Upsc gk notes in hindi-58

Upsc gk notes in hindi-58

                             Upsc gk notes in hindi-58

प्रश्न. भारत की विविधता के संदर्भ क्या यह कहा जा सकता है कि राज्यों की अपेक्षा प्रदेश सांस्कृतिक इकाइयों को रूप प्रदान करते हैं? अपने दृष्टिकोण के लिए उदाहरणों सहित कारण बताइए.

 उत्तर- भारत में प्राचीनकाल से ही न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्रीय तथा भाषायी विविधता
विद्यमान रही है स्वतंत्रता के पश्चात् हमारे राष्ट्र निर्माताओं के समक्ष सबसे बड़ी समस्या इसी बात की
थी कि वे किसे इन विविधताओं को संरक्षित करते हुए राज्यों के रूप में नई इकाइयों का निर्माण करें
वर्तमान में भारत में 28 राज्य हैं और इन राज्यों के गठन में यहाँ के निवासियों की भाषायी एकरूपता
और सांस्कृतिक मान्यताओं का भी ध्यान रखा गया, जैसे-गुजराती भाषियों के लिए गुजरात मराठी
भाषियों के लिए महाराष्ट्र तथा दक्षिण में तमिल, कन्नड़ तथा तेलुगू लोगों के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक
तथा आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का गठन आदि. इसके बावजूद देश के विभिन्न क्षेत्रों में नई इकाइयों या
राज्यों के निर्माण की माँग अभी भी बनी हुई है. यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी राज्य (States)
सांस्कृतिक इकाइयों का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. आज भी देश में बुंदेलखण्ड, दण्डकारण्य.
वृहत्तर नगालैण्ड तथा विदर्भ जैसे क्षेत्र मौजूद हैं, जो सांस्कृतिक इकाइयों को कहीं अधिक आकार
देते हैं. बुंदेलखण्ड क्षेत्र में जहाँ दो राज्यों उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के हिस्से सम्मिलित हैं, वहीं
दण्डकारण्य जैसे क्षेत्र में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं.
इस प्रकार यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में वर्तमान राज्यों के अलावा भी अनेक क्षेत्र या
प्रदेश हैं, जो सांस्कृतिक इकाइयों को रूप प्रदान करते हैं और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में
ऐसा होना स्वाभाविक भी है.

प्रश्न.
संयुक्त परिवार का जीवन चक्र सामाजिक मूल्यों के बजाय आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है. चर्चा कीजिए.

उत्तर- संयुक्त परिवार से आशय एक ऐसे परिवार से है, जिसमें एक से अधिक युगल (दम्पत्ति) होते हैं
और अक्सर दो से अधिक पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं. आमतौर पर ऐसा माना जाता रहा है कि
 संयुक्त परिवार की जीवन चक्र (अर्थात् परिवार के विभिन्न चरण अथवा अवस्थाएं) सामाजिक मूल्यों
 पर आधारित होती हैं, सामाजिक मूल्यों संस्कारों तथा नैतिक कर्तव्यों के कारण लोग संयुक्त परिवार
 में रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप परिवार कमजोर व्यक्ति को भी वही सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं,
जो परिवार के अन्य सदस्यों को प्राप्त होती हैं, किन्तु अब ऐसा महसूस / किया जाने लगा है कि
संयुक्त परिवार का जीवन चक्र सामाजिक मूल्यों के बजाय आर्थिक कारकों पर अधिक निर्भर
करता है.
       संयुक्त परिवार के बनने में आर्थिक कारकों की मुख्य भूमिका है. संयुक्त परिवार में लोग संसाधनों
का साझा उपयोग करते हैं, जैसे साझा घर साथ-साथ खाना बनाना, घरेलू वस्तुओं आदि का प्रयोग आदि
निश्चित रूप से इससे खर्च में कमी आती है, जिसके फलस्वरूप लोग संयुक्त परिवार में साथ-साथ रहते
हैं. ऐसा देखा गया है कि जैसे ही परिवार के किसी सदस्य की आय बहुत अधिक हो जाती है, और यदि
वह अकेले सारे संसाधनों को जुटाने में सक्षम हो जाता है, तो उसमें संयुक्त परिवार से अलग होकर
एकाकी परिवार बनाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. यही नहीं औद्योगीकरण और भूमण्डलीकरण के
परिणामस्वरूप  बेहतर रोजगार और बेहतर जीवन स्तर की तलाश में युवा अपने परिवार से दूर जाकर
बस रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप एकाकी अथवा एकल परिवारों का चलन बढ़ रहा है, जिससे संयुक्त
परिवार टूट रहे हैं.
          इस प्रकार स्पष्ट है कि संयुक्त परिवार के जीवन चक्र को मुख्य रूप से आर्थिक कारक प्रभावित
करते हैं. हालांकि भारत जैसे देशों में संयुक्त परिवार के बने रहने में सामाजिक मूल्यों का महत्वपूर्ण
योगदान है. यह मूल्य कम मात्रा में सही, लेकिन भारतीय समाज में अभी भी विद्यमान है

प्रश्न. भारतीय प्रादेशिक नौपरिवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) की आवश्यकता क्यों है ? यह नौपरिवहन में किस प्रकार सहायक है ?

 उत्तर- भारतीय प्रादेशिक नौपरिवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान
संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौपरिवहन प्रणाली अपनी परिधि 1500 किमी
के क्षेत्र को कवर करती है. भारत के प्रधानमंत्री ने इसका नाम देश के मछुआरों को समर्पित करते हुए
नाविक (NAVIC-Navigation with Indian Constellation) रखा है.
      भारत दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे महत्वपूर्ण एवं अग्रणी देश है हिंद महासागर में इसकी सामरिक
एवं वाणिज्यिक स्थिति को देखते हुए इसे अपनी सीमाओं की सुरक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को
मजबूत बनाए रखने के लिए अपनी खुद की प्रभावी उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली की आवश्यकता
थी चूँकि अभी भारत अमरीकी ‘जीपीएस का इस्तेमाल कर रहा है जो पूरी तरह से अमरीकी नियंत्रण में
रहता है, और युद्ध के समय भारत इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते
हुए भारत ने स्वदेशी उपग्रह नौपरिवहन प्रणाली का विकास किया और ऐसी तकनीक रखने वाला विश्व
का तीसरा देश बना.
       आईआरएनएसेएस अर्थात् ‘नाविक’ एक स्वतंत्र क्षेत्रीय भार्ग निर्देशन तंत्र है जिसमें 7 उपग्रह शामिल
हैं. इसे न केवल भारतीय प्रयोक्ताओं बल्कि अपनी सीमा के बाहर 1500 किमी के दायरे में आने वाले सभी
क्षेत्रों में सटीक स्थिति सम्बन्धित सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया नाविक मुख्य रूप से
दो प्रकार की सेवाएं मुहैया कराएगा-प्रथम अवस्थिति सेवा (एसपीएस) जो जन सामान्य के लिए नौवहन व
अवस्थिति की निःशुल्क जानकारी उपलब्ध कराएगी. द्वितीय, प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो केवल सेना व
गुप्तचर एजेंसियों द्वारा उपयोग में लाई जाएगी. नाविक द्वारा स्थलीय हवाई तथा महत्वपूर्ण मानक महासागरीय
दिशा-निर्देशन में भूमिका निभाई जाएगी सड़क और रेल यातायात, सड़कों पर ट्रैफिक जामे, ट्रेनों की रियल
टाइम ट्रैकिंग, कार्गो शिपिंग आदि क्षेत्रों में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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