Upsc gk notes in hindi-49
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प्रश्न. भारत की आन्तरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए, साथ ही, इन परिष्कृत हमलों के विरुद्ध रक्षात्मक उपायों की चर्चा कीजिए, (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
उत्तर-साइबर हमले ऐसी क्रियाएं हैं जो या सूचना प्रणाली को चुराने, बदलने या नष्ट करने के लिए
विभिन्न तरीकों का उपयोग करके कम्प्यूटर सूचना प्रणाली/ बुनियादी ढाँचे/ कम्प्यूटर नेटवर्क/
व्यक्तिगत कम्प्यूटर उपकरणों को लक्षित करते हैं. भारत के कुछ पड़ोसी देश अपनी राजनीतिक
और सुरक्षा सम्बन्धित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए साइबर स्पेस, में अपनी विशेषज्ञता का
लाभ उठा रहे हैं और •सीमा पार से समकालीन आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में संलिप्त
हैं. सीमा पार से काम कर रहे आतंकवादियों द्वारा साइबर स्पेस का उपयोग, उग्र प्रचार फैलाने,
घृणा और हिंसा भड़काने, आतंकवादी गतिविधियों के लिए युवाओं की भर्ती करना और पड़ोसी
देशों में आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने के लिए धन मुहैया कराने, साथ ही साथ सीमा
पार से विध्वंसकारी गतिविधियों में प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के कारण सरकार
और सीमावर्ती राज्यों की सरकारों के सामने अनेक नई चुनौतियाँ हैं. इस तरह के नापाक कृत्य
वैश्विक सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आपूर्ति श्रृंखला में विश्वास को कमजोर करते हैं, सुरक्षा
से समझौता करते हुए देशों के बीच अविश्वास और टकराहट का एक फ्लैशपॉइंट बन जाते हैं. विगत
कुछ वर्षों से भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे (सीआई) पर साइबर हमले बढ़ रहे हैं. हालांकि इस
बारे में कोई आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि चीन-
भारत सीमा तनाव के साथ, साइबर हमलों में वृद्धि हुई है.
साइबर हमलों की पूर्व चेतावनी के लिए। क्षमता विकसित करना, अपराधियों की पहचान करने के लिए
मजबूत खुफिया नेटवर्क, हमलावरों को दंडित करने के लिए प्रभावी कानून, साइबर स्पेस में रोकथाम
और राष्ट्रीय साइबर रणनीति तैयार करना साइबर हमलों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना आदि कुछ
ऐसे उपाय हैं जिनसे साइबर हमलों को रोका जा सकता है और इनको भीषणता को कम किया जा
सकता है।
प्रश्न. क्या आप सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में V-अफ़्कार के पुनरुत्थान का अनुभव किया है? कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए. (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
उत्तर-मार्च-अप्रैल, 2020 के दौरान लगाए गए कड़े लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था में
Q1 FY 2020-21 में 23.9 प्रतिशत और Q2 : FY 2020-21 में 7.5 प्रतिशत का तीव्र
संकुचन देखा गया. तब से, कई उच्च आवृत्ति संकेतको ने प्रदर्शन से अर्थव्यवस्था में वी
आकार की बहाली देखने को मिली है. भारतीय अर्थव्यवस्था में मूल तत्व मजबूत बने हुए
हैं, क्योंकि लॉकडाउन के क्रमिक स्केलिंग के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत मिशन के
सूक्ष्म समर्थन ने अर्थव्यवस्था को पुनरुद्धार के मार्ग पर मजबूती से प्रशस्त किया है. सरकार
और आरबीआई द्वारा प्रदान की गई असाधारण वित्तीय और मौद्रिक सहायता के परिणामस्वरूप
COVIDI महामारी प्रेरित वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही उत्पन्न अभूतपूर्व गिरावट से भारत
की आर्थिक गतिविधियों में तेजी सुधार हुआ है. Q2 और पर हुए, आवृत्ति संकेतकों के समग्र चलन
Q2 में तेजी से पिकअप और Q3 में पूर्व महामारी के स्तर में बढ़ते अभिसरेग का संकेत मिला.
जैसे-जैसे भारत की गतिशीलता और महामारी के रुझान संरेखित और बेहतर हुए, ई-वे बिल, रेल
भाड़ा, जीएसटी संग्रह और बिजली की खपत जैसे संकेतक न केवल पूर्व महामारी के स्तर पर पहुँच
गए, बल्कि पिछले वर्ष के स्तर को भी पार कर गए. इस झटके को कम करने में कृषि एवं सहायक
क्रियाएं क्षेत्रक ने वित्त वर्ष की सभी तिमाहियों सहित सम्पूर्ण वर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अंतर्राज्यीय
और अंतर-राज्य आर्थिक गतिविधियों के परिचालन में आई तेजी के साथ साथ औद्योगिक और वाणिज्यिक
गतिविधियों में निरन्तर तेजी से अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और सामान्य स्थिति में लौटने की शुरूआत की.
ई-वे बिल, इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, रेल माल ढुलाई और बंदरगाह कार्गो यातायात न केवल ठीक हुआ, बल्कि
Q3 : 2020-21 में पिछले वर्ष के स्तर को पार कर गया, जबकि रेल यात्री आय और घरेलू विमानन में लगातार
सुधार देखा गया. भारतीय सेवा क्षेत्र ने पीएमआई सेवाओं के उत्पादन और दिसम्बर 2020 में लगातार तीसरे
महीने नए कारोबार में वृद्धि के साथ महामारी से प्रेरित गिरावट से अपनी बहाली को बनाए रखा.
प्रश्न. “तीव्रतर एवं समावेशी आर्थिक संवृद्धि के लिए आधारिक-अवसंरचना में निवेश आवश्यक है.” भारतीय अनुभव के परिप्रेक्ष्य में विवेचना कीजिए. (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
उत्तर-आधारिक अवसंरचना-आर्थिक (रेल, सड़क, हवाई अड्डे, बंदरगाह, ऊर्जा और बिजली,
दूरसंचार, गोदाम आदि) और (स्वास्थ्य और शिक्षा)-अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. आधारिक
अवसंरचना अर्थव्यवस्थ और समाज में बाक़ी गतिविधियों को संचालित करने में सहायता
प्रदान करता है. एलजी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) के दौरान आधारिक
अवसंरचना विकास पर अधिक दिए जाने से न केवल अर्थव्यवर या में सात प्रतिशत से अधिक
की वृद्धि को सुनिश्चित किया है, बल्कि लाखों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में भी मदद
मिली. आध रेक अवसंरचना नेटवर्क का विकास आर्थिक विकास की प्रक्रिया से घनिष्ठ रूप से
जुड़ा हुआ है. आधारिक अवस/रचना एक बनाता है जिस पर अर्थव्यवस्था का निर्मा होता है.
ऐसी नींव बनाने के लिए, आधारिक अवसंरचना और गरीबी में कमी के बीच की कड़ी को स्पष्ट
करना महत्वपूर्ण है. गरीब देशों में कई उदाहरणों ने प्रदर्शित किया है कि आधारिक अवसंरचना
में निवेश से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि हुई. आधारिक अवसर बना ने समावेशी आर्थिक
विकास को सुनिश्चित करते हुए रोजगार में भी वृद्धि हुई और लोग तथा व्यवसायियों की बाजारों तक
सीधी पहुँच सुनिश्चित हो सकी. उदारीकरण के बाद के युग के दौरान, उत्तरोत्तर सरकारों ने आधारिक
अवसंरचना विकास को प्राथमिकता प्रदान करते हुए नीतियों और योजनाओं को संचालित किया. राष्ट्रीय
राजमार्ग विकास कार्यक्रम-स्वर्णिम चतुर्भुज, पूर्व-पश्चिम उत्तर-दक्षिण गलियारा और भारतमाला के
माध्यम से भारत में विश्व के सबसे अच्छे राजमार्ग नेटवर्क में से एक बनाया, दूरसंचार के क्षेत्र में भारत
लग भग विकसित देशों के बराबर की स्थिति में है. भारतीय रेलवे ने खुद को विश्व स्तरीय सेवा प्रदाता के
रूप में विकसित किया है, विमानन क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ गया है. ऊर्जा के नए और नवीकरणीय
स्रोतों के विकास के माध्यम से भारत शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की राह पर अग्रसर है. अर्थव्यवस्था
को बदलने और अपनी दीर्घकालिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने उत्पादन से जुड़े
प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और आत्मनिर्भर भारत मिशन
जैसी प्रशंसनीय नीतिगत पहल की हैं.
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