Upsc gk notes in hindi-67

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                              Upsc gk notes in hindi-67

                                        परिच्छेद-1

शोधकर्ताओं ने मटर के कीड़ों (पीएफिड) और रस चूसने वाले कीड़ों से युक्त कृत्रिम तृण-भूखंडों को
रात में स्ट्रीट लाइट के अनुरूप आलोकित किया. इन्हें दो अलगअलग प्रकार के प्रकाश में रखा
गयानवीनतर वाणिज्यिक LED प्रकाश के सदृश श्वेत प्रकाश और सोडियम स्ट्रीट लैम्पों के सदृश
एंबर प्रकाश मटर कुल के जंगली पौधे-जोकि तृणभूमि में मटर के कीड़ों के लिए खाद्य के स्रोत हैं-
इन पौधों पर निम्न तीव्रतायुक्त एंबर प्रकाश डालने पर यह देखा गया कि इससे पुष्पण प्रेरित होने की
बजाय, बाधित होता है. प्रकाश के प्रभाव के अंतर्गत सीमित मात्रा में खाद्य उपलब्ध होने के कारण
कीड़ों (एफिड) की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई.

* उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर प्रतिपादित, निम्नलिखित में से कौनसा कथन सर्वाधिक निर्णायक निष्कर्ष को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है ? 

(A) उच्च तीव्रतायुक्त प्रकाश की तुलना में निम्न तीव्रतायुक्त प्रकाश का पौधों पर अधिक प्रतिकूल
      प्रभाव पड़ता
(B) प्रकाश प्रदूषण का किसी पारिस्थितिक तंत्र पर स्थायी रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
(C) पौधों के पुष्पण के लिए अन्य रंगों के प्रकाश की तुलना में श्वेत रंग का प्रकाश बेहतर है.
(D) किसी पारिस्थितिक तंत्र में उपयुक्त तीव्रता का प्रकाश न केवल पौधों के जिए बल्कि प्राणियों
      के लिए भी महत्वपूर्ण है

                                             परिच्छेद-2

सभी पुष्पधारी पौधों की जातियों में से लगभग 80 प्रतिशत में परागण प्राणियों द्वारा होता है, जिसमें
पक्षी और स्तनधारी प्राणी शामिल है, किन्तु कीट मुख्य परागणकारी है परागण हमें पौधों से उत्पन्न
कई औषधियों के साथ-साथ विविध प्रकार के खाद्य उपलब्ध कराने के लिए उत्तरदायी है. विश्व की
कम-से-कम एक-तिहाई कृषि फसलें परागण पर निर्भर हैं परागण के लिए मक्षिका सर्वाधिक प्रभावी
वर्ग हैं और ये चार सौ से भी अधिक फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं परागण एक ऐसी अनिवार्य
व्यवस्था है जो पौधों और प्राणियों के बीच जटिल सम्बन्धों का परिणाम है और इनमें से किसी की भी
कमी या ह्रास होने से दोनों का अस्तित्व प्रभावित होता है प्रभावी परागण के लिए मूल प्राकृतिक
वनस्पति के आश्रय जैसे संसाधनों की आवश्यकता है.

* उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर, निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं-

1. परागणकारी प्राणियों की विविधता के बिना भारत के अनाज खाद्यान्न का संधारणीय उत्पादन सभव नहीं है.
2. उद्यान फसलों की एकधान्य कृषि, कीटों के अस्तित्व के लिए बाधक है.
3. प्राकृतिक वनस्पति से विहीन कृषि क्षेत्रों में परागणकारियों की अत्यधिक कमी हो जाती है
4. कीटों में विविधता, पौधों विविधता लाती है.
उपर्युक्त में से कौनसी पूर्वधारणा / पूर्वधारणाएँ मान्य है/हैं ?
(A) केवल 1
(B) केवल 2, 3 और 4
(C) केवल 1 और 2
(D) केवल 3 और 4

                                          परिच्छेद-3 

तमिलनाडु की कावेरी नदी-घाटी पर क्षेत्रीय जलवायु मॉडलों का उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन
के प्रभावों पर किए गए अध्ययन में अधिकतम और न्यूनतम तापमानों में वृद्धि की प्रवृत्ति और वर्षा के
दिनों की संख्या में कमी देखी गई इन जलवायवी परिवर्तनों का इस क्षेत्र के जलीय चक्रों पर प्रभाव
पड़ेगा, परिणामस्वरूप अधिक/ मात्रा में जल वह जाएगा और जल के पुनर्भरण (रीचार्ज) में कमी
आएगी तथा भौमजल-स्तर प्रभावित होंगे इसके अतिरिक्त, राज्य में सूखा पड़ने की बारम्बारता
में वृद्धि हुई है. इसके कारण फसलें बचाने के लिए भौमजल संसाधनों पर किसानों की निर्भरता
बढ़ी है.

* निम्नलिखित में से कौनसा कथन उपर्युक्त परिच्छेद के मुल भाव को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है ? 

(A) क्षेत्रीय जलवायु मॉडलों विकास जलवायु अनुकूल (क्लाइमेटस्मार्ट) कृषि पद्धतियों का चयन करने में
      सहायक है
(B) शुष्क-भूमि कृषि पद्धतियाँ अपनाकर भौमजल संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता को कम किया जा
      सकता है
(C) जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों का महत्व बढ़ा है, जबकि साथ ही साथ इन पर संकट भी बढ़ा है
(D) जलवायु परिवर्तन के कारण, किसानों को अधारणीय आजीविका और जोखिमपूर्ण साधक-रणनीतियाँ
     अपनानी पड़ती हैं

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