतन के सन्दर्भ में नौकरियाँ बदलना आसान है, बावजूद इसके इनमें कई बाधाएं भी आती हैं-
● गिग इकोनॉमी पूरी तरह से माँग और आपूर्ति के बाजार सिद्धान्त पर काम करती है
● इस प्रकार के रोजगार में स्थाई कर्मचारियों को ग्रेड-पे और यात्रा भत्ता आदि लाभ मिलने
    जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं.
● आसानी से बदलने योग्य कम कौशल वाले गिग मजदूरों का नियोक्ताओं के द्वारा शोषण किया
    जाता है. काम की उपलब्धता और कॅरियर की स्थिरता को लेकर भी निश्चितता का अभाव है.
● इस प्रकार के रोजगार में कर्मचारी को आमतौर पर पीएफ. सेवानिवृत्ति योजना, सवैतनिक अवकाश
   मातृत्व लाभ बीमा आदि के हकदार नहीं होते हैं. जाहिर है, इस पर सरकार को तेजी से विचार करने
   की जरूरत है.

प्रश्न. नरमपंथियों की भूमिका ने किस सीमा तक व्यापक स्वतन्त्रता आन्दोलन का आधार तैयार किया ? कीजिए. (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के आगमन से मध्य कांग्रेस भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी. इससे
          पूर्व ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध जनजातीय था किसान विद्रोह या फिर समाज एवं धर्म
          सुधार आन्दोलन के माध्यम, से व्यक्त हो रहा था. यकीनन कांग्रेस के नरमपंथी नेताओं ने आधुनिक
          राजनीति को आरम्भ किया.
● नरमपंथी नेता किसी त्वरित बदलाव के विरुद्ध थे. वह ब्रिटिश सत्ता से सहयोग और सहायता के हिमायती
    थे. उन्हें उम्मीद थी कि वह अंग्रेजों को भारतीय. जनता की न्याय संगत माँगों के सन्दर्भ में समझा सकेंगे.
● भारतीयों को आधुनिक राजनीति परिचित कराया यथा ब्रिटिश पार्लियामेन्ट एवं ब्रिटिश सरकार के समक्ष
   भारतीयों द्वारा माँगों की एक तालिका प्रस्तुत करना एवं भारतीयों के पक्ष में सुधार की माँग करना.
● नरमपंथियों ने साम्राज्यवाद के आर्थिक पहलू की कड़ी आलोचना करके लोगों में आर्थिक देतना जाग्रत
    की दादाभाई नैरोजी और रमेशचन्द्र दत्त जैसे नेताओं ने अंग्रेजों की आर्थिक शोषण की प्रक्रियाओं को
   भारन की गरीबी का कारण माना उन्होंने जनता के सामने इसकी सच्चाई प्रकट की और उसकी गरीबी
   के लिए ब्रिटिश सना को जिम्मेदार बताया.
● यह नेता भारतीय एकता के पक्षधर थे सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और दादाभाई नौरोजी ने इस एकता पर बल दिया.
    इन्होंने यूरोप की समृद्ध लोकतान्त्रिक और वैज्ञानिक संस्कृति का भारत में प्रचार-प्रसार का समर्थन किया
    इससे पढ़े-लिखे भारतीयों में एकता का संचार हुआ.
● आधुनिक पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन से भारतीय बुद्धजीवियों का ध्यान भारतीय समस्याओं की ओर खींचना
   तथो व्योपक जनमानस के वैधानिके आन्दोलन के जरिए जनजागरण और बीच जनशिक्षा का विकास करने
   के पक्ष में थे.
● हालाँकि इन नेताओं की कुछ बुनियादी कमजोरियाँ थी. यह सत्ता से याचना और आवेदन की नीति के समर्थक
   थे. यह अंग्रेजी पत्ता की औपनिवेशिक शोषण की वास्तविकता को समझ नहीं सके.
● वे इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर जनता के संघर्ष को संगठित नहीं कर सके. बावजूद इसके इन्होंने भारतीय
   जनमानस में राष्ट्रवाद की चेतना को विकसित किया तथा स्वतन्त्रता आन्दोलन का आधार तैयार किया.
● नरमपंथी आर्थिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से ब्रिटिश अधीनता को खत्म करने के पक्ष में थे. इन नेताओं
    द्वारा सुझाई आर्थिक नीतियों का स्वरूप साम्राज्यवाद विरोधी था.
● भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति लोगों में रुचि
    जमाने की कोशिश की औद्योगिक प्रदर्शनियाँ लगाना और स्वदेशी का अभियान इन्हीं नरमपंथियों
    की देन थी.

प्रश्न. असहयोग आन्दोलन एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों को स्पष्ट कीजिए, (250 शब्द. 15 अंक)

उत्तर- भारतीय राजनीति में गांधीजी, आन्दोलन एवं नेतृत्व की एक वैकल्पिक रमनीति लेकर उपस्थित
          हुए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उनका प्रतिरोध बहुआयामिक है एक तरफ उन्होंने बहिष्कार एवं
         आन्दोलन की राजनीति पर बल दिया, तो दूसरी तरफ उन्होंने स्वदेशी एवं रचनात्मक कार्यक्रम
         को भी अपनाया उनकी इस रणनीति की संघर्ष विराम संघर्ष का नाम दिया गया है.
● गांधीजी जितने राजनीतिक थे उतने ही समाज सुधारक थे 1924 में जेल से रिहा होने के बाद गांधीजी
   ने मुख्य धारा से राजनीति से अलग होकर अपनी ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लगाई.
●  चरित्र निर्माण, खादी और अन्य ग्रामीण हस्तकलाओं को बढ़ावा देना शराब विरोधी प्रचार गाँवों और
   गरीबों के बीच निचले स्तरों पर कार्य तथा निम्न जातियों और अछूतों के बीच सामाजिक कार्य प्रमुख थे.
● गांधीजी ने माना कि अस्पृश्यता भारतीय समाज पर एक धब्बा और अभिशाप है. गांधीजी ने इस बुराई
   को खत्म करने का प्रयास किया, उन्होंने 1932 में अपने पूना समझौते के बाद अस्पृश्यता उन्मूलन के
   लिए हरिजन सेवक संघ की स्थापना की.
● अस्पृश्यता गांधीजी ने छुआछूत निवारण अभियान चलाया. अछूतोद्धार और निवारण को स्वराज की
    माँग से जोड़ा.
● 1924 में गांधीजी ने मन्दिर प्रवेश के अस्पृश्यों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए केरल के
   वायकम सत्याग्रह को समर्थन किया. गांधीजी के इन प्रयासों से निम्न और अछूत जातियों को
   कांग्रेस से जोड़ने में मदद मिली.
● आदर्श सत्याग्रहियों को प्रशिक्षित करने और अन्य रचनात्मक गतिविधियों को जारी रखने का केन्द्र,
    साब आश्रम था.
● गांधीजी की नई शिक्षा की अवधारणा का तात्पर्य प्रकृति, समाज और शिल्प शिक्षा के विशाल माध्यम
   थे उनके अनुसार सच्ची शिक्षा वह थी, जो बच्चों को आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक संकार्यों की
   ओर खींचती और उत्तेजित करती है.
● गुजरात प्रान्त के आस-पास उनके कार्यक्रमों को अच्छी सफलता मिली. खेड़ा और बारदौली के इलाके
   ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन की गतिविधियों के लिए आधार प्रदान किया हालांकि यह सही है कि उस
   दौर में गांधीजी के रचनात्मक कार्यक्रम ज्यादा सफल नहीं हो सके.
● उन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के बीच आपसी भाईचारा बढ़ाने पर भी जोर दिया साल 1924 में दिल्ली
   के मौलाना मुहम्मद अली के घर पर साम्प्रदायिक सद्भाव के मद्देनजर 21 दिन का उपवास भी रखा.
● उन्होंने स्वावलम्बन के प्रतीक के रूप में चरखा और खादी का उपयोग और प्रोत्साहन पर जोर
   दिया खादी के प्रचार-प्रसार के सन्दर्भ में 1925 में अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना की
   इससे पारम्परिक जाति व्यवस्था में प्रचलित मानसिक श्रम और शारीरिक श्रम की दीवार को
   तोड़ने में मदद मिली.
● गांधीजी के प्रयासों से महिलाएं इतिहास में पहली बार अपने घरों से बहार निकलीं और उन्होंने
  भारतीय राजनीतिक संघर्ष में भाग लिया.
● भारतीय समाज का एकीकरण शायद स्वतन्त्रता की उपलब्धि से कठिन था. क्योंकि इस प्रक्रिया
   में हमारे अपने लोगों के समूहों और वर्गों के बीच संघर्ष की सम्भावना मौजूद थी. इस परिदृश्य में
   गांधीवादी रचनामक भूमिका ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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