Upsc gk notes in hindi-46

Upsc gk notes in hindi-46

                             Upsc gk notes in hindi-46

प्रश्न. भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वर्ष 2015 के पूर्व तथा वर्ष 2015 के पश्चात् परिकलन विधि मे अन्तर की व्याख्या कीजिए. (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)

उत्तर-2015 में, संयुक्त राष्ट्र मानकों को पूरा करने के लिए नए डेटा स्रोतों के साथ कार्यप्रणाली को
        उन्नत करके जीडीपी की गणना करने की एक नई शृंखला की घोषणा की गई नई श्रृंखला का
        आधार वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया और संगठित निजी क्षेत्र के लिए
        उपयोग की जाने वाली एक नई डेटा शृंखला, एमसीए-21 को अपनाया गया. इसमें सभी पंजीकृत
        कम्पनियों का डेटा शामिल था और प्रत्येक कम्पनी को एक विशिष्ट 21अंकीय कोड दिया गया था,
       इसलिए MCA21. साथ ही, नया डेटाबेस वित्तीय संस्थानों और नियामक निकायों जैसे-सेबी, पीएफ
      आरडीए और आईआरडीए को कवर करते हुए अधिक व्यापक है. कारक लागत पर जीडीपी और
      बाजार कीमतों पर जीडीपी को सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) पद्धति से जीडीपी आगणन पद्धति को
      प्रतिस्थापित किया गया. कारक लागत पर जीडीपी का आगणन करने के बजाय नई पद्धति बुनियादी
      कीमतों सकल मूल्य वर्धिन (जीवीए) के आधार पर जीडीपी की गणना करने का अभिनव तरीका है.
      इसके अलावा, उद्योग-वार अनुमान अब मूल कीमतों पर सकल मूल्य वर्धिन (जीवीए) के रूप में प्रस्तुत
     किए जाते हैं, जबकि बाजार कीमतों पर जीडीपी को केवल जीडीपी के रूप में संदर्भित किया जाता है.

प्रश्न. पूँजी बजट तथा राजस्व बजट के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए. इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइए. (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)

उत्तर-पूँजीगत बजट में पूँजीगत प्राप्तियाँ और भुगतान शामिल होते हैं, यह लोक खाते में लेन-देन को
        भी शामिल करता है. पूँजी प्राप्तियाँ सरकार द्वारा जनता से लिए गए ऋण (जिन्हें बाजार ऋण कहा
        जाता है), सरकार द्वारा रिजर्व बैंक और अन्य पार्टियों से ट्रेजरी बिलों की बिक्री के माध्यम से लिए
       गए उधार, विदेशी निकायों और सरकारों से प्राप्त ऋण और पूर्व में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य और
       केन्द्रशासित प्रदेश की सरकारों और अन्य पक्षों को दिए गए ऋण की वसूली को शामिल किया जाता
       है. पूँजीगत भुगतान में भूमि, भवन, मशीनरी और उपकरण जैसी सम्पत्तियों के अधिग्रहण पर पूँजीगत
      व्यय, साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों, सरकारी कम्पनियों, निगमों
     और अन्य पक्षों को दिए गए शेय्रों, ऋणों और अग्रिमों में निवेश शामिल है. राजस्व बजट में सरकार की
      राजस्व प्राप्तियाँ और व्यय शामिल होते हैं. राजस्व प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैंकर (आयकर, कॉर्पोरेट
      कर, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और अन्य शुल्क) और गैर-कर राजस्व (ब्याज प्राप्तियाँ, जो सरकार द्वारा
      राज्यों, रेलवे और अन्य को दिए गए ऋण पर प्राप्त होती हैं. एवं लाभांश और सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों
      से प्राप्त लाभ, विनिवेश की आय) राजस्व व्यय सरकार के दिन-प्रतिदिन के कामकाज और नागरिकों को
      दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं पर होने वाला व्यय है.

प्रश्न. देश के कुछ भागों में भूमि सुधारों ने सीमांत और लघु किसानों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किस प्रकार सहायता की है ? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)

उत्तर- भूमि सुधारों में बिचौलियों (जमीदारों) का उन्मूलन, काश्तकारी सुधार, प्रति परिवार भूमि की
         अधिकतम सीमा का निर्धारण, भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों को • अधिशेष भूमि
         का वितरण और भूदान आंदोलन शामिल हैं, भूमि सुधार, हालांकि पूरे देश में लागू किए गए,
        लेकिन ये पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल में सबसे अधिक सफल रहे हैं. भूमिहीन किसानों
       और खेतिहर मजदूरों को कृषि भूमि का मालिकाना हक मिल जाने से उनमे उन्हें गर्व की भावना
       की अनुभूति हुई. उन्होंने कड़ी मेहनत के बल पर पट्टे पर मिली बंजर भूमि को हरे-भरे खेतों में
       बदल दिया. इससे सीमान्त और लघु कृषकों को आय का अधिक सुरक्षित स्रोत प्राप्त हुआ. भूमि
      सुधारों तथा हरित क्रान्ति जैसे कृषि विकास के विभिन्न कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप कृषि भूमि
     की उत्पादकता में वृद्धि हुई और अन्तत कृषि वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि हुई. विपान योग्य अधिशेष
     में शुद्ध वृद्धि के परिणामस्वरूप सीमांत और छोटे किसानों की आय वृद्धि हुई, जो खुद गरीबी रेखा से
     उपर उठाने, में सक्षम गए. अंततः भूमि सुधारों ने प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के माध्यम से सीमांतर छोटे
    किसानों में साक्षरता, पोषण में हो जाने से समाज में सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आया.

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