Upsc gk notes in hindi-63
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प्रश्न. शिक्षा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित 4 वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) की समीक्षा करें.
उत्तर- अक्टूबर 2021 में शिक्षा मंत्रालय ने 4 वर्षीय एकीकृत्र अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी)
को अधिसूचित किया है, जो एक दोहरी प्रमुख समग्र स्नातक डिग्री है. इस कार्यक्रम के तहत बी.ए.बी.
एड./बी.एस.सी. बी. एड और बी कॉम बी.एड. पाठ्यक्रम पेश किया गया है यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा
नीति, 2020 के अंतर्गत अध्यापक शिक्षा से सम्बन्धित प्रमुख प्रावधानों में से एक है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति
(एनईपी), 2020 के अनुसार, वर्ष 2030 से शिक्षकों की भर्ती केवल आईटीईपी के माध्यम से की जाएगी.
इसे प्रारम्भ में देशभर के लगभग 50 चयनित बहु-विषयक संस्थानों में पायलट मोड में पेश किया जाएगा.
शिक्षा मंत्रालय के तहत् राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) ने इस पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार
किया है कि यह एक छात्र शिक्षक को शिक्षा में डिग्री के साथ-साथ इतिहास, गणित, विज्ञान, कला, अर्थशास्त्र
या वाणिज्य जैसे विशेषकृत विषयों में डिग्री प्राप्त करने में सक्षम बनाता है. आईटीईपी न केवल अत्याधुनिक
अध्यापन कला प्रदान करेगा, अपितु प्रारम्भिके बालदेखभाल और शिक्षा, (ईसीसीई), मूलभूत साक्षरता और
संख्या ज्ञान (एफएलएन) समावेशी शिक्षा और भारत तथा इसके मूल्यों/ लोकाचार /कलाओं/परम्पराओं व
अन्य चीजों की समझे विकसित करने में आधार तैयार करने का काम करेगा.
प्रश्न. संघात्मकता की दृष्टि राज्यों का से राज्य सभा भारतीय संघ के प्रतिनिधित्व करती है जबकि लोक सभा भारत की जनता का’. व्याख्या करे.
उत्तर-संसद के दोनों सदनों की रचना अलग-अलग तरीकों से होती है, संघात्मकता “की दृष्टि से
राज्य सभा भारतीय संघ के राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है जबकि लोक सभा भारत की जनता
का यही कारण है कि दोनों सदनों की निर्वाचन प्रक्रिया भिन्न-भिन्न है. राज्यों की विधान सभाओं
के सदस्य राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन करते हैं, जबकि लोक सभा के चुनाव में लोग प्रत्यक्ष
रूप से भाग सरकार की संरचना लेते हैं. राज्य सभा एक स्थायी सदन है, जबकि लोक सभा का
गठन पाँच वर्ष की निश्चित अवधि के लिए किया जाता है. संवैधानिक दृष्टि से दोनों सदनों के सम्बन्धों
का सही अध्ययन तीन दृष्टिकोणों से किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं-
1. कुछ शक्तियाँ तथा कार्य ऐसे हैं जिनमें लोक सभा राज्य सभा से अधिक शक्तिशाली है जैसे किसी
धन विधेयक को प्रस्तावित तथा पारित करना एवं अविश्वास प्रस्ताव पारित करके मंत्रिपरिषद् को
अपदस्थ करना.
2. कुछ क्षेत्रों में राज्य सभा को एकाधिकार प्राप्त है जिनमें लोक सभा का कोई अधिकार नहीं होता,
जैसे राज्य सभा द्वारा राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करना ताकि संसद
उस पर कानून बना सके.
3. कुछ क्षेत्रों में दोनों की शक्तियाँ समान हैं जैसे धन विधेयक के अतिरिक्त अन्य विधेयकों को पारित
करना, आपातकाल की स्वीकृति देना, स्थगन प्रस्ताव तथा अन्य प्रस्तावों को लाना.
दोनों सदनों के सभी सदस्यों को सांसदों के क्षेत्रीय विकास निधि में से हर वर्ष ₹2-2 करोड़ मिलते
हैं. यह धन सीधा संसद सदस्य को देने की बजाए सम्बन्धित जिला मुख्यालय को दिया जाता है जिसका
प्रयोग सांसद अपने क्षेत्र के विकास के लिए कर सकता है.
प्रश्न. मंत्रियों के सामूहिक तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का वर्णन कीजिए.
उत्तर – मंत्रिपरिषद् उत्तरदायित्व संसदात्मक सरकार का एक आवश्यक लक्षण है. मंत्रिपरिषदीय
दायित्व के सिद्धांत के दो आयाम हैं- सामूहिक उत्तरदायित्व तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व.
सामूहिक उत्तरदायित्व- हमारे संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप
से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी. इस का वास्तविक अर्थ यह है कि मंत्री लोक सभा के प्रति केवल
व्यक्तिगत रूप से ही उत्तरदायी नहीं अपितु सामूहिक रूप से भी हैं. सामूहिक उत्तरदायित्व के दो निहित
अर्थ हैं. पहला यह कि मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य मंत्रिमण्डल के प्रत्येक निर्णय की जिम्मेदारी स्वीकार
करता है. मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य इकट्ठे तैरते हैं, तथा इकट्ठे डूबते हैं. जब मंत्रिमण्डल द्वारा कोई निर्णय
लिया जाता है तो प्रत्येक मंत्री को बिना किसी झिझक के उसका समर्थन करना होगा. यदि कोई मंत्री,
मंत्रिमण्डल के निर्णय से सहमत नहीं हैं तो उसके लिए केवल एक विकल्प बचता है कि वह मंत्रिपरिषद्
से त्यागपत्र दे. सामूहिक उत्तरदायित्व का स्तर यह है कि मंत्री सरकार के साथ मतदान करें, यदि प्रधानमंत्री
आग्रहपूर्वक कहे तो उसका समर्थन करें, और बाद में संसद में या अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपने इस निर्णय
की आलोचना को इस आधार पर रद्द न करें कि वह इस निर्णय से सहमत नहीं था. दूसरा यह कि प्रधानमंत्री
के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित होना समूचे मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास है. इसी प्रकार, लोक सभा
में किसी सरकारी विधेयक या बजट के विरुद्ध बहुमत होना, सारे मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास है न कि
केवल विधेयक प्रस्तावित करने वाले के विरुद्ध.
व्यक्तिगत उत्तरदायित्व-यद्यपि मंत्री लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं, तथापि वे
लोक सभा के प्रति व्यक्तिगत रूप से भी उत्तरदायी है प्रधानमंत्री अथवा मंत्रिमण्डल की सहमति के बिना
यदि किसी मंत्री द्वारा किए गए किसी कार्य की आलोचना होती है और उसे संसद द्वारा स्वीकार नहीं किया
जाता, तो व्यक्तिगत उत्तरदायित्व लागू होता है. इसी प्रकार यदि किसी मंत्री का व्यक्तिगत व्यवहार अभद्र
अथवा प्रश्नात्मक हो, तो सरकार पर कोई प्रभाव पड़े बिना, उसे त्याग पत्र देना होगा यदि कोई मंत्री सरकार
पर बोझ बन जाता है अथवा प्रधानमंत्री के लिए सिरदर्द बन जाता है, तो उसे पद छोड़ने के लिए कहा जा
सकता है.
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