Upsc gk notes in hindi-45

Upsc gk notes in hindi-45

                                Upsc gk notes in hindi-45

प्रश्न. एस. सी.ओ. के लक्ष्यों और उद्देश्यों का विश्लेषणात्मक परीक्षण कीजिए. भारत के लिए इसका क्या महत्व है ? (उत्तर 250 शब्दों में दीजिए)

  उत्तर- शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) आर्थिक राजनीतिक और सुरक्षा संगठन है. इसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सम्मिलित हैं. यह आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय शांति के लिए एससीओ के सदस्य राष्ट्र कार्य करते हैं, जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन तथा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार भी है शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई पाँच के नाम से 1996 में हुए संगठन का नाम बदलकर हुई, इसमें पाँच किर्गिस्तान, प्रारम्भ राष्ट्र चीन, और में कजाकिस्तान ताजिकिस्तान थे / इन राष्ट्रों के साथ उज्बेकिस्तान ने मिलकर शंघाई (चीन) में एससीओ की स्थापना की 9 जून, 2017 को इस संगठन में भारत व पाकिस्तान भी, सम्मिलित हो गए, जिससे इसकी सदस्य संख्या आठ हो गई. इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्र इसमें ऑब्जर्वर के रूप में जुड़े हैं,

             एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद तथा उग्रवाद से क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान कर
   शांति स्थापित करना है 2004 में उज्बेकिस्तान के ताशकंत में एससीओ के सम्मेलन में रीजनेल एंटी
   टेरेरिज्म स्ट्रक्चर (RATS) की स्थापना की गई. 2006 में ड्रग्स की तस्करी को रोकने की योजना की
   घोषणा की. 2007 में कलैक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (CSTC) पर सुरक्षा अंगराध एवं ड्रग्स
  की तस्करी रोकने के लिए समझौता किया साइबर युद्ध को रोकने के लिए भी 2009 में ‘इन्कॉलेशन
   वार को लेकर चिंतन किया. इसके साथ ये सदस्य राष्ट्र आपस में संयुक्त मिलिटरी एक्सरसाइज भी
   करते रहते हैं, जिससे सुरक्षा मामलों में आपसी समझ एवं मेलमिलाप बना रहे ये राष्ट्र आर्थिक क्षेत्र में
   फ्री ट्रेड जोन बनाने का भी प्रयास करते रहे हैं.
    एससीओ में चीन की उपस्थिति के कारण मुक्त वातावरण में इसका उद्देश्य पूरी तरह से प्राप्त नहीं
  हो पाया है भारत इस संगठन के लिए अभी नया है, यदि निष्पक्ष रूप से इसके उद्देश्यों को पूरा किया
  जाए, तो भारत व पाकिस्तान के लिए ही नहीं, अपितु इस क्षेत्र में शांति व समृद्धि स्थापना करने में यह
  सेंगठन वरदान सिद्ध होगा.

प्रश्न. भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना नई त्रि-राष्ट्र सोझेदारी AUKUS का उद्देश्य है. क्या यह इस क्षेत्र में मौजूदा साझेदारी का स्थान लेने जा रहाहै ? वर्तमान परिदृश्य में, AUKUS की शक्ति और प्रभाव की विवेचना कीजिए. (उत्तर 250 शब्दों में दीजिए)

उत्तर-आकुस (AUKUS) आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमरीका के मध्य एक त्रि-राष्ट्रीय सुरक्षा समझौता है.
        आस्ट्रेलिया यूनाइटेड किंगडम यूनाइटेड स्टेट्स (AUKUS) के त्रिपक्षीय समझौते की घोषणा 15
        सितम्बर, 2021 को की गई थी इस सुरक्षा समझौते संगठन का उद्देश्य भारत प्रशांत क्षेत्र में
       कैपेबिलिटीज, क्वांटम टेक्नोसामूहिक सुरक्षा प्रदान करना है. यह संगठन न्यूजीलैण्ड और कनाडा
      को भी सम्मिलित करता है तथा साइबर आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंसी लॉजी एवं समुद्री विज्ञान पर
      सहयोग कर सामूहिक सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा.
             भारत-प्रशांत (Indo-pacific) हिन्द महासागर पश्चिमी व मध्य प्रशांत महासागर के मिलन स्थल
     का क्षेत्र है, जिसमें समुद्री सम्पदा भरपूर है. इस क्षेत्र में चीन की विशेष रुचि एवं हस्तक्षेप है. आकुस
     का उद्देश्य चीन की बढ़ती वाणिज्यिक गतिविधियों को रोकना इसका उद्देश्य बताया जा रहा है.
      सामरिक एवं चीन ने भी इस गठबंधन को गम्भीरता से लेते हुए प्रतिक्रिया दी है. चीन के अनुसार
      आकुस से पाँच नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे.
1. नाभिकीय हथियारों के प्रसार को गति मिलेगी
2. शस्त्रों की दौड़ प्रारम्भ हो जाएगी.
3. क्षेत्रीय स्थिरता एवं सम्पन्नता में कमी आएगी,
4. दक्षिण-पूर्व एशिया में नाभिकीय मुक्त क्षेत्र बनने का विचार समाप्त हो जाएगा,
5. शीत युद्ध की मानसिकता का विकास होगा
      आस्ट्रेलिया को नाभिकीय पनडुब्बी देने का अमरीका व ब्रिटेन का वादा इस धारणा को बलवती करता
 है, लेकिन चीन का अपने पड़ोसियों पर बढ़ता सामरिक दबाव भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों पर व्यापारिक
 एवं सामरिक दबाव से भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और अमरीका, आदि चिंतित हैं, अतः यह सच है कि
  चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए क्वाड और आकुस जैसे संगठन/समझौते अस्तित्व में
  आए हैं.

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